अर्थतंत्र की खबरें: सोने की कीमत में बड़ी गिरावट और शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव जारी
सोने की कीमतों में शुक्रवार को बड़ी गिरावट दर्ज की गई और 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का भाव गिरकर 93,500 रुपए के नीचे आ गया है।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार, 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत 968 रुपए कम होकर 93,393 रुपए हो गई है। यह पहले 94,361 रुपए थी।
वहीं, चांदी की कीमत 86 रुपए बढ़कर 94,200 रुपए प्रति किलो हो गई है। इससे पहले चांदी की कीमत 94,114 रुपए प्रति किलो थी।
हाल के दिनों में सोने की कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली है। इस हफ्ते सोने की कीमत करीब 2,200 रुपए कम हो गई है। 22 अप्रैल को 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का भाव अब तक के उच्चतम स्तर 1,00,000 रुपए को छू गया है।
इसके अतिरिक्त, 22 कैरेट के सोने की कीमत 91,115 रुपए प्रति 10 ग्राम, 20 कैरेट के सोने का भाव 83,120 रुपए प्रति 10 ग्राम और 18 कैरेट के सोने की कीमत कम होकर 75,650 रुपए हो गई है।
हाजिर के उलट वायदा बाजार में सोने में तेजी देखी जा रही है। हालांकि, कीमत 93,000 रुपए के करीब बनी हुई है। सोने का 5 जून का कॉन्ट्रैक्ट करीब एक प्रतिशत बढ़कर 93,215 पर है।
सोने की कीमतों में कमी आने की वजह डॉलर के मुकाबले रुपए का मजबूत होना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों में कमी आना है।
डॉलर के मुकाबले रुपया आज 40 पैसे की तेजी के साथ 84 के स्तर के नीचे पहुंच गया है। यह सात महीनों में पहला मौका है जब डॉलर की तुलना में रुपया इस स्तर पर कारोबार कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बीते कुछ दिनों में सोने की कीमतों में नरमी देखी गई है। फिलहाल यह 3,265 डॉलर प्रति औंस के करीब बना हुआ है। 22 अप्रैल को यह 3,500 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया था।
उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में सेंसेक्स 260 अंक चढ़कर बंदभारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद, रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह और विदेशी पूंजी का प्रवाह जारी रहने से शुक्रवार को स्थानीय शेयर बाजार चढ़कर बंद हुए। सेंसेक्स में 260 अंक और निफ्टी में 12.50 अंक की तेजी रही।
विश्लेषकों के मुताबिक, वैश्विक बाजारों में मजबूती के रुख से भी निवेशकों की धारणा को समर्थन मिला।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स काफी उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में 259.75 अंक यानी 0.32 प्रतिशत बढ़कर 80,501.99 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय सेंसेक्स 935.69 अंक उछलकर 81,177.93 पर पहुंच गया था लेकिन बाद में मुनाफावसूली हावी होने से बढ़त काफी कम हो गई।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी कारोबार के अंत में 12.50 अंक यानी 0.05 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 24,346.70 पर बंद हुआ।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, "बाजार सत्र के पहले हिस्से में अत्यधिक अस्थिर रहा और बैंकिंग एवं आईटी शेयरों में चुनिंदा खरीदारी के कारण लगभग 1,000 अंकों के उतार-चढ़ाव के बाद सीमित दायरे में बंद हुआ। तेजी आने पर निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी, जबकि अधिक शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाले सूचकांक कमजोर होकर बंद हुए।"
सेंसेक्स की कंपनियों में से अदाणी पोर्ट्स ने चार प्रतिशत से अधिक की उछाल दर्ज की। कंपनी का मार्च तिमाही में शुद्ध लाभ 50 प्रतिशत बढ़ा है।
इसके अलावा बजाज फाइनेंस, इंडसइंड बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, मारुति, टाटा मोटर्स, आईटीसी, टाटा स्टील और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर भी लाभ में रहे।
दूसरी तरफ नेस्ले, एनटीपीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, पावर ग्रिड और टाइटन के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, "कारोबार के पहले हिस्से में बाजार करीब 1,000 अंक तक उछल गया और फिर गिरकर एक सीमित दायरे में बंद हुआ। दरअसल हाल की तेजी के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली को तरजीह दी। अनिश्चित वैश्विक परिवेश और शुल्क तनाव के बीच निवेशक इक्विटी पर ऊंचा दांव नहीं लगा रहे हैं।"
बिकवाली का जोर रहने से मझोली कंपनियों से संबंधित बीएसई मिडकैप सूचकांक 0.41 प्रतिशत गिर गया जबकि छोटी कंपनियों से जुड़ा स्मालकैप सूचकांक में 0.07 प्रतिशत की गिरावट रही।
