जातीय जनगणना पर BJP से अलग राह धर लिए चिराग, डिमांड से टेंशन में आएंगे नीतीश; लालू-तेजस्वी पकड़ लेंगे माथा

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पटना: जातीय जनगणना को लेकर दिल्ली से बिहार तक सियासी घमासान मचा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप और श्रेय लेने की होड़ लगी है। इस बीच केंद्रीय मंत्री और LJP (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश में जाति जनगणना कराना जरूरी है। लेकिन, इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। एलजेपीआर प्रमुख की इस मांग ने एक नई बहस छेड़ दी है।
आंकड़े सार्वजनिक ना होदरअसल, चिराग पासवान ने एक टीवी चैनल पर बात करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना होनी चाहिए। लेकिन, इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं होने चाहिए। चिराग पासवान के अनुसार, इससे समाज में विभाजन और नफरत फैल सकती है। अगर डेटा सार्वजनिक किया गया, तो इसका राजनीतिक फायदा उठाया जा सकता है। देश की नीतियों को सही दिशा देने को जातिगत जनगणनाचिराग पासवान का मानना है कि जातिगत जनगणना देश की नीतियों को सही दिशा देने के लिए जरूरी है। इससे वंचित लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा सकता है।
लेकिन, वह नहीं चाहते कि इसे प्रकाशित किया जाए। उनका कहना है कि डेटा का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी योजनाओं और नीति बनाने के लिए होना चाहिए। डेटा जरूरी लेकिन आंकड़ा...चिराग पासवान ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कितने प्रतिशत लोग किस जाति के हैं। इसका डेटा होना जरूरी है। जाति जनगणना जरूर कराई जानी चाहिए, लेकिन इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इन आंकड़ों के सार्वजनिक होने के बाद समाज में विभाजन और नफरत की स्थिति पैदा हो सकती है। चिराग की इस मांग पर सियासत संभवचिराग पासवान की इस मांग से देश की राजनीति में एक नई बहस शुरू हो सकती है।
विपक्ष आरोप लगा सकता है कि सरकार की मंशा ही यही है। फिलहाल, इसे चिराग पासवान का सुझाव और निजी विचार माना जा सकता है। अब देखना यह है कि चिराग पासवान की इस मांग पर सरकार क्या रुख अपनाती है। लेकिन, इतना तय है कि यह मुद्दा अभी शांत होने वाला नहीं है। इस पर आगे भी बहस जारी रहेगी।