साबुन, तेल, बिस्किट... सब हो जाएंगे महंगे! मिडिल ईस्ट में चल रहे युद्ध ने क्यों बढ़ाई कंपनियों की चिंता?

नई दिल्ली: मिडिल ईस्ट में चल रहे युद्ध ने भारत समेत दुनिया के कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। इस युद्ध के कारण रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। इनमें साबुन, तेल, बिस्किट आदि शामिल हैं। एफएमसीजी कंपनियों को लग रहा है कि युद्ध के कारण कच्चा माल महंगा हो सकता है। अगर कच्चा माल महंगा होगा तो सामान बनाने में ज्यादा पैसे लगेंगे। इससे कंपनियों को नुकसान हो सकता है। हो सकता है कि उन्हें अपने सामान की कीमतें भी बढ़ानी पड़ें। अगर ऐसा हुआ तो आम लोगों को रोजमर्रा की चीजों के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के कृष्णा खटवानी ने कहा कि मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने से कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं। गोदरेज कंपनी सिन्थोल साबुन और गुडनाइट मच्छर मारने वाली दवा बनाती है। उन्होंने आगे कहा कि इससे लोगों के लिए चीजें खरीदना मुश्किल हो सकता है।
डिमांड बढ़ने की उम्मीद के बीच युद्धमिडिल ईस्ट में यह लड़ाई ऐसे समय में शुरू हुई है जब कंज्यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनियों को लग रहा था कि अब मांग बढ़ेगी। पिछली पांच तिमाहियों से मांग कम थी। लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें कम कर दीं। सरकार ने बजट में टैक्स में छूट दी। मानसून भी जल्दी आ गया। इन सब वजहों से कंपनियों को लग रहा था कि अब चीजें बेहतर होंगी।
बिसलेरी इंटरनेशनल के चीफ एग्जीक्यूटिव एंजेलो जॉर्ज ने कहा कि मध्य पूर्व के एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर में रुकावट आने से तेल की आपूर्ति कम हो सकती है। बिसलेरी पानी की बोतलें बनाने वाली कंपनी है। उन्होंने आगे कहा कि इससे कच्चे तेल से बनने वाली पैकेजिंग की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। इससे उन कंपनियों को परेशानी होगी जो प्लास्टिक पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं।
दो हफ्ते पहले बिसलेरी ने दुबई की एक रिटेल चेन के साथ साझेदारी की थी। इससे बिस्लेरी अपने प्रोडक्ट को पश्चिम एशिया और अफ्रीका में बनाएगी, बेचेगी और डिस्ट्रिब्यूट करेगी। शुरुआत यूएई से होगी।
खत्म हो सकती है राहतकंपनियां कम से कम छह महीने के लिए चीजों को पहले से खरीद कर रखती हैं। लेकिन, अगर तेल के दाम में कोई भी रुकावट आती है तो कंपनियों को जो राहत मिलने की उम्मीद थी, वह खत्म हो सकती है। खासकर शहरी बाजारों में, जहां लंबे समय से मंदी चल रही है।
रियल जूस बनाने वाली कंपनी डाबर के चीफ एग्जीक्यूटिव मोहित मल्होत्रा ने कहा कि वे पश्चिम एशिया के हालात पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिटेल खाद्य मुद्रास्फीति सात महीने के निचले स्तर पर है। इस साल मानसून भी अच्छा होने की उम्मीद है। सरकार ने भी कुछ राजकोषीय प्रोत्साहन उपाय किए हैं। इसलिए इंडस्ट्री को उम्मीद थी कि रोजमर्रा की इस्तेमाल होने वाली चीजों की मांग बढ़ेगी।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के कृष्णा खटवानी ने कहा कि मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने से कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं। गोदरेज कंपनी सिन्थोल साबुन और गुडनाइट मच्छर मारने वाली दवा बनाती है। उन्होंने आगे कहा कि इससे लोगों के लिए चीजें खरीदना मुश्किल हो सकता है।
डिमांड बढ़ने की उम्मीद के बीच युद्धमिडिल ईस्ट में यह लड़ाई ऐसे समय में शुरू हुई है जब कंज्यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनियों को लग रहा था कि अब मांग बढ़ेगी। पिछली पांच तिमाहियों से मांग कम थी। लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें कम कर दीं। सरकार ने बजट में टैक्स में छूट दी। मानसून भी जल्दी आ गया। इन सब वजहों से कंपनियों को लग रहा था कि अब चीजें बेहतर होंगी।
बिसलेरी इंटरनेशनल के चीफ एग्जीक्यूटिव एंजेलो जॉर्ज ने कहा कि मध्य पूर्व के एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर में रुकावट आने से तेल की आपूर्ति कम हो सकती है। बिसलेरी पानी की बोतलें बनाने वाली कंपनी है। उन्होंने आगे कहा कि इससे कच्चे तेल से बनने वाली पैकेजिंग की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। इससे उन कंपनियों को परेशानी होगी जो प्लास्टिक पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं।
दो हफ्ते पहले बिसलेरी ने दुबई की एक रिटेल चेन के साथ साझेदारी की थी। इससे बिस्लेरी अपने प्रोडक्ट को पश्चिम एशिया और अफ्रीका में बनाएगी, बेचेगी और डिस्ट्रिब्यूट करेगी। शुरुआत यूएई से होगी।
खत्म हो सकती है राहतकंपनियां कम से कम छह महीने के लिए चीजों को पहले से खरीद कर रखती हैं। लेकिन, अगर तेल के दाम में कोई भी रुकावट आती है तो कंपनियों को जो राहत मिलने की उम्मीद थी, वह खत्म हो सकती है। खासकर शहरी बाजारों में, जहां लंबे समय से मंदी चल रही है।
रियल जूस बनाने वाली कंपनी डाबर के चीफ एग्जीक्यूटिव मोहित मल्होत्रा ने कहा कि वे पश्चिम एशिया के हालात पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिटेल खाद्य मुद्रास्फीति सात महीने के निचले स्तर पर है। इस साल मानसून भी अच्छा होने की उम्मीद है। सरकार ने भी कुछ राजकोषीय प्रोत्साहन उपाय किए हैं। इसलिए इंडस्ट्री को उम्मीद थी कि रोजमर्रा की इस्तेमाल होने वाली चीजों की मांग बढ़ेगी।
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