पूरा दिन कुर्सी पर बैठे रहते हैं, तो अपनाइए 30-30-30 नियम और तेजी से घटाएं पेट की चर्बी
आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अधिकतर लोग घंटों कंप्यूटर या डेस्क के सामने बैठे रहते हैं। नतीजा—वजन बढ़ना, मेटाबॉलिज्म स्लो होना और फिटनेस का गिरता ग्राफ। ऐसे में 30-30-30 रूल एक आसान, असरदार और बिना जिम जाए अपनाने वाला तरीका बन गया है। यह रूल खास उन लोगों के लिए है जो ऑफिस या घर पर लंबी देर तक बैठकर काम करते हैं।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर अखिलेश यादव
जो लोग डाइटिंग से डरते हैं या जिम जाने का समय नहीं निकाल पाते, उनके लिए यह रूल एक प्रैक्टिकल और सहज उपाय है। इसे अपनाकर आप धीरे-धीरे न सिर्फ स्लिम दिखने लगेंगे, बल्कि अंदर से भी हेल्दी महसूस करेंगे। (photo Credit):canva
30 ग्राम प्रोटीन से दिन की सही शुरुआत क्यों जरूरी है
सुबह उठते ही शरीर को पोषण की ज़रूरत होती है। 30 ग्राम प्रोटीन से दिन की शुरुआत करने से मेटाबॉलिज्म एक्टिव होता है और लंबे समय तक भूख नहीं लगती। अंडे, ग्रीक योगर्ट, पनीर या प्रोटीन शेक जैसे विकल्प इसमें मददगार हैं। इससे न केवल वजन कंट्रोल में रहता है, बल्कि मसल्स भी मजबूत बनते हैं। ऑफिस जाने से पहले यदि पेट भर कर और संतुलित प्रोटीन लिया जाए, तो दिनभर एनर्जी बनी रहती है और अनहेल्दी स्नैकिंग की जरूरत नहीं पड़ती। यह एक ऐसी आदत है जो धीरे-धीरे आपके शरीर को ट्रिम और टोन करने में मदद करती है।
30 मिनट की वॉक—सिर्फ कदम नहीं, सेहत की ओर बढ़ते रास्ते
अगर आप पूरा दिन बैठे रहते हैं तो 30 मिनट की वॉक आपके लिए वरदान है। चलने से न सिर्फ कैलोरी बर्न होती है बल्कि ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है। वॉक से मानसिक तनाव भी कम होता है और शरीर में लचीलापन आता है। इस रूल में सुबह वॉक करने की सलाह दी जाती है ताकि मेटाबॉलिज्म जल्दी एक्टिव हो जाए। तेज़ चाल से चलना, स्टेयर क्लाइम्बिंग या हल्का जॉगिंग भी इसका हिस्सा हो सकता है। रोज़ाना 30 मिनट निकालना मुश्किल नहीं, बस थोड़ा सा समय खुद के लिए तय करना जरूरी है।
30 मिनट बाद नाश्ता—डाइजेशन और फैट बर्निंग का अनोखा फॉर्मूला
जैसे ही आप उठते हैं, शरीर धीरे-धीरे एक्टिव होता है। अगर तुरंत भारी नाश्ता कर लिया जाए तो डाइजेशन पर असर पड़ता है। इसलिए 30 मिनट बाद ब्रेकफास्ट करने से पाचन तंत्र को एक्टिव होने का वक्त मिलता है। साथ ही, इस ब्रेक से शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी भी बेहतर होती है, जो फैट स्टोरेज को कम करने में मदद करती है। ये आदत इंटरमिटेंट फास्टिंग से काफी मिलती-जुलती है, लेकिन इसके नियम आसान हैं। कुल मिलाकर यह फैट को बर्न करने और लंबे समय तक ऊर्जा बनाए रखने में सहायक है।
कुर्सी से उठिए, खुद को उठाइए—सीडेंटरी लाइफस्टाइल को कहें अलविदा

पूरे दिन कुर्सी पर बैठे रहना आपकी कमर, गर्दन और वजन तीनों पर बुरा असर डालता है। इससे सिर्फ पेट नहीं निकलता बल्कि मोटापा, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल जैसे गंभीर मसलों की शुरुआत हो सकती है। 30-30-30 रूल आपको हर दिन छोटे-छोटे मूवमेंट्स के ज़रिये इस पैटर्न को तोड़ने का मौका देता है। जब आप अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ी सी एक्टिविटी, थोड़ा पोषण और थोड़ा इंतज़ार शामिल करते हैं, तब शरीर को राहत मिलती है। इससे थकान कम होती है और मन भी तरोताज़ा महसूस करता है।
फिटनेस बिना जिम—30-30-30 रूल में छुपी स्मार्टनेस
इस रूल की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके लिए किसी महंगे जिम या स्पेशल ट्रेनिंग की जरूरत नहीं। यह नियम हर व्यक्ति, हर उम्र और हर रूटीन में फिट बैठता है। चाहे आप वर्क फ्रॉम होम कर रहे हों या ऑफिस में बिजी हों, थोड़ी सी योजना और इच्छाशक्ति से इसे अपनाया जा सकता है। प्रोटीन फूड्स घर पर आसानी से मिल जाते हैं, वॉक के लिए आपको सिर्फ जूते चाहिए और 30 मिनट की देरी से नाश्ता करना कोई मुश्किल काम नहीं। आसान नियम, बड़ा असर यही है इसकी खूबी।
धीरे-धीरे घटेगा वजन, लेकिन टिकेगा हमेशा
जो वजन तेजी से घटता है, वो अक्सर उतनी ही जल्दी वापस भी आ जाता है। लेकिन 30-30-30 रूल का असर धीमा लेकिन स्थायी होता है। यह आपकी आदतों को धीरे-धीरे बदलता है, जिससे आपकी बॉडी नैचुरल तरीके से फिट होती है। कोई एक्सट्रीम डाइटिंग नहीं, कोई भूखा रहना नहीं, बस तीन सरल नियम और थोड़ा अनुशासन। इससे शरीर की फूड प्रोसेसिंग क्षमता बेहतर होती है, भूख संतुलित रहती है और बिंग ईटिंग की प्रवृत्ति भी कम हो जाती है। यही वजह है कि यह रूल वज़न घटाने के साथ-साथ हेल्दी लाइफस्टाइल की ओर पहला कदम भी है।
डिस्क्लेमर : इस लेख में किए गए दावे इंस्टाग्राम वीडियो और इंटरनेट पर मिली जानकारी पर आधारित हैं । एनबीटी इसकी सत्यता और सटीकता जिम्मेदारी नहीं लेता है ।