महेश जोशी के बाद गहलोत के एक और मंत्री 'फंसा', हाईकोर्ट से मिला प्रमोद जैन भाया को बड़ा झटका, पढ़ें पूरा मामला
जयपुर: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राज में कैबिनेट मंत्री रहे डॉ. महेश जोशी के बाद अब एक मंत्री की मुश्किलें बढ गई है। डॉ. महेश जोशी को जल जीवन मिशन घोटाले में गिरफ्तार होकर जेल पहुंच गए। अब खान मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया और उनकी पत्नी उर्मिला जैन भाया को राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। प्रमोद जैन भाया और उर्मिला जैन भाया की ओर से कोर्ट में याचिका लगाकर अलग अलग थानों में दर्ज 19 मुकदमों को रद्द करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए मुकमदों को रद्द करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने भाया और उनकी पत्नी को अगले दस दिन में जांच में शामिल होने के निर्देश दिए। प्रमोद जैन भाया ने कहा- राजनीतिक दुर्भावना से दर्ज कराए गए मुकदमे
पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया कि गत विधानसभा चुनाव में उनकी हार हो गई थी। चुनाव हारने के बाद सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों और उनके समर्थकों ने निशाना बनाकर झूठे मुकदमे दर्ज कराए। ना केवल प्रमोद जैन भाया बल्कि उनके परिवार के सदस्यों, नजदीकी रिश्तेदारों और समर्थकों के खिलाफ भी अलग अलग पुलिस थानों में झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं। भाया के वकील ने तर्क दिया कि मुकदमा दर्ज कराने वालों ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है। भाया और अन्य पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के बाद दर्ज कराए गए 19 अलग अलग मुकदमों को रद्द किया जाए। अगर ऐसा ना हो तो सभी मामलों की जांच किसी एक आईपीएस अधिकारी से कराई जाए। राजस्थान हाईकोर्ट ने साफ किया इनकार
याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किसी भी जांच अधिकारी पर दुर्भावना का आरोप नहीं लगाया गया है। ऐसे में सभी मुकदमों की जांच किसी एक आईपीएस अधिकारी से कराए जाने की जरूरत ही नहीं है। राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता के हर एफआईआर के तथ्य, अपराध की प्रकृति और परिवादी अलग-अलग व्यक्ति हैं। इन मुकदमों में अवैध खनन, नगर निगम के फर्जी दस्तावेज, फर्जी पट्टा और वित्तीय अनियमितता सहित गंभीर आरोप हैं। ऐसे में इनकी संयुक्त रूप से जांच नहीं हो सकती है। पूर्व में माननीय कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद याचिकाकर्ता यानी प्रमोद जैन भाया की पत्नी और अन्य आरोपियों ने दर्ज मुकदमों की जांच में सहयोग नहीं किया।
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