NEET और JEE के नाम से लगता था डर! हिंदी मीडियम का वो स्टूडेंट कैसे बना टॉपर? 11वीं में लेना चाहता था आर्ट्स

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NEET Success Story: राजस्थान के एक छोटे से कस्बे नोहर (हनुमानगढ़) में रहने वाला महेश कुमार अक्सर अपने स्कूल के मैदान में अकेले बैठा करता था। उसके हाथ में किताबें होती थीं, लेकिन मन में उलझन। वह सोचता, 'क्या मुझसे होगा? क्या हिंदी मीडियम वाला लड़का JEE या NEET जैसी परीक्षा पास कर सकता है?'
उसके आसपास के लोग भी कहते, 'भाई, इन परीक्षाओं में तो इंग्लिश मीडियम वाले ही बाजी मारते हैं।' महेश भी कभी सोचता था कि शायद वो आर्ट्स लेकर IAS या RAS की तैयारी करे — क्योंकि मेडिकल तो उसके लिए दूर की कौड़ी थी। लेकिन भविष्य कुछ और ही होने वाला था। यहां जानिए महेश की सक्सेस स्टोरी

बहन की बात सुनकर बदला नजरिया
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10वीं क्लास के बाद जब स्ट्रीम चुनने का वक्त आया, तो घर में बहस छिड़ गई।

महेश की मां हेमलता बागवानी खुद एक टीचर हैं, वह चाहती थीं कि बेटा वो करे जिसमें उसका मन लगे।

पर बहन हिमांशी ने एक दिन धीरे से कहा, 'भैया, आप चाहो तो मेडिकल कर सकते हो। डर से नहीं, हिम्मत से सोचो।' वो बात महेश के दिल को छू गई।


मेडिकल की दुनिया में पहला कदम
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11वीं में साइंस लेकर महेश ने एक नई राह पर कदम रखा। शुरुआत में डर था, लेकिन फिर उसने कोचिंग क्लासेस में जाना शुरू किया। वहां उसे इंग्लिश में सवाल समझने में दिक्कत होती, लेकिन उसने हिंदी और इंग्लिश के सवालों में संतुलन बनाना सीख लिया।


हर टेस्ट पेपर में उसने खुद को थोड़ा और बेहतर किया। हर असफल कोशिश के पीछे उसने सीख छिपी देखी। 'अगर मैं डरता रहा तो जीतूंगा कैसे?' – यही सोचकर वह आगे बढ़ता गया।


NEET-UG 2025: एग्जाम के दिन की घबराहट
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परीक्षा का दिन आया। पेपर हाथ में आया तो फॉर्मेट बदला हुआ था। महेश के मन में घबराहट हुई। पर उसने खुद को कहा, 'शांत रहो, घबराओ मत। यही असली परीक्षा है।'पेपर देने के बाद उसे लगा कि 700 से ऊपर मार्क्स नहीं आएंगे। उसने बड़ी सादगी से अपने आंसर चेक किए — और देखा, सब कुछ उम्मीद से बेहतर था।



जब आया महेश का रिजल्ट, पहली ही कोशिश में टॉप
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14 जून 2025 की सुबह महेश के रिजल्ट पर लिखा था - 'Mahesh Kumar – AIR 1 – NEET UG 2025'

घर में एक खुशी भरा सन्नाटा था। मां की आंखों में आंसू थे। बहन खुशी से झूम रही थी। खुद महेश को यकीन नहीं हो रहा था कि उसने पूरे भारत में टॉप किया है — वो भी पहले ही प्रयास में।


सफलता की असली परिभाषा
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महेश ने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा था कि हिंदी मीडियम में पढ़ने वाला लड़का टॉपर बनेगा। लेकिन शायद मेरा डर ही मेरी सबसे बड़ी ताकत बन गया।'

उसकी मां गर्व से कहती हैं, 'जिस बेटे को हम आर्ट्स देना चाहते थे, उसने मेडिकल की सबसे कठिन परीक्षा में पहला स्थान पाया।'


आशीर्वाद देने पहुंचे सीएम और उप-मुख्यमंत्री
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महेश कुमार के नीट यूजी 2025 में पूरे भारत में पहला स्थान हासिल करने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने महेश को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने महेश को मिठाई खिलाई और दुपट्टा ओढ़ाकर शाबाशी दी, वहीं डिप्टी सीएम संग महेश ने खुशी-खुशी सेल्फी भी ली।



भाषा, शहर या मीडियम से फर्क नहीं पड़ता
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महेश कुमार की कहानी उन लाखों छात्रों के लिए उम्मीद की किरण है जो सोचते हैं कि भाषा, शहर या मीडियम उनकी उड़ान को रोक सकते हैं। उसने साबित कर दिया कि सपनों की कोई भाषा नहीं होती और मेहनत किसी भी मुश्किल को हरा सकती है।