क्या है OGW नेटवर्क, जिसका फायदा उठाकर आतंकी फारुक अहमद ने कराया पहलगाम अटैक, जानें सबकुछ

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श्रीनगर: पहलगाम हमले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सूत्रों की मानें तो चार ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने आतंकियों की मदद की थी। आतंकियों ने बैसरन वैली के अलावा पहलगाम की बेताब वैली के साथ दो अन्य टूरिस्ट प्वाइंट की रेकी की थी। यह भी सामने आया है कि ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW ) ने रेकी से लेकर हमले तक में मदद की। एनआईए के साथ पुलिस और सुरक्षाबलों ने अभी तक काफी लोगों से पूछताछ की है। इनमें 186 लोगों को हिरासत में लिया गया गया है। सूत्रों के अनुसार ओवर ग्राउंड वर्कर्स के इस नेटवर्क पर लश्कर के टॉप कमांडर फारूक अहमद तीदवा की पकड़ है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार ऐसे लोग जो आतंकवादियों की मदद करते हैं। उनके नेटवर्क और समूह को ओवर ग्राउंड वर्कर्स कहा जाता है। फारूक अहमद असली मास्टमाइंड
पाकिस्तानी आतंकियों के जरिए हमला कराने की साजिश जब बुनी गई तो इसमें दो स्थानीय स्थिति से परिचित आतंकियों को शामिल किया। इसके साथ ओवर ग्राउंड वर्कर्स की मदद ली गई। लश्कर से जुड़े कुपवाड़ा के रहने वाले फारूक अहमद तीदवा ने आतंकियों के लिए ट्रेनर की भूमिका निभाई। उसने ही यह बताया कि कहां और कैसे पहुंचना है? इसमें कैसे और कहां पर किसकी मदद लेनी है? फारूक अहमद ने ओजीडब्ल्यू के नेटवर्क से पाकिस्तानी आतंकियों को हर मदद दिलवाई। सुरक्षा एजेंसियाें की मानें तो इस नेटवर्क का दूसरे आतंकी हमलों में भी हाथ रहा। यहीं वजह है कि पहलगाम हमले के बाद पुलिस से लेकर सुरक्षाबल ग्राउंड नेटवर्क एक्शन कर रहे हैं। 10 आतंकियों को घर को जमींदोज करके सख्त मैसेज दिया गया है। गