इंसान नहीं ‘मसीहा’ हैं नाना पाटेकर, विधवाओं के सिर पर दी छत, मराठवाड़ा-लातूर में भगवान मानते हैं सैकड़ों किसान

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'संडे सिनेमा' में इस बार एक ऐसे एक्टर के बारे में बता रहे हैं, जो फिल्मी दुनिया के स्टारडम में खोने के बजाय अपनी चमक से किसानों की जिंदगी को रोशन कर रहे हैं। यह हैं नाना पाटेकर, जिन्होंने बहुत से किसानों की आत्महत्या को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। और तो और उन्होंने उन किसानों की विधवाओं की भी आर्थिक मदद की है, जिन्होंने पैसों की तंगी और फसल बर्बाद होने के कारण जान दे दी। नाना पाटेकर को किसानों का मसीहा कहा जाता है।


जब भी किसानों की आत्महत्या की बात होती है, तो सबसे पहले नाम महाराष्ट्र का आता है। किसानों की आत्महत्या के मामले में यह राज्य अव्वल रहा है। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में देश में कृषि क्षेत्र से जुड़े 11,290 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें 5,207 किसान और 6,083 खेतिहर मजदूर थे। किसानों की दयनीय स्थिति देख नाना पाटेकर ने उनकी मदद के लिए मराठी कलाकार मकरंद अनासपुरे के साथ मिलकर 'नाम फाउंडेशन' की शुरुआत की।

नाना पाटेकर ने कर दिया साबित- इंसानियत अभी भी जिंदा है

यही नहीं, अपने इस एनजीओ के तहत नाना पाटेकर ने लगभग 100 किसान परिवारों को 15-15 हजार रुपये के चेक बांटे थे। कहते हैं कि दुनिया में जब तक इंसान जिंदा है, तब तक इंसानियत भी जिंदा है। और यह नाना पाटेकर और मराठवाड़ के रहने वाले उनके दोस्त और एक्टक मकरंद अनासपुरे ने साबित कर दिया। साल 2015 में जब महाराष्ट्र के मराठवाड़ और लातूर घोर सूखे की ग्रस्त में था, तो हर किसान की उम्मीद टूट चुकी थी और दिल जख्मी थे।


1.5 करोड़ रुपये किसानों में बांट दिए, सरकार से पहले पहुंचाई मदद

किसान आत्महत्या करने को मजबूर थे। कई किसानों ने तब मौत को गले लगाना सबसे आसान रास्ता समझा था। यह देख नाना पाटेकर का दिल छलनी हो गया। उन्होंने अपनी गाड़ी खरीदने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये रखे हुए थे। उन्होंने मकरंद के साथ मिलकर वो रकम 15-15 हजार रुपये करके मराठवाड़, लातूर और विदर्भ के किसानों में बांट दी। वहां नाना पाटेकर ने सरकार से भी पहले आर्थिक मदद पहुंचाई थी।

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नाम फाउंडेशन शुरू, किसानों की मदद को बना लिया जिंदगी का मिशन

नाना पाटेकर ने जब किसानों की हालत करीब से देखी तो फैसला कर लिया कि उनके लिए कुछ करना है क्योंकि ये यहीं नहीं रुकने वाला है। तब उन्होंने नाम फाउंडेशन की शुरुआत की। और जब नाना पाटेकर किसानों को सहारा देने के लिए खड़े हुए, तो सैंकड़ों लोग भी एक्टर की मदद को खड़े हो गए। नाना पाटेकर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जैसे ही उनके एनजीओ की शुरुआत हुई, तो लोगों ने दो महीने के अंदर ही 60 करोड़ रुपये दिए थे।अब आलम यह कि नाना पाटेकर मराठवाड़ और विदर्भ में ही अपना वीकेंड बिताते हैं। उन्होंने किसानों की मदद को अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया है।


खुद ने देखी गरीबी और भूख, तो समझते हैं किसानों का भी दुख

नाना पाटेकर खुद एक गरीब परिवार से आते हैं और खूब स्ट्रगल झेला था। वह कभी जेब्रा क्रॉसिंग पेंट करके पेट भरते थे, और 13 साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। घर के हालात ऐसे थे कि नाना पाटेकर एक बार खाना खाकर गुजारा करते थे। यही वजह है कि नाना पाटेकर किसानों की तकलीफ, उनके दर्द को गहराई से समझते और महसूस करते हैं। नाना पाटेकर की वजह से महाराष्ट्र की 2,641 से अधिक किसानों की विधवाओं को आर्थिक मदद मिल चुकी है।


किसानों की विधवाओं के लिए इन इलाकों में बनवाए घर, दिया सामान

यही नहीं, नाना पाटेकर ने अपने एनजीओ के जरिए औरंगाबाद, पुणे, सोलापुर, जलना, बीड़, लातूर और अहमदनगर में विधवाओं के लिए घर भी बनवाए हैं। 'नाम' फाउंडेशन ने साल 2020 में दावा किया था कि किसानों की विधवाओं को लगभग 1270 सिलाई मशीनें, 600 बकरियां, 10 आटा चक्कियां और तीन नूडल मशीनें दी जा चुकी हैं।

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नाना पाटेकर की 80 करोड़ नेट वर्थ, फार्महाउस और 25 एकड़ जमीन

'मनी ट्री रियलटी' के मुताबिक, नाना पाटेकर की नेट वर्थ अभी 80 करोड़ रुपये है और काफी संपत्ति है। लेकिन इसके बावजूद वह बहुत ही सिंपल लाइफ जीते हैं। नाना पाटेकर के पास एक शानदार फॉर्महाउस है, जो पुणे के नजदीक खड़कवासला में स्थित है, और 25 एकड़ में फैला हुआ है। यहां नाना पाटेकर धान, गेहूं और चने की खेती करते हैं। उनके फार्महाउस में फिल्म 'एक : द पावर ऑफ वन' की शूटिंग भी हो चुकी है।

आम आदमी जैसी जिंदगी, कमाई का 90% किसानों की मदद में

नाना पाटेकर के फार्महाउस में काफी सारी गाय भैंसें भी हैं। उनके पास 3-4 कारें और मुंबई के अंधेरी में 750 स्क्वायर फीट में फैला हुआ एक फ्लैट है। नाना पाटेकर के पास आज इतनी लग्जरी है कि वह पूरी जिंदगी ऐशो-आराम में गुजार सकते हैं, पर वह फिर भी मां के साथ 1BHK फ्लैट में रहते हैं और एक आदमी जैसी जिंदगी जीते हैं। वह अपनी कमाई का 90 फीसदी हिस्सा किसानों की मदद में ही लगा देते हैं। एक बार नाना पाटेकर ने किसानों की मदद को लेकर मीडिया से कहा था, 'मरते दम तक जीने की वजह मिल गई है मुझे।'