भारत ने अमेरिका के सामने रख दी शर्त, कहा- ट्रंप का व्यवहार अनिश्चित, ट्रेड डील तभी जब टैरिफ को लेकर भरोसा मिले

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नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच एक ट्रेड डील होने वाली है। भारत चाहता है कि अमेरिका इस बात की गारंटी दे कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन कोई नया टैक्स नहीं लगाएगा। सूत्रों की मानें तो बातचीत अंतिम चरण में है और दोनों देश जल्द ही समझौते पर पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं। भारत चमड़ा और कपड़ा जैसे क्षेत्रों के लिए छूट चाहता है।



एक व्यक्ति ने कहा, 'हमने सब कुछ सामने रख दिया है।' भारत चाहता है कि समझौता होने के बाद टैरिफ यानी टैक्स में स्थिरता बनी रहे। आमतौर पर व्यापार समझौतों में दोबारा बातचीत करने या टैक्स बढ़ने पर मुआवजा देने के नियम होते हैं। भारत चाहता है कि इस समझौते में भी ऐसा ही नियम हो। एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि समझौता भविष्य में होने वाले बदलावों से सुरक्षित रहे।



अभी कितना है टैरिफ?अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2 अप्रैल को भारत से आने वाले सामानों पर 26% का टैक्स लगाने की घोषणा की थी। यह टैक्स 90 दिनों के लिए रोक दिया गया था, जो 9 जुलाई तक था। लेकिन, 10% का बेसलाइन टैक्स अभी भी लागू है। भारत और अमेरिका 9 जुलाई की समय सीमा से पहले व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना चाहते हैं।



इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार भारत को समय पर व्यापार समझौता चाहिए। भारत चाहता है कि अमेरिका यह आश्वासन दे कि समझौते के तहत तय किए गए टैक्स बाद में अमेरिका द्वारा किए गए किसी भी बदलाव से सुरक्षित रहेंगे। एक अधिकारी ने भारत की चिंता बताते हुए यह बात कही। ट्रंप का स्वभाव भी अनिश्चित है।



नियम कितना जरूरी?विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा नियम होना जरूरी है। एक व्यापार विशेषज्ञ ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता समयबद्ध होना चाहिए, हमेशा के लिए नहीं। भारत को एक क्लॉबैक प्रावधान पर जोर देना चाहिए कि अगर अमेरिका टैक्स बढ़ाता है या अपनी किसी भी प्रतिबद्धता से पीछे हटता है तो वह लाभ वापस ले लेगा।



अधिकारियों ने कहा कि वाशिंगटन को टैक्स कम करने का तरीका खोजना होगा क्योंकि नई दिल्ली ने कपड़ा और चमड़ा जैसे क्षेत्रों के लिए छूट मांगी है। ट्रंप प्रशासन को MFN दरों से नीचे टैक्स कम करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस से मंजूरी लेनी होगी, लेकिन उसके पास पारस्परिक टैक्स को रद्द करने का अधिकार है।



...तो भारत भी मांगेगा रियायतसरकार स्टील और एल्यूमीनियम पर 50% टैक्स और ऑटो पर 25% टैक्स के प्रभाव पर भी नजर रख रही है। ऑटो कंपोनेंट्स सेक्टर को अभी तक कोई बड़ा नुकसान होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन अगर टैक्स जारी रहता है तो असर पड़ सकता है। अधिकारी के अनुसार, अगर दूसरों को रियायत मिलती है तो भारत भी रियायत मांगेगा।