ब्रिटेन में रिसर्चर्स की होगे बल्ले-बल्ले, रिसर्च के लिए सरकार देगी 560 करोड़! जानिए क्यों

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UK Scheme For Researchers: ब्रिटेन की सरकार एक नई योजना की शुरुआत कर रही है, जिसका मकसद दुनिया के सबसे टॉप रिसर्चर्स को अपने देश में बुलाना है। ब्रिटिश सरकार की तरफ से ये कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है, जब अमेरिका में शिक्षा से जुड़ी आजादी सवालों के घेरे में खड़ी है। सरकार रिसर्चर्स को देश में लाने के लिए 50 मिलियन पाउंड (लगभग 560 करोड़ रुपये) खर्च करने वाली है। इससे रिसर्च के लिए ग्रांट मिलेगा और वैज्ञानिकों को ब्रिटेन में बसने में मदद की जाएगी। इस स्कीम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि योजना का ऐलान जल्द होने वाला है। इसके जरिए दुनियाभर से रिसर्चर्स को देश में बुलाने का काम होगा। उनका सेलेक्शन इस आधार पर किया जाएगा कि उनका काम ब्रिटेन की इंडस्ट्रियल स्ट्रैटेजी (औद्योगिक रणनीति) के लिए कितना जरूरी है। ऐसे में अगर आप भारतीय रिसर्चर्स हैं तो आपके पास भी ब्रिटेन में जाकर रिसर्च करने का मौका होगा। योजना का ऐलान होने के बाद आवेदन की तारीख भी बता दी जाएगी।
किन क्षेत्रों के रिसर्चर्स को देश में लाने की तैयारी?ब्रिटेन की इंडस्ट्रियल स्ट्रैटेजी में लाइफ साइंसेज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस फील्ड से जुड़े लोग देश में आ सकेंगे। शुरुआत में इस योजना के तहत लगभग 10 रिसर्च टीमों को ब्रिटेन में बसाया जाएगा। अगर यह योजना सफल रही, तो इसे और भी बढ़ाया जा सकता है। डिपार्टमेंट फॉर साइंस, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी का कहना है कि ब्रिटेन इंटरनेशनल साइंस के लिए खुला है। उनका मकसद है कि दुनिया के कुछ बेहतरीन रिसर्चर्स अपने विचारों को यहां साकार करें। रिसर्चर्स के पीछे पड़ी ट्रंप सरकारयहां गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद से ही रिसर्चर्स का बुरा हाल है। सरकार उनके पीछे पड़ी हुई है और अलग-अलग रिसर्च योजनाओं की फंडिंग में कटौती की जा रही है। वर्तमान में अमेरिका में साइंस पॉलिसी को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। ट्रंप सरकार ने रिसर्च के लिए मिलने वाले सरकारी पैसे को कम करने की कोशिश की है। साथ ही, जलवायु परिवर्तन, वैक्सीन और विविधता जैसे क्षेत्रों में काम करने पर रोक लगाई है। इससे देश में टेंशन का माहौल है।