अयोध्या का राम मंदिर और ताजमहल बनाने में इस्तेमाल हुआ एक ही पत्थर, जानें इसे घर में लगवाया तो कितना आएगा खर्च
लेकिन बहुत से लोगों को जानकर हैरानी होगी कि राम मंदिर और ताजमहल में एक ही पत्थर का इस्तेमाल हुआ है। पूरी दुनिया में मशहूर में इस सफेद पत्थर का नाम मकराना का मार्बल है, जो अपनी बेहतर क्वालिटी और कलर की वजह से खास पहचान रखता है। मकराना इस्तेमाल घर का फर्श बनाने में भी होता है, खासियत जानने के बाद आपका भी मन इसे अपने घर में लगवाने का है इसलिए हम खास मार्बल की कीमत भी बता रहे हैं।
राम मंदिर-ताजमहल में कहां लगा मकराना मार्बल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गर्भगृह में रामलला का आसन मकराना संगमरमर से बनाया गया है। श्रीराम मंदिर के फर्श पर भी मकराना का सफेद मार्बल लगा है। मंदिर के गर्भगृह में 13,300 घन फीट और फर्श में 95,300 वर्ग फीट मार्बल का उपयोग हुआ है।
दूसरी ओर मोहब्बत की निशानी ताज महल में भी मकराना मार्बल लगा है। जो सफेद पत्थरों और सुंदर नक्काशी के लिए ही जाना जाता है, इसकी सफेद चमक का राज की मकराना मार्बल है। इतना ही नहीं वहीं जयपुर का बिरला मंदिर, सिटी पैलेस भी मकराना मार्बल से बने हैं।
राजस्थान का है मकराना मार्बल
दरअसल मकराना एक उपखंड मुख्यालय है और एक छोटा शहर है। यह वर्तमान में राजस्थान के डीडवाना जिले के क्षेत्र में आता है। मकराना में मार्बल की कई खदाने हैं यहां लाखों टन में मार्बल का उत्पादन है। और, सफेद मार्बल इसी क्षेत्र के नाम से मकराना संगमरमर के नाम से मशहूर है। मकराना के मार्बल को मकान निर्माण में फर्श से लेकर भगवान की मूर्ति बनाने मे भी इस्तेमाल किया जाता है।
मकराना मार्बल की खासियत
- मकराना मार्बल अपनी बेदाग सफेद रंगत के लिए जाना जाता है। इसमें बहुत कम या न के बराबर अशुद्धियां होती हैं, जिससे यह समय के साथ पीला नहीं पड़ता। हालांकि अशुद्धियों के लेवल के आधार पर हल्के भूरे या गुलाबी रंग के शेड्स भी मिल सकते हैं।
- खास बात है कि मकराना मार्बल में 95 प्रतिशत से ऊपर कैल्शियम कार्बोनेट होता है, जो इसकी शुद्धता का मुख्य कारण है। यह इसे अत्यधिक टिकाऊ और लंबे समय तक अपनी चमक बनाए रखने में मदद करता है।
- मकराना मार्बल की जल अवशोषण दर भारत में किसी भी अन्य मार्बल की तुलना में सबसे कम है, लगभग 0.62% है। यह इसे पानी और नमी से होने वाले नुकसान से बचाकर रखती है। जिससे यह बाथरूम, किचन और बाहरी उपयोग के लिए भी बेस्ट है।
- इसकी करीबी इंटरलॉकिंग स्ट्रक्चर बहुत मजबूत और कठोर बनाती है। यह आसानी से खरोंचता, घिसता या टूटता नहीं, इसलिए ज्यादा इस्तेमाल होने वाली जगहों जैसे फर्श और काउंटरटॉप्स के लिए यह बहुत बढ़िया है।
- मकराना मार्बल थोड़ा पारदर्शी होता है, इसलिए जब इस पर रोशनी पड़ती है, तो यह हल्का चमकता हुआ या मुलायम रोशनी जैसा दिखता है। ताजमहल में ऐसा ही असर खासकर सूरज उगने और चांदनी रात में देखा जा सकता है।
- सबसे खास बात है कि मकराना मार्बल बिना किसी केमिकल के भी अपनी चमक और पॉलिश को लंबे समय तक वैसे ही बनाए रख सकता है।
- मकराना मार्बल में गर्मी सोखने और रोककर रखने की क्षमता भी बहुत ज़्यादा होती है, जिससे यह गर्मियों में घर को ठंडा और सर्दियों में गर्म रखने में मदद करता है।
मकराना मार्बल की पहचान

मकराना मार्बल के रंग चार प्रकार के होते हैं, इनमें शुद्ध सफेद, धारियों वाला सफेद, अल्फेटा और हल्का गुलाबी शामिल है।
- मकराना अलबाटा- यह सबसे लोकप्रिय और शुद्ध सफेद किस्म है, जिसमें हल्की काली या भूरी नसें होती हैं।
- मकराना कुमारी - इसमें अलबाटा की तुलना में थोड़ी कम सफेदी और अधिक गहरी नसें हो सकती हैं।
- मकराना डूंगरी - यह भी सफेद होता है, लेकिन इसमें कुछ ग्रे या हल्की गुलाबी रंगत हो सकती है।
- मकराना वंडर- यह अपेक्षाकृत कम महंगा होता है और इसमें अधिक पैटर्न और नसें हो सकती हैं।
घर में लगाने पर कितना आएगा खर्च
मकराना मार्बल की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है, सीधे तौर पर समझें तो जितने कम पैटर्न और नसें होंगी, मार्बल उतना ही महंगा होगा। इसमें अलबाटा जैसी शुद्ध सफेद और उच्च गुणवत्ता वाली किस्में सबसे महंगी होती हैं। बाजार में ये पत्थर आपको 100 से 3000 रुपये स्क्वायर फीट के हिसाब से मिल जाएगा। अब आपको घर में जितने स्क्वायर फीट में पत्थर लगवाना है, उसके हिसाब से पैसे खर्च करने होंगे। इस तरह से आप घर में मकराना मार्बल लगवा सकते हैं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में किए गए दावे इंटरनेट पर मिली जानकारी पर आधारित हैं। एनबीटी इसकी सत्यता और सटीकता जिम्मेदारी नहीं लेता है।