धनखड़ को कितनी मिलेगी पेंशन, ट्रेन-प्लेन में फ्री यात्रा, 19 सितंबर से पहले क्यों जरूरी है उपराष्ट्रपति का चुनाव?

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नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को सबको चौंकाते हुए बड़ा फैसला ले लिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफा दे दिया है। इसे लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेज दिया। जगदीप धनखड़ ने अपना कार्यकाल पूरा होने के करीब 2 साल पहले ही यह इस्तीफा दिया। अपना कार्यकाल पूरा नहीं करने वाले वह देश के तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं। इस्तीफा देने के बाद अब उन्हें कितनी पेंशन मिलेगी और क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी?





उपराष्ट्रपति को इतनी मिलती रही है सैलरी

देश में उपराष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद होता है। 2018 में जब बजट पेश किया गया था, उस वक्त से उपराष्ट्रपति की सैलरी 4 लाख रुपए महीना तय कर दी गई थी। इसके अलावा, सरकारी आवास ट्रेन, प्लेन में मुफ्त यात्रा की सुविधा और मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है।



पद से हटने के बाद कितनी मिलती है पेंशन

पूर्व उपराष्ट्रपति को उनके कार्यकाल और सैलरी के आधार पर पेंशन तय होती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व उपराष्ट्रपतियों को उनकी सैलरी का करीब 50 से 60 फीसदी पेंशन के रूप में मिलता है। ऐसे में जगदीप धनखड़ को तकरीबन 2 से 2.5 लाख रुपए महीने पेंशन मिल सकती है। हालांकि, ये पेंशन उनके करीब 3 साल के कार्यकाल (2022 से 2025) और सरकार के नियमों पर निर्भर करेगी।



किस तरह की मिलेगी सुविधाएं, जान लीजिए

पूर्व राष्ट्रपति को मुफ्त इलाज सुविधाएं मिलती है।परिवार वालों की भी सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलती है। पूर्व उपराष्ट्रपति को ट्रेन और प्लेन में मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती है। उन्हें सरकारी आवास या हाउसिंग अलाउंस भी दिया जा सकता है, जो उनके निजी आवास की स्थिति पर निर्भर करता है। साथ ही जरूरत के मुताबिक, सुरक्षा भी मिलती है।



धनखड़ के बाद कौन संभालेगा कामकाज

जब उपराष्ट्रपति का पद खाली होता है, तो राज्यसभा के अध्यक्ष का काम नहीं रुकता। संविधान के अनुच्छेद 91 के अनुसार, राज्यसभा के उपसभापति को अधिकार है कि वे अस्थायी रूप से अध्यक्ष का काम संभालें। इसका मतलब है कि अगर वाइस प्रेसीडेंट का पद किसी कारण से खाली हो जाता है, तो राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन, चेयरमैन की सारी जिम्मेदारियां निभा सकते हैं। संविधान उन्हें यह शक्ति देता है।



19 सितंबर से पहले नया उपराष्ट्रपति चुना जाना क्यों जरूरी

उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे का मतलब है कि अब एक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होगा। संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 और उपराष्ट्रपति (चुनाव) नियम, 1974 उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को बताते हैं। नियमों के अनुसार, धनखड़ के इस्तीफे के 60 दिनों के भीतर और 19 सितंबर, 2025 से पहले चुनाव होना जरूरी है। यानी उपराष्ट्रपति के लिए जल्द ही चुनाव कराया जा सकता है।



उपराष्ट्रपति को चुनने वाले लोग कौन होते हैं?

संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य मिलकर उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। इसे आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहते हैं। इसमें एकल हस्तांतरणीय वोट का इस्तेमाल होता है। आसान भाषा में कहें तो सांसद एक गुप्त मतदान में सिर्फ एक वोट डालेंगे, लेकिन वो वोट कई उम्मीदवारों को दिया जा सकता है।



चुनाव आयोग बताएगा चुनाव की तारीख

अभी संसद में कुल 788 संसद सदस्य हैं। लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। चुनाव आयोग चुनाव की तारीख बताएगा। अभी जो BJP की NDA सरकार है, उसके पास लोकसभा और राज्यसभा में ज्यादा सांसद हैं। इसलिए, आने वाले दिनों में उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित नामों पर विचार किया जाएगा। इसलिए, संभावित नामों पर विचार किया जाएगा।