क्या आपको भी कॉफी पीने के बाद आती है नींद, क्यों होता है ऐसा, कहीं खतरे की निशानी तो नहीं?

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कॉफी दुनिया भर में सबसे फेवरेट बेवरेज में से एक है। कॉफी के प्रति लोगों की दीवानगी देखते हुए इस पर अब तक कई सारे शोध किए जा चुके हैं, जिसमें इसके कई सारे हेल्थ बेनिफिट्स का खुलासा हो चुका है।

स्टडी के मुताबिक, कॉफी आपके फिजिकल और मेंटल हेल्थ को फिट रखने में अहम भूमिका निभा सकती है। यह दिल की बीमारियों से मरने का जोखिम कम होता है। इसके अलावा इसके सेवन से डायबिटीज, कुछ प्रकार के कैंसर, डिप्रेशन और चिंता के लक्षणों को भी कम किया जा सकता है।

कई लोग इसे रोजाना अपनी शौक के चलते पीना पसंद करते हैं तो कई लोग अपने काम पर फोकस करने के लिए कॉफी का सेवन करते हैं, क्योंकि यह नींद को भगाने का काम करती है। लेकिन क्या कभी आप पर कॉफी का उल्टा असर हुआ है। यानी कॉफी पीते ही आपको नींद या थकावट महसूस होने लगी हो। आइए जानते हैं आखिर ऐसा होता क्यों है।

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कॉफी पीने के बाद क्यों आती है नींद?

कई लोग अपने दिन भर की थकान उतारने या फिर उठने के बाद आंखों को अच्छी तरह से खोलने के लिए कॉफी का सेवन करते हैं। इसके अलावा काम और पढ़ाई के बीच में भी कई लोगों की कॉफी पीने की आदत होती है। क्योंकि यह पेय पदार्थ आपके थकान को कम करने, मूड को बेहतर बनाने और नींद को भगाने का काम करता है।

लेकिन कई बार इसका उल्टा असर भी लोगों में दिखाई देता है। कॉफी पीने के कुछ मिनट तक तो उनमें एनर्जी लेवल हाई रहेगा, लेकिन फिर थकावट या नींद की भावना महसूस होने लगती है। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है। शायद कुछ ही लोगों को इसकी वजह के बारे में पता होता है।

तो आपको बता दें कि जिन लोगों को कॉफी पीने के बाद थकान होने लगती है या फिर नींद आने लगती है, यह कैफीन के प्रति टॉलरेंस या कैफीन ब्रेन में केमिकल्स को कैसे प्रभावित करता है, इस पर डिपेंड करता है।


कैफीन है रिस्पॉन्सिबल

मेडिकल न्यूज टूडे की रिपोर्ट (ref.) में इस बारे में बताते हुए लिखा गया है कि कॉफी खुद लोगों को थकाने का काम नहीं करती है, बल्कि कॉफी में मौजूद कैफीन और शरीर पर इसके प्रभावकभी-कभी थकान का कारण बन सकते हैं।


कैफीन ब्रेन में एडेनोसाइन रिसेप्टर्स को करता है ब्लॉक

एडेनोसाइन एक ब्रेन केमिकल है, जो स्लीप-वेक साइकिल को प्रभावित करता है। जागने के दौरान एडेनोसाइन का स्तर बढ़ता है और नींद के दौरान कम हो जाता है। आमतौर पर एडेनोसाइन मॉलिक्यूल ब्रेन में स्पेशल रिसेप्टर्स से जुड़ते हैं,जो नींद की तैयारी में ब्रेन एक्टिविटी को स्लो डाउन कर देते हैं। हालांकि कैफीन एडेनोसाइन रिसेप्टर्स से जुड़कर ऐसा होने से रोकता है।

हमारा शरीर तेजी से कैफीन को अब्जॉर्ब करता है। इसे पीने के 45 मिनट के अंदर ही शरीर 99 फीसदी कैफीन को अवशोषित कर लेता है। जब कैफीन पूरी तरह से पच जाता है तो इसका प्रभाव खत्म हो जाता है और फिर नए एडेनोसाइन मॉलिक्यूल अपने रिसेप्टर्स से जुड़ सकते हैं,जिससे नींद आ सकती है। बता दें हर व्यक्ति के शरीर में कैफीन के रहने की अवधि अलग-अलग होती है।


कैफीन के प्रतिटॉलरेंसविकसित होना

जो लोग रेगुलर कॉफी और अन्य कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का सेवन करते हैं,उनमें इसके प्रति सहनशीलता यानीटॉलरेंस विकसित हो सकती है। एक स्टडी में भी सामने आया कि जो लोग रोजाना कॉफी का सेवन करते हैं, उनमेंकैफीन का प्रभाव कम होने लगा।

इसका मतलब है कि एक कप कॉफी पीने से आपको पहले जैसी ऊर्जा महसूस हो रही थी, रेगुलर कैफीन के संपर्क में रहने से अब उस तरह एनर्जी महसूस नहीं होगी। इसके लिए आपको अब अधिक कॉफी की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन ध्यान देने की बात ये है कि ज्यादा कॉफी के सेवन से अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि सहनशीलता में वृद्धि या नींद में खलल।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।