प्रेगनेंसी में तरबूज खाना हो सकता है फायदेमंद, प्रियंका चोपड़ा ने बताया go-to snack, जानिए क्यों
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को खास देखभाल की जरूरत होती है, खासतौर पर खानपान को लेकर। इस समय अगर आपका डॉक्टर तरबूज खाने की सलाह दे रहा है, तो इसके पीछे एक मजबूत वजह है। तरबूज सिर्फ एक ठंडा और रसदार फल ही नहीं, बल्कि गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण से भरपूर सुपरफूड है।
गर्भावस्था में मिचली, उल्टी, मांसपेशियों में खिंचाव और पेट में जलन जैसी समस्याएं आम हैं। ऐसे में तरबूज का सेवन शरीर को ठंडक पहुंचाता है और इन समस्याओं से राहत देता है। इसमें मौजूद पानी की मात्रा शरीर को हाइड्रेट रखती है, वहीं विटामिन ए, सी और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व मां और बच्चे दोनों के विकास में मदद करते हैं।
तरबूज में कैलोरी कम होती है और फाइबर ज्यादा, जिससे पाचन तंत्र बेहतर होता है। साथ ही यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और त्वचा की चमक बनाए रखता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि तरबूज गर्भावस्था में क्यों खाना चाहिए, इसके फायदे क्या हैं, कितनी मात्रा में खाएं और किन सावधानियों का ध्यान रखें। (Photo Credit):canva
गर्भावस्था में तरबूज क्यों है सबसे बेहतरीन फल
डॉ मंजरी चंद्रा, कंसलटेंट क्लिनिकल एंड फंक्शनल न्यूट्रिशन, मैक्स हॉस्पिटल, गुरुग्राम के मुताबिक तरबूज में लगभग 92% पानी होता है, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। गर्भवती महिलाओं को अक्सर डिहाइड्रेशन, थकान और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में तरबूज एक नेचुरल कूलेंट की तरह काम करता है। इसमें विटामिन A, C और B6 के साथ-साथ मैग्नीशियम और पोटेशियम भी भरपूर मात्रा में होते हैं जो शरीर के मेटाबॉलिज्म और इम्यूनिटी को बेहतर बनाते हैं। यह मसल क्रैम्प्स को भी कम करता है जो अक्सर प्रेगनेंसी में होते हैं। इसके सेवन से न केवल शरीर को ठंडक मिलती है बल्कि मूड भी फ्रेश होता है।
हार्टबर्न से राहत पाने में कैसे करता है मदद

प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में महिलाओं को अक्सर मॉर्निंग सिकनेस यानी उल्टी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। तरबूज का सेवन इन समस्याओं को कम करने में कारगर माना जाता है। इसका रिफ्रेशिंग फ्लेवर पेट को शांत करता है और एसिडिटी से भी राहत देता है। इसके प्राकृतिक शुगर शरीर को एनर्जी देती है जिससे थकान भी कम महसूस होती है। साथ ही यह पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है जिससे हार्टबर्न जैसी समस्या में आराम मिलता है।
पेट की गर्मी और शरीर की सूजन को करता है कम
तरबूज की ठंडी तासीर पेट की गर्मी को कम करती है, जिससे शरीर को राहत मिलती है। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को सूजन और जलन की समस्या हो जाती है, खासकर टांगों में। तरबूज में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम रक्त प्रवाह को संतुलित करते हैं, जिससे सूजन में आराम मिलता है। साथ ही यह ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मदद करता है। गर्मियों में यह शरीर का टेंपरेचर संतुलित रखता है और आपको अंदर से फ्रेश महसूस कराता है।
कब और कितनी मात्रा में खाना चाहिए तरबूज

गर्भवती महिलाओं को तरबूज दिन के समय खाना ज्यादा फायदेमंद होता है, खासकर सुबह या दोपहर में। कोशिश करें कि इसे खाली पेट न खाएं और न ही रात को सोने से पहले। एक दिन में 1 से 2 कटोरी तरबूज पर्याप्त होता है। इसे जूस की बजाय कटे हुए टुकड़ों में खाना बेहतर होता है ताकि उसमें मौजूद फाइबर का फायदा मिल सके। ध्यान रहे कि बहुत अधिक तरबूज खाने से बार-बार पेशाब आ सकता है, जिससे नींद में खलल पड़ सकता है।
किन पोषक तत्वों से भरपूर होता है तरबूज
तरबूज में कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो गर्भावस्था के लिए जरूरी होते हैं। इसमें विटामिन A आंखों की सेहत के लिए, विटामिन C इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए और फोलिक एसिड भ्रूण के विकास के लिए अहम है। इसके अलावा इसमें लाइकोपीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो त्वचा की चमक बढ़ाता है और कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचाता है। इसके अलावा इसमें कैलोरी कम और पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे यह वजन कंट्रोल में भी मदद करता है।
तरबूज खाते समय किन सावधानियों का रखें ध्यान
हालांकि तरबूज बेहद फायदेमंद है, लेकिन इसे खाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। हमेशा ताजा और पका हुआ तरबूज ही खाएं। कटे हुए तरबूज को ज्यादा देर फ्रिज में न रखें और उसे तुरंत खा लें। बाहर खुले में कटा तरबूज खाने से परहेज करें क्योंकि इससे फूड पॉइजनिंग का खतरा हो सकता है। अगर आपको डायबिटीज है या डॉक्टर ने शुगर लिमिट करने की सलाह दी है, तो तरबूज की मात्रा सीमित रखें। सही मात्रा में और सही समय पर खाया गया तरबूज गर्भावस्था के दौरान अमृत से कम नहीं है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।