अमेरिका बेस्ट या भारत ही बढ़िया? जान लें दोनों देशों के कॉलेजों में 5 बड़े अंतर

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India-US Education Difference: हायर एजुकेशन के मामले में अमेरिका को दुनिया का सबसे बेहतरीन देश माना जाता है। मौजूदा समय में यहां 10 लाख से ज्यादा विदेशी छात्र डिग्री भी हासिल कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज भी अमेरिका में ही हैं। दूसरी तरफ भारत में भी कई सारे टॉप संस्थान हैं, जिनमें से ज्यादातर IITs और IIMs हैं, जहां के ग्रेजुएट्स की जॉब मार्केट में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। ज्यादातर भारतीय ग्रेजुएट्स आसानी से यूएस में जॉब भी पाते हैं।





जिन भारतीय छात्रों को भारत में एडमिशन नहीं मिल पाता है, उनमें से कुछ अमेरिका में भी डिग्री हासिल करने चले जाते हैं। यही वजह है कि हमेशा भारत और अमेरिका के शिक्षा व्यवस्था की चर्चा भी होती रहती है। ज्यादातर लोग मानते हैं कि अमेरिका में अच्छा एजुकेशन सिस्टम है। धीरे-धीरे भारत में भी शिक्षा का स्तर सुधर रहा है। हालांकि, अब यहां सवाल उठता है कि अमेरिका और भारत के कॉलेजों में क्या अंतर है? दोनों जगह किस तरह की पढ़ाई करवाई जाती है? आइए इस बारे में जानते हैं।



अकेडमिक क्वालिटी और प्रतिष्ठा

अमेरिका के कॉलेज अपनी वर्ल्ड क्लास पढ़ाई और प्रतिष्ठा के लिए जाने जाते हैं। उनके यहां बेहतरीन रिसर्च फैसिलिटी, प्रसिद्ध फैकल्टी मेंबर्स और शानदार कोर्स होते हैं। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग हो या टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग, दोनों ही जगह अमेरिकी कॉलेजों का दबदबा है। दूसरी तरफ, कुछ भारतीय कॉलेजों में अच्छे कोर्स होते हैं, जबकि ज्यादातर में पढ़ाई का स्तर बेहतरीन नहीं है। ग्लोबल रैंकिंग में भी भारतीय कॉलेज काफी पीछे नजर आते हैं।



करिकुलम और फ्लेक्सिबिलिटी

अमेरिकी कॉलेज आमतौर पर भारतीय यूनिवर्सिटीज की तुलना में ज्यादा फ्लेक्सिबल और तरह-तरह के कोर्स प्रदान करते हैं। छात्रों को इजाजत होती है कि वे अपने मनमुताबिक कोर्स का चुनाव कर सकें। इस वजह से छात्रों को एक ही समय पर कई तरह के सब्जेक्ट पढ़ने को मिलते हैं। भारत में ऐसा नहीं होता है, अगर आपने किसी कोर्स को चुन लिया, तो फिर आपको उसी कोर्स से जुड़ी चीजें ही पढ़नी होंगी। यहां छात्रों के पास सब्जेक्ट में कस्टमाइजेशन करने का ऑप्शन नहीं होता है।





ग्लोबल एक्सपोजर और विविधता

अमेरिकी कॉलेजों में छात्रों को बहु-सांस्कृतिक माहौल में पढ़ने का मौका मिलता है। अमेरिकी कॉलेज दुनियाभर से छात्रों को आकर्षित करते हैं, जिससे एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य और क्रॉस-सांस्कृतिक बातचीत को बढ़ावा मिलता है। यहां पढ़ने वाले छात्रों का दुनिया के किसी भी हिस्से में जॉब करना आसान होता है। दूसरी तरफ, भारतीय कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र भारत से ही होते हैं। यहां विदेशी छात्र ना के बराबर पढ़ने आते हैं, जिस वजह से उन्हें ग्लोबल एक्सपोजर नहीं मिल पाता है।



इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटी

अमेरिकी कॉलेज अपने अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और वर्ल्ड-क्लास सुविधाओं के लिए जाने जाते हैं। वे रिसर्च लैब, लाइब्रेरी, टेक्नोलॉजी लैब और स्टूडेंट सपोर्ट सर्विस में महत्वपूर्ण निवेश करते हैं। कैंपस अक्सर अच्छी तरह से बनाए जाते हैं और सीखने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। दूसरी तरफ, भारतीय कॉलेजों में लैब्स तो होती हैं, लेकिन रिसर्च की ज्यादा अच्छी सुविधा नहीं होती है। छोटे शहरों के कॉलेजों में तो लैब्स के साथ-साथ कैंपस का भी बुरा हाल होता है।



पढ़ाई का खर्च और स्कॉलरशिप

भारतीय कॉलेज में पढ़ाई करना अमेरिकी कॉलेज में पढ़ने के मुकाबले ज्यादा किफायती है। अमेरिका में ट्यूशन फीस और रहने का खर्च काफी ज्यादा हो सकता है, हालांकि वित्तीय सहायता और स्कॉलरशिप इस लागत को कम करने में मदद करती हैं। भारतीय कॉलेजों में ट्यूशन फीस काफी कम होती है। प्रतिभाशाली छात्रों को कई तरह की स्कॉलरशिप भी मिलती हैं। यही वजह है कि ज्यादातर छात्र भारत में पढ़ना पसंद करते हैं।