राजस्थान के झुंझुनूं ने अपने एक और लाल को खोया, जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी पर था तैनात

झुंझुनूं: राजस्थान के शौर्यधरा एवं देश में सर्वाधिक सैनिकों एवं शहीदों के जिले के रूप में पहचान रखने वाले झुंझुनूं जिले ने एक और वीर सपूत को खो दिया है। मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना के जवान परमेंद्र कुमार ने ड्यूटी के दौरान अंतिम सांस ली। जवान की शहादत की खबर से उनके गांव भड़ौंदा कलां में शोक की लहर दौड़ गई है। पूरे इलाके में गम और गर्व का मिला-जुला माहौल है।
सेना से जुड़ी तीन पीढिय़ां, अब टूटा परिवार का हौसला
परमेंद्र कुमार भारतीय सेना में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे और फिलहाल श्रीनगर स्थित 55 कोर बटालियन में तैनात थे। उनका परिवार पूरी तरह से सेना को समर्पित रहा है — पिता सेवानिवृत्त हवालदार, छोटा भाई अब भी सेना में कार्यरत, और अब शहीद हुए परमेंद्र स्वयं भी 9 वर्षों से अनुशासित सेवा में थे।हाल ही में परमेंद्र की पोस्टिंग पंजाब से जम्मू-कश्मीर हुई थी। करीब दो महीने पहले जब वह घर आए थे, तो पूरे गांव में मानो दिवाली जैसा माहौल था। किसी को क्या पता था कि वह आखिरी मुलाकात होगी।
अभी साफ नहीं मौत की वजह, मंगलवार को गांव में सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जवान की मौत ड्यूटी के दौरान हुई लेकिन कारणों का खुलासा सेना ने अब तक नहीं किया है। सेना की ओर से औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं और परिजनों को धीरे-धीरे जानकारी दी जा रही है। मंगलवार सुबह 10:40 बजे उनका पार्थिव शरीर फ्लाइट से दिल्ली पहुंचेगा, वहां से सड़क मार्ग से झुंझुनूं लाया जाएगा। पैतृक गांव भड़ौंदा कलां में संपूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पांच साल के बेटे और पत्नी को नहीं खबर,
परमेंद्र अपने पीछे छोड़ गए हैं पत्नी, एक 5 वर्षीय बेटा, वृद्ध मां, भाई-भाभी और अन्य परिजन। उनकी पत्नी गृहिणी हैं और ससुराल में रह रही हैं। सेना की ओर से अभी उन्हें भी पूरी सूचना नहीं दी गई है, ताकि अचानक सदमा न लगे। वहीं गांव में मातम पसरा हुआ है। वीरगति की सूचना परमेन्द्र के घर वालों को नहीं लगे इसके लिए गांव वालों की ओर से उनकी घर की जाने वालों पर निगरानी एवं सावधानी बरती जा रही है। बताया जा रहा है कि घर में परिजनों को शहादत की खबर सुबह दी जाएगी।
गांव का गौरव थे परमेंद्र, बच्चों को सुनाते थे सेना के किस्से
गांव के लोग परमेंद्र को शांत, अनुशासित और प्रेरणादायक व्यक्ति के रूप में याद करते हैं। जब भी छुट्टियों में घर आते, गांव के बच्चे उनके आसपास मंडराते और वे बड़े चाव से सेना के किस्से सुनाया करते। युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित करना और बुजुर्गों की सेवा करना उनकी आदत में शामिल था।
झुंझुनूं फिर शोकाकुल, लेकिन सर गर्व से ऊंचा
झुंझुनूं ने फिर एक बेटे को खो दिया, लेकिन उसकी शहादत ने पूरे जिले का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। परमेंद्र जैसे वीरों की बदौलत ही देश चैन की नींद सोता है। परमेन्द्र की शहादत से अब पूरा जिला, पूरा गांव और हर दिल उनके अंतिम दर्शन को व्याकुल है।
सेना से जुड़ी तीन पीढिय़ां, अब टूटा परिवार का हौसला
परमेंद्र कुमार भारतीय सेना में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे और फिलहाल श्रीनगर स्थित 55 कोर बटालियन में तैनात थे। उनका परिवार पूरी तरह से सेना को समर्पित रहा है — पिता सेवानिवृत्त हवालदार, छोटा भाई अब भी सेना में कार्यरत, और अब शहीद हुए परमेंद्र स्वयं भी 9 वर्षों से अनुशासित सेवा में थे।हाल ही में परमेंद्र की पोस्टिंग पंजाब से जम्मू-कश्मीर हुई थी। करीब दो महीने पहले जब वह घर आए थे, तो पूरे गांव में मानो दिवाली जैसा माहौल था। किसी को क्या पता था कि वह आखिरी मुलाकात होगी।
अभी साफ नहीं मौत की वजह, मंगलवार को गांव में सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जवान की मौत ड्यूटी के दौरान हुई लेकिन कारणों का खुलासा सेना ने अब तक नहीं किया है। सेना की ओर से औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं और परिजनों को धीरे-धीरे जानकारी दी जा रही है। मंगलवार सुबह 10:40 बजे उनका पार्थिव शरीर फ्लाइट से दिल्ली पहुंचेगा, वहां से सड़क मार्ग से झुंझुनूं लाया जाएगा। पैतृक गांव भड़ौंदा कलां में संपूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पांच साल के बेटे और पत्नी को नहीं खबर,
परमेंद्र अपने पीछे छोड़ गए हैं पत्नी, एक 5 वर्षीय बेटा, वृद्ध मां, भाई-भाभी और अन्य परिजन। उनकी पत्नी गृहिणी हैं और ससुराल में रह रही हैं। सेना की ओर से अभी उन्हें भी पूरी सूचना नहीं दी गई है, ताकि अचानक सदमा न लगे। वहीं गांव में मातम पसरा हुआ है। वीरगति की सूचना परमेन्द्र के घर वालों को नहीं लगे इसके लिए गांव वालों की ओर से उनकी घर की जाने वालों पर निगरानी एवं सावधानी बरती जा रही है। बताया जा रहा है कि घर में परिजनों को शहादत की खबर सुबह दी जाएगी।
गांव का गौरव थे परमेंद्र, बच्चों को सुनाते थे सेना के किस्से
गांव के लोग परमेंद्र को शांत, अनुशासित और प्रेरणादायक व्यक्ति के रूप में याद करते हैं। जब भी छुट्टियों में घर आते, गांव के बच्चे उनके आसपास मंडराते और वे बड़े चाव से सेना के किस्से सुनाया करते। युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित करना और बुजुर्गों की सेवा करना उनकी आदत में शामिल था।
झुंझुनूं फिर शोकाकुल, लेकिन सर गर्व से ऊंचा
झुंझुनूं ने फिर एक बेटे को खो दिया, लेकिन उसकी शहादत ने पूरे जिले का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। परमेंद्र जैसे वीरों की बदौलत ही देश चैन की नींद सोता है। परमेन्द्र की शहादत से अब पूरा जिला, पूरा गांव और हर दिल उनके अंतिम दर्शन को व्याकुल है।
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