बिहार की टॉप 25 कास्ट, समझें कौन बना सकता है सरकार और किसमें हैं दूसरों का खेल बिगाड़ने की ताकत

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर अलचल तेज हो गई है। इसी बीच केंद्र सरकार ने देशभर में जातीय जनगणना कराए जाने की घोषणा कर बिहार की राजनीति में एक नया तरंग छेड़ दिया है। इस बात से शायद ही कोई इनकार करे कि देश के किसी भी राज्य की राजनीति में जाति केंद्र बिंदु नहीं है। जाति जनगणना कराए जाने की घोषणा के बाद सबसे पहले बिहार में विधानसभा चुनाव हैं, इसलिए आइए जानते हैं कि इस राज्य में किस जाति की कितनी ताकत है।
बिहार की राजनीति में दूसरों पर डिपेंड रहने वाली जातियांपासी, बिंद, कुल्हैया, भूइया और धोबी की आबादी 1-1 फीसदी है। जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी के फॉर्मूल के तहत इन जातियों के कम से कम एक विधायक होने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि ये कहीं भी एकत्रित नहीं हैं। बिखराव के चलते इनका कोई प्रभावशाली नेता भी नहीं है। बिहार की पिछले तीन दशक की राजनीति पर नजर दौड़ाएं तो धोबी समाज से आने वाले समाजवादी नेता श्याम रजक जाने पहचाने नेता रहे। श्याम रजक पहले लालू यादव और राबड़ी की सरकारों में मंत्री रहे, फिर वह नीतीश कुमार की सरकारों में भी मंत्री रहे।
बिहार में उम्मीदवारों की हार-जीत तय करने वाली जातियां पान या सवासी, कहार या चंद्रवंशी, नाई, बढ़ई और कुम्हार ये पांच जातियां ऐसी हैं जिनकी आबादी डेढ़ से दो फीसदी के बीच है। जहां तक इन जाति के लोगों की संख्या का सवाल है तो ये 18 से 20 लाख के बीच हैं। ये पांच वो जाति हैं जिनके वोट किसी भी प्रत्याशी के हार जीत को बदलने में सक्षम होता है। इन पांच जाति के लोगों का अलग अलग विधानसभा बिखराव होने के चलते राज्य स्तर पर इनका भी कोई सर्वमान्य नेता नहीं है। बिहार चुनाव का रुख मोड़ने वाली जातियांनोनिया, धानुक, कानू, वैश्य, मल्लाह ये पांच ऐसी जातियां हैं जिनकी आबादी दो से ढाई फीसदी के बीच है।
इनमें हरके की आबादी 25 से 35 लाख के बीच है। ये बिहार में किंगमेकर जातियां मानी जाती हैं। इन जातियों में बनिया सामान्य वर्ग में आता है। साथ ही ये धनाड्य जाति है। बाकी चारो जाति अतिपिछड़े वर्ग में आती हैं। संख्या बल में ज्यादा होने के चलते इन जातियों के अपने अपने समूह हैं और कई नेता भी हैं। बिहार की सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में इन दलों के नेताओं को तवज्जो मिलती रही है। बिहार की राजनीति में खास दखल वाली पार्टियांतेली, भूमिहार, कुर्मी, मुसहर और राजपूत बिहार की वो जातियां हैं जिनकी आबादी ढाई से तीन फीसदी है।
इनका संख्या बल 35 से 45 लाख तक है। इन जातियों से बिहार में कई बड़े नेता आते रहे हैं। उदाहरण के तौर पर मुसहर में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, कुर्मी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भूमिहारों में गिरिराज सिंह जैसे चेहरे हैं। बिहार के राजनीतिक इतिहास को देखें तो ये वो जातियां हैं जिन्होंने अपनी संख्या से ज्यादा सत्ता का सुख भोगा है। टॉप की इन 5 जातियों का बिहार में चलता है सिक्कायादव, पासवान, चमार, कुशवाहा और ब्राह्मण ऐसी जातियां हैं जो बिहार की राजनीति की दिशा को तय करते हैं। इन जातियों से बिहार में पहले और मौजूदा वक्त में कई बड़े नेता हैं।
सबसे बड़ी आबादी वाले यादव जाति में सबसे लोकप्रिय नेता लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार है। इस वक्त लालू के बेटे तेजस्वी यादव यादवों के सर्वमान्य नेता माने जाते हैं। वहीं पासवान में पहले लंबे समय तक रामविलास पासवान अब उनके बेटे चिराग पासवान और पूरा परिवार इस समाज की राजनीति करते हैं। कुशवाहा समाज से उपेंद्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी सरीखे नेता अपनी अलग दखल रखते हैं। ब्राह्मण समाज से भी अलग अलग दलों में कई प्रमुख चेहरे हैं, उदाहरण के लिए जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर, जेडीयू में संजय कुमार झा, बीजेपी में मंगल पांडेय, आरजेडी में मनोझ झा ऐसे चेहरे हैं जिनकी अलग साख है।