पहलगाम हमले के बाद अब तक मोदी सरकार की कोई स्पष्ट रणनीति सामने नहीं आई: खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए सरकार की ओर से कोई स्पष्ट रणनीति अब तक सामने नहीं आई है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष केंद्र के साथ है।
अपने संबोधन में खड़गे ने यह भी कहा कि सरकार ने जातिगत सर्वेक्षण की पार्टी की मांग स्वीकार कर ली है, लेकिन इस फैसले के समय ने ‘हमें हैरान कर दिया है’। उन्होंने जाति जनगणना सबंधी फैसले को लेकर सरकार की मंशा पर संदेह जताया और पार्टी नेताओं से कहा कि जातीय सर्वेक्षण के मुद्दे को तार्किक परिणति तक ले जाने के लिए सतर्क रहें।
कांग्रेस के 24, अकबर रोड स्थित कार्यालय में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अपने वक्तव्य में खड़गे ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद 24 अप्रैल को सीडब्ल्यूसी की आकस्मिक बैठक हुई थी। उसमें हमने प्रस्ताव पास कर आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में और आतंकवादियों को सबक सिखाने में सरकार को सभी संभव सहयोग देने की बात कही थी।
खड़गे ने कहा, इस घटना के कई दिन बाद भी सरकार की तरफ़ से कोई स्पष्ट रणनीति सामने नहीं आई है। राहुल गांधी जी ने कानपुर में शुभम द्विवेदी के परिवारजनों से मुलाकात की औऱ सरकार से मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा और सम्मान देने की मांग की है। देश की एकता, अखंडता और खुशहाली की राह में जो भी चुनौती बनकर आएगा, उसके ख़िलाफ़ हम एक होकर सख्ती से निपटेंगे। पूरा विपक्ष इस मसले पर सरकार के साथ है। हमने पूरी दुनिया को यही संदेश दिया है।
खड़गे ने आगे कहा, साथियों, इसी बीच मोदी सरकार ने जनगणना के साथ जातिगत गणना कराने का फैसला किया है। इसके लिए मैं सबसे पहले राहुल गांधी जी को बधाई देता हूं, जिन्होंने लगातार इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार को जाति जनगणना का फैसला लेने के लिए मजबूर किया। आपने 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में इसे ताकतवर अभियान में बदल दिया और सामाजिक न्याय 18वीं लोकसभा के चुनाव का सबसे अहम मुद्दा बन गया। राहुल जी ने फिर साबित किया है कि हम अगर सच्चाई से लोगों के मुद्दों को उठाते हैं तो सरकार को झुकना ही पड़ता है। भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक से लेकर तीन काले किसान क़ानून की वापसी के बाद जाति जनगणना भी इस कड़ी में शामिल हो गई है, जिसमें एक हठी सरकार को एक बार फिर से झुकना पड़ा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, कांग्रेस की राज्य सरकारें- तेलंगना और कर्नाटक में जातिगत जनगणना की प्रक्रिया पूरी कर सरकारी योजनाओं में इसे अमल में लाना शुरू कर चुकी हैं। गुजरात में कांग्रेस के अधिवेशन में भी हमने 9 अप्रैल, 2025 को अपनी मांग दोहराते हुए प्रस्ताव पारित किया था। हमने 50% सीलिंग को भी हटाने की मांग की। सीलिंग हटाने का काम संविधान संशोधन के द्वारा होगा। जाति जनगणना की सालों पुरानी हमारी मांग को सरकार ने माना, पर जो समय चुना गया, उससे हमें आश्चर्य के साथ हैरानी भी हुई। जिस भाषा और भाव के साथ कई बातें कही गईं, उसको लेकर भी कई संदेह हमारे दिल में पैदा हुए हैं।
खड़गे ने कहा कि जब 16 अप्रैल, 2023 को मैंने प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी लिखकर इस बारे में मांग की थी तो सरकार इसके बिल्कुल ख़िलाफ़ थी। फिर अचानक हृदय परिवर्तन कैसे हुआ ! सरकार ने हरेक मंच पर हमारी मांग का विरोध किया। इसे विभाजनकारी बताया और अर्बन नक्सल कहा। राज्यों के चुनावों में मोदी जी से लेकर आरएसएस नेताओं ने इसकी आलोचना की। 'बंटेगे तो कटेंगे' जैसे नारे दिए गए। हमें लोगों को यह बताने की ज़रूरत है कि यूपीए 2 में शुरू हुई 2011 जनगणना की पूरी प्रक्रिया 31 मार्च 2016 में समाप्त हुई। सरकार ने इस बात को 2022 में एक राज्य सभा के प्रश्न के उत्तर में ख़ुद माना है। फिर हमसे 2014 में अधूरे आंकड़ों को प्रकाशित करने की अपेक्षा नासमझी नहीं तो क्या है?
कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि हम यह कहेंगे कि हमारी बात देर से ही सही उनकी समझ में आई, इस बात की हमें ख़ुशी है। पुरानी कहावत है- देर आए दुरुस्त आए ! कांग्रेस ने 2024 के चुनाव में Comprehensive सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना कराकर, सभी जातियों और समुदायों की आबादी, सामाजिक- आर्थिक दशा, राष्ट्रीय संपदा में उनकी हिस्सेदारी और प्रशासन से जुड़े संस्थानों में उनके प्रतिनिधित्व को जानने की बात कही थी। समाज का एक्स-रे इससे होगा, हमारा ये विचार है। इस मांग पर हम लगातार कायम रहे। मुख्य विपक्षी दल के रूप में हमने संविधान बचाओ अभियानों में इस मांग को लगातार मुखरता से उठाया। संसद के भीतर और बाहर लगातार राहुल जी ने अपने हर भाषण में इसकी मांग रखी। हमारे सभी साथियों ने इस बात को आगे बढ़ाया। इसलिए मैं आप सभी को इसकी बधाई देता हूं।
खड़गे ने कहा, लेकिन यह हमारे लिए किसी जीत-हार या राजनीति का मुद्दा नहीं है। कांग्रेस हमेशा से ही देश के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी के खिलाफ संघर्ष करती आ रही है। हमारे राजनीतिक एजेंडे का ये हिस्सा बना हुआ है। 1931 में जो जातिगत जनगणना हुई, इस गणना के दो महीने पहले महात्मा गांधी ने यंग इंडिया में एक संपादकीय लिखा था और कहा था कि - “जैसे अपने शरीर की पड़ताल के लिए हम समय-समय पर मेडिकल परीक्षण कराते हैं, जनगणना उसी तरह किसी राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण परीक्षण होती है।” गांधी जी ने यह बात भी कही थी कि- “जनगणना की उपयोगिता तब है जब सरकार जरूरी सूचनाओं का इस्तेमाल बेहतरी के लिए करे।”
उन्होंने कहा कि बेशक सरकार ने जातिगत जनगणना कराने की हमारी मांग मान ली है, लेकिन अब हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा की यह जातिगत जनगणना सही तरीके से हो। इसके जो नतीजे आएं, उन पर भी अमल हो। उनके हिसाब से नीति और कानून बने। मोदी सरकार ने तो 2021 की जनगणना नहीं कराई। आज भी सारा सरकारी काम 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर चल रहा है। जातिगत जनगणना का काम आरएसएस की आरक्षण विरोधी सोच के कारण भी मोदी सरकार लगातार टालती रही। पर अब जब जनता इस मुद्दे पर कांग्रेस और सहोयोगी दलों के साथ जुड़ने लगी तो मोदी जी के लिए इसे और अधिक टालना संभव नहीं रहा। लेकिन अभी भी बजट से लेकर सरकार की नीति और नीयत के कई सवाल कायम हैं। इसलिए हमें इसे अंजाम तक ले जाने तक मुस्तैद रहना है।
खड़गे ने आगे कहा कि सरकार इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने में लगी है। आज बिहार में उनके बड़े नेता हरेक जिले में प्रेस कांफ्रेंस करके इसका श्रेय बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को देने की कोशिश कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी को ही जातिगत जनगणना का विरोधी बता रहे हैं। इसलिए हमें अपनी रणनीति बनानी होगी। यदि आवश्यक हो तो अपने सहयोगी दलों को साथ लेकर राष्ट्रीय स्तर पर या राज्य स्तर पर जो उचित हो जनसभाएं करनी चाहिए या फिर पूरे देश में प्रेस कांफ्रेंस करने की बात पर विचार करना चाहिए। इसी विषय पर कांग्रेस जनसंचार विभाग ने 1 मई को 90 मिनट की विस्तृत प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। आप चाहें तो इसी जानकारी के आधार पर राज्यों में भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करवा सकते हैं। अभी बहुत सी बातें राजनीतिक तौर पर उठेंगी, जिसके लिए हमें तैयार रहना है। जातिगत जनगणना और उसके बाद हमारी सभी मांगे सही तरीके से पूरी हो इसे सुनिश्चित करना है।