मस्क की कंपनी स्टारलिंक का पाकिस्तान-बांग्लादेश कनेक्शन, भारत ने मांग ली कामकाज की जानकारी
नई दिल्ली: एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस, स्टारलिंक (Starlink) जांच के घेरे में है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने स्टारलिंक से पाकिस्तान और बांग्लादेश में उसके कामकाज के बारे में जानकारी मांगी है। सरकार यह जानना चाहती है कि कंपनी इन देशों में कैसे काम करेगी।यह सख्ती तब हो रही है जब भारत और पाकिस्तान के रिश्ते खराब हो गए हैं। कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए हैं। इसमें सिंधु जल संधि को रोकना, अटारी बॉर्डर को बंद करना आदि शामिल है। पाकिस्तान ने भी जवाब में अपने हवाई क्षेत्र को भारतीय विमानों के लिए बंद कर दिया और व्यापार रोक दिया। सुरक्षा चिंता को लेकर सामने आई बातइन तनावों के बीच भारत सरकार को स्टारलिंक के क्षेत्रीय कामकाज को लेकर चिंता है। दूरसंचार विभाग (DoT) के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अभी भी कुछ सुरक्षा चिंताएं हैं। भारत में कम्युनिकेशन सर्विस देने के लिए, कई तकनीकी नियमों को पूरा करना होता है। यानी भारत सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि स्टारलिंक भारत की सुरक्षा के लिए खतरा न बने। पाकिस्तान और बांग्लादेश में स्टारलिंक की सर्विसएक बड़ी चिंता यह है कि स्टारलिंक को पाकिस्तान में अस्थायी रूप से काम करने की अनुमति मिल गई है। पाकिस्तान सरकार को उम्मीद है कि स्टारलिंक 2025 के अंत तक वहां काम करना शुरू कर देगी। वहीं, बांग्लादेश ने स्टारलिंक को जरूरी लाइसेंस दे दिए हैं। इससे स्टारलिंक वहां जल्द ही अपनी सर्विस शुरू कर पाएगी। भारत में भी तैयारीभारत में स्टारलिंक को नवंबर 2022 से मंजूरी नहीं मिली है। लेकिन हाल ही में कंपनी ने यहां कुछ समझौते किए हैं। स्टारलिंक ने रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ डील की है। माना जा रहा है कि इससे स्टारलिंक जल्द ही भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू कर पाएगी।
क्या चाहती है सरकार?भारत सरकार अभी भी सावधानी बरत रही है। स्टारलिंक ने कहा है कि वह यूजर डेटा को भारतीय सर्वर पर स्टोर करेगी और सैटेलाइट कवरेज को भारत के अंदर ही रखेगी। लेकिन कंपनी ने अभी तक कुछ और शर्तों को नहीं माना है। जैसे कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास बफर जोन बनाना और रियल-टाइम मॉनिटरिंग के नियमों का पालन करना।अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार ने स्टारलिंक से जो सवाल पूछे हैं, वे राष्ट्रीय सुरक्षा जांच का हिस्सा हैं। इससे कंपनी की एप्लीकेशन में देरी नहीं होगी। इसका मतलब है कि सरकार स्टारलिंक को मंजूरी देने से पहले पूरी तरह से जांच करना चाहती है।
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