पहलगाम हमले पर कपिल देव ने तोड़ी चुप्पी... खून खोला तो कह दी ये बड़ी बात
नई दिल्ली: हाल ही में, जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमला हुआ। इस हमले के बाद, 1983 के वर्ल्ड कप विजेता कप्तान कपिल देव ने अपनी चिंता व्यक्त की। 22 अप्रैल को पहलगाम के लोकप्रिय पर्यटन स्थल बैसरन वैली में हुए इस आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए। भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी राजनयिक संबंध तोड़ दिए हैं और कुछ खास कदम उठाए हैं। कपिल देव ने दिया बड़ा बयान23 अप्रैल को, कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने पहलगाम आतंकी हमले के बारे में पूरी जानकारी ली। कपिल देव ने कहा कि वह देश के साथ हैं और देश जो भी करेगा, वह अच्छा होगा। वहीं पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद ने सरकार के कदमों का समर्थन करते हुए कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और सरकार इससे सख्ती से निपट रही है। उन्होंने कहा कि दोषियों को पकड़कर न्याय के कटघरे में लाना चाहिए।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर कपिल देव और पुलेला गोपीचंद ने दुख जताया है। उन्होंने सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। यह हमला 22 अप्रैल को हुआ था, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। कपिल देव ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा, 'मैं देश के साथ हूं। हमारा देश जो भी करेगा, वह अच्छा होगा।' इसका मतलब है कि कपिल देव सरकार के हर फैसले में साथ हैं। गोपीचंद ने कही ये बातगोपीचंद ने भी इस हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, 'यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और मुझे खुशी है कि सरकार इससे सख्ती से निपट रही है। अपराध करने वालों को पकड़कर न्याय दिलाना चाहिए। यह दुख की बात है कि हमने इतनी जानें गंवा दीं। मैं पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।' गोपीचंद ने सरकार से दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने की मांग की है। सरकार ने की कार्यवाहीसरकार ने कहा है कि हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों और उनके साजिशकर्ताओं को कड़ी सजा मिलेगी। सरकार ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए सिंधु जल संधि को निलंबित करने जैसे कई कदम उठाए हैं। पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सभी वीजा रद्द कर दिए हैं। इसके बाद, भारत में मौजूद कई पाकिस्तानी नागरिक अटारी बॉर्डर से वापस जा रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 24 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच 786 पाकिस्तानी नागरिक अटारी बॉर्डर से भारत से बाहर गए।
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