उत्तर प्रदेश में फर्जी और अनसेफ हेलमेट बेचने वालों पर नकेल कसने की तैयारी, हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिशएन ने की अपील

उत्तर प्रदेश सरकार ने नकली बीआईएस-सर्टिफाइड हेलमेट की बिक्री और इस्तेमाल पर सख्ती दिखाई है और इसके जरिये रोड एक्सिडेंट्स में खास तौर पर दोपहिया वाहन चालकों की मौत पर लगाम लगाने की पहली की है। ऐसे में टू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (2WHMA) ने यूपी सरकार के इस कदम की सराहना की है। एसोसिएशन का कहना है कि सड़क सुरक्षा को लागू करने के लिए यह एक अच्छा उदाहरण है। यूपी में रोड एक्सिडेंट्स में हर साल हजारों जानें जाती हैंदरअसल, उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। पिछले साल राज्य में 46,000 से ज्यादा सड़ हादसे हुए, जिनमें 24 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई। टू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने राष्ट्रीय स्तर पर लो क्वॉलिटी वाले हेलमेट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। नियमों के उल्लंघन पर एफआईआरउत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने हेलमेट सुरक्षा नियमों का पालन कराने के लिए कमर कस ली है। विभाग ने आदेश दिया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा। इस अभियान का मकसद है कि लोग सिर्फ असली BIS-सर्टिफाइड हेलमेट ही खरीदें और इस्तेमाल करें।
राजीव कपूर ने फैसले का स्वागत कियाटू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और स्टीलबर्ड हेलमेट्स के प्रबंध निदेशक राजीव कपूर ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने नकली और घटिया हेलमेट के इस्तेमाल को रोकने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। ये हेलमेट सड़कों पर मौत का कारण बन रहे थे। यह कार्रवाई न सिर्फ लोगों की जान बचाएगी, बल्कि नकली हेलमेट बनाने वालों और लापरवाह निर्माताओं को भी एक कड़ा संदेश देगी। हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और परिवहन आयुक्त बीएन सिंह को बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि दूसरे राज्य भी इसका पालन करेंगे। लंबे समय से सख्ती की मांगआपको बता दें कि टू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया लंबे समय से हेलमेट की गुणवत्ता को लेकर सख्त नियम बनाने की मांग कर रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि बाजार में सस्ते और बिना प्रमाणन वाले हेलमेट आसानी से मिल जाते हैं। ये हेलमेट सुरक्षा के लिहाज से बिल्कुल बेकार होते हैं। कपूर ने यह भी कहा कि पॉलिसी मेकर्स और हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स के साथ ही नागरिकों के बीच मिलकर प्रयास करने से ही बदलाव लाया जा सकता है।
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