बड़े सुधार की जरूरत

अहमदाबाद में हुए भीषण एयर इंडिया विमान हादसे ने आम देशवासियों की संवेदनाओं को तो झकझोरा ही है, देश में एविएशन सेफ्टी से जुड़ी पूरी व्यवस्था को ढंग से खंगालने और उसकी खामियों को दूर करने की जरूरत भी रेखांकित कर दी है।
सुरक्षा पहलुओं पर जोर: इस जरूरत को महसूस करते हुए ही सरकार ने हादसे के दो दिन बाद केंद्रीय गृह सचिव की अगुआई में एक कमिटी बनाई है, जो सुरक्षा से जुड़े पहलुओं की बारीकी से पड़ताल करेगी। ध्यान रहे, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) पहले ही इस हादसे की जांच शुरू कर चुका है। अमेरिकी नैशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड भी इस जांच में हिस्सेदारी कर रहा है क्योंकि दुर्घटनाग्रस्ट विमान अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाया था। ब्रिटिश AAIB टीम भी इस जांच में सहयोग कर रही है। इस सबके बावजूद, इनसे अलग केंद्रीय गृह सचिव के नेतृत्व में यह विशेष जांच टीम गठित की गई है।
गंभीर नजरिया: जांच टीम में सिविल एविएशन रेगुलेटर DGCA और सिक्यॉरिटी रेगुलेटर ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्यॉरिटी (BCAS) के प्रमुखों के साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त सचिव स्तरीय अफसरों का शामिल होना बताता है कि सरकार इस समिति से गंभीर और बड़े बदलावों वाली सिफारिशों की अपेक्षा करती है। समिति के लिए डेडलाइन भी तीन महीने का ही तय किया गया है, जो इस मामले की अर्जेंसी बताता है।
फलता-फूलता सेक्टर: दो बड़ी वजहें हैं जो सरकार के इस रुख को आवश्यक बनाती हैं। पहली बात तो यह कि देश का एविएशन मार्केट यात्रियों की संख्या के लिहाज से दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मार्केट बन चुका है। एयर कार्गो के लिहाज से यह छठा सबसे बड़ा मार्केट है। यही नहीं, हाल के वर्षों में हुए इन्फ्रा ग्रोथ और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने के प्रयासों को ध्यान में रखें तो इस क्षेत्र का आने वाले वर्षों में और तेजी से विस्तार होना तय लगता है।
सुरक्षा चूकों का मसला: दूसरी बात यह है कि अहमदाबाद हादसे को छोड़ दें तो बीच-बीच में छोटी-मोटी घटनाएं होती रही हैं, जिनसे सुरक्षा संबंधी चूकों और लापरवाहियों का पता चलता है। मिसाल के तौर पर, पिछले साल ही BCAS ने इंडिगो को एविएशन सिक्यॉरिटी प्रोटोकॉल के गंभीर उल्लंघन का दोषी पाकर उस पर जुर्माना लगाया था। एयर इंडिया भी कई लंबी दूरी के रूटों में सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के मामले में दंडित हुई थी। जाहिर है, देश में सिविल एविएशन सेक्टर की सक्सेस स्टोरी को कानून की कमियों या अमल की गड़बड़ियों की भेंट नहीं चढ़ने दिया जा सकता।
सुरक्षा पहलुओं पर जोर: इस जरूरत को महसूस करते हुए ही सरकार ने हादसे के दो दिन बाद केंद्रीय गृह सचिव की अगुआई में एक कमिटी बनाई है, जो सुरक्षा से जुड़े पहलुओं की बारीकी से पड़ताल करेगी। ध्यान रहे, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) पहले ही इस हादसे की जांच शुरू कर चुका है। अमेरिकी नैशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड भी इस जांच में हिस्सेदारी कर रहा है क्योंकि दुर्घटनाग्रस्ट विमान अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाया था। ब्रिटिश AAIB टीम भी इस जांच में सहयोग कर रही है। इस सबके बावजूद, इनसे अलग केंद्रीय गृह सचिव के नेतृत्व में यह विशेष जांच टीम गठित की गई है।
गंभीर नजरिया: जांच टीम में सिविल एविएशन रेगुलेटर DGCA और सिक्यॉरिटी रेगुलेटर ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्यॉरिटी (BCAS) के प्रमुखों के साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त सचिव स्तरीय अफसरों का शामिल होना बताता है कि सरकार इस समिति से गंभीर और बड़े बदलावों वाली सिफारिशों की अपेक्षा करती है। समिति के लिए डेडलाइन भी तीन महीने का ही तय किया गया है, जो इस मामले की अर्जेंसी बताता है।
फलता-फूलता सेक्टर: दो बड़ी वजहें हैं जो सरकार के इस रुख को आवश्यक बनाती हैं। पहली बात तो यह कि देश का एविएशन मार्केट यात्रियों की संख्या के लिहाज से दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मार्केट बन चुका है। एयर कार्गो के लिहाज से यह छठा सबसे बड़ा मार्केट है। यही नहीं, हाल के वर्षों में हुए इन्फ्रा ग्रोथ और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने के प्रयासों को ध्यान में रखें तो इस क्षेत्र का आने वाले वर्षों में और तेजी से विस्तार होना तय लगता है।
सुरक्षा चूकों का मसला: दूसरी बात यह है कि अहमदाबाद हादसे को छोड़ दें तो बीच-बीच में छोटी-मोटी घटनाएं होती रही हैं, जिनसे सुरक्षा संबंधी चूकों और लापरवाहियों का पता चलता है। मिसाल के तौर पर, पिछले साल ही BCAS ने इंडिगो को एविएशन सिक्यॉरिटी प्रोटोकॉल के गंभीर उल्लंघन का दोषी पाकर उस पर जुर्माना लगाया था। एयर इंडिया भी कई लंबी दूरी के रूटों में सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के मामले में दंडित हुई थी। जाहिर है, देश में सिविल एविएशन सेक्टर की सक्सेस स्टोरी को कानून की कमियों या अमल की गड़बड़ियों की भेंट नहीं चढ़ने दिया जा सकता।
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