साप्ताहिक आधार पर बीएसई सेंसेक्स में कुल 1,289.46 अंक यानी 1.62 प्रतिशत की तेजी रही जबकि एनएसई निफ्टी में 307.35 अंक यानी 1.27 प्रतिशत की बढ़त रही।
अप्रैल में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह सालाना आधार पर 12.6 प्रतिशत उछलकर लगभग 2.37 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।
इस बीच, शुक्रवार को एक मासिक सर्वेक्षण में कहा गया कि ऑर्डर बुक में विस्तार के कारण भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि की रफ्तार अप्रैल में सुधरी और जून 2024 के बाद से सबसे तेज गति से उत्पादन बढ़ा।
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की 225 और हांगकांग का हैंग सेंग सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुए जबकि चीन का शंघाई कम्पोजिट सूचकांक मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ।
यूरोप के बाजार बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। बृहस्पतिवार को अमेरिकी बाजार भी सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुए थे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.82 प्रतिशत गिरकर 61.62 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 50.57 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की। बृहस्पतिवार को 'महाराष्ट्र दिवस' के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहे।
बुधवार को सेंसेक्स 46.14 अंक गिरकर 80,242.24 और निफ्टी 1.75 अंक की मामूली गिरावट के साथ 24,334.20 पर बंद हुआ था।
डॉलर के मुकाबले रुपया एक पैसे बढ़कर 84.53 पर बंदअंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया शुक्रवार को एक पैसे की बढ़त के साथ 84.53 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश जारी रहने और मजबूत घरेलू आंकड़ों के बीच उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में रुपया एक समय सात महीने के उच्च स्तर 83.76 पर पहुंच गया। यह अक्टूबर 2024 के बाद का उच्चतम स्तर है। लेकिन यह तेजी कायम नहीं रह सकी और कारोबार के अंत में सिर्फ एक पैसे की बढ़त के साथ स्थिर रुख लिए बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अप्रैल में माल और सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। यह घरेलू मांग की अच्छी स्थिति को बताता है।
इसके अलावा, मजबूत पीएमआई आंकड़ों से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई। भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अप्रैल में 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
कारोबारियों ने कहा कि हालांकि, सतर्कता बनी हुई है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में कोई भी वृद्धि तेजी से लाभ की स्थिति को उलट सकती है और रुपये पर दबाव डाल सकती है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय में, रुपया 83.98 पर खुला और डॉलर के मुकाबले दिन के उच्चतम स्तर 83.76 और 84.55 के निचले स्तर के बीच रहा। सत्र के अंत में रुपया 84.53 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो अपने पिछले बंद स्तर से मात्र एक पैसे की तेजी है।
बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 42 पैसे बढ़कर 84.54 पर पहुंच गया।
महाराष्ट्र दिवस के कारण बृहस्पतिवार को विदेशी मुद्रा बाजार बंद था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘एफआईआई निवेश बढ़ने और विदेशी बैंकों द्वारा डॉलर की बिक्री की खबर के कारण भारतीय रुपया अक्टूबर 2024 के बाद के उच्चतम स्तर पर तेजी से बढ़ा।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सकारात्मक घरेलू बाजारों और एफआईआई प्रवाह के कारण रुपया सकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। अमेरिका में निराशाजनक आर्थिक आंकड़ों के बीच कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी डॉलर में समग्र कमजोरी रुपये को और समर्थन दे सकती है।’’
उन्होंने कहा कि डॉलर-रुपया हाजिर कीमत 83.70 से 84.50 के बीच रहने की उम्मीद है।
इस बीच, विश्व की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को मापने वाला, डॉलर सूचकांक 0.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 99.85 पर रहा।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.51 प्रतिशत गिरकर 61.81 डॉलर प्रति बैरल रह गया।
बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 259.75 अंक बढ़कर 80,501.99 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 12.50 अंक बढ़कर 24,346.70 पर पहुंच गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे। उन्होंने बुधवार को शुद्ध रूप से 50.57 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।