महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से घटा सकती हैं अपना वजन, जानें इसके पीछे की साइंस

आज की बदलती जीवनशैली के कारण मोटापा एक सामान्य समस्या बन गई है। इसी कारण अब लोग फिटनेस को लेकर ज्यादा जागरूक हो गए हैं और वजन घटाने के प्रयास भी कर रहे हैं। लेकिन क्या कभी आपने गौर किया है कि वजन घटाने की प्रक्रिया में पुरुष और महिलाएं कैसे अलग-अलग होते हैं? आम धारणा है कि पुरुषों का मेटाबॉलिज्म तेज़ होता है, इसलिए वे वजन तेजी से कम कर सकते हैं। लेकिन 2023 में जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक शोध इस सोच से सहमत नहीं है। इस रिसर्च में यह दावा किया गया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा तेजी से वजन कम कर सकती हैं। आइए जानते हैं आखिर इसकी वजह क्या है।
कैसी थी यह स्टडी?
यह अध्ययन ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया और जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुआ। इसमें 18 से 55 वर्ष के बीच के 2,500 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया। प्रतिभागियों को 12 सप्ताह के लिए एक नियंत्रित डाइट और एक्सरसाइज रूटीन पर रखा गया, जिसमें उन्हें रोजाना 1500 से 1800 कैलोरी तक की डाइट दी गई और हर हफ्ते 150 मिनट की एक्सरसाइज करवाई गई। शुरुआती 8 हफ्तों के भीतर महिलाओं ने औसतन 5.2 किलो वजन घटाया जबकि पुरुष सिर्फ 4.7 किलो ही घटा सके। महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में 10% अधिक फैट घटाया। हालांकि, 12 सप्ताह के अंत तक पुरुषों में मसल्स बढ़ने के कारण उनकी फैट लॉस प्रक्रिया तेज़ हो गई। शोधकर्ताओं ने इस अंतर के पीछे हार्मोनल, जैविक और व्यवहारिक वजहें बताई हैं।
हार्मोन का प्रभाव और फैट बर्निंग की प्रक्रिया
महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन होते हैं जो फैट के स्टोरेज और वितरण को प्रभावित करते हैं। रिसर्च में यह बात सामने आई कि व्यायाम करते समय महिलाओं का शरीर फैट को एनर्जी में बदलने की प्रक्रिया में अधिक कुशल था। महिलाओं ने 15% ज्यादा फैट बर्न किया जबकि पुरुषों ने मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट को कम किया। यह भी पाया गया कि एस्ट्रोजन की मौजूदगी से लिपोलिसिस (फैट ब्रेकडाउन) तेज़ होती है, जबकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के कारण मसल्स तेजी से बनती हैं, जिससे फैट लॉस धीमा हो सकता है।
मेटाबॉलिक रेट का फर्क
पुरुषों के शरीर में मसल्स ज्यादा होने की वजह से उनका बेसल मेटाबॉलिक रेट (BMR) महिलाओं की तुलना में अधिक होता है। यानी वे आराम की स्थिति में भी ज्यादा कैलोरी जलाते हैं। इस स्टडी में पुरुषों का औसतन BMR 1800 कैलोरी था, जबकि महिलाओं का 1500 कैलोरी। लेकिन महिलाओं ने अपनी डाइट और एक्सरसाइज पर ज्यादा फोकस किया, जिससे उन्होंने बेहतर परिणाम हासिल किए। साथ ही, महिलाओं का शरीर कम कैलोरी पर भी फैट बर्न करने में सक्षम पाया गया, जो कि उनके हार्मोनल स्ट्रक्चर का असर माना गया।
महिलाओं में अधिक अनुशासन
रिसर्च में यह भी पाया गया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में खानपान को लेकर अधिक अनुशासित होती हैं। 70% महिलाओं ने बताया कि वे कैलोरी और पोषण पर ध्यान देती हैं, छोटे पोर्शन में खाना पसंद करती हैं, जबकि पुरुषों में भूख को कंट्रोल करने की क्षमता कम थी। पुरुषों ने हफ्ते में औसतन 3 बार बाहर का खाना खाया, जबकि महिलाओं ने सिर्फ 1.5 बार। इसके साथ ही मानसिक रूप से भी महिलाएं अधिक स्थिर और फोकस्ड पाई गईं, जिससे उनका वजन घटाने का सफर आसान रहा।
क्या थे मुख्य निष्कर्ष?
शोध में यह निष्कर्ष निकला कि महिलाओं का शरीर फैट को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया में ज्यादा प्रभावशाली है। उदाहरण के लिए, 45 मिनट की तेज़ वॉक में महिलाओं ने औसतन 200 कैलोरी बर्न कीं, जिनमें से 60% फैट से थीं। वहीं पुरुषों ने 220 कैलोरी बर्न कीं, लेकिन उनमें सिर्फ 40% फैट से थी।
यानी शुरूआती दौर में महिलाएं पुरुषों से तेज़ी से फैट कम कर सकती हैं। हालांकि, शोधकर्ता डॉ. एम्मा स्टील के अनुसार, महिलाओं में पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज़ जैसे हार्मोनल बदलावों के चलते वजन घटाने की प्रक्रिया में कभी-कभी रुकावट भी आ सकती है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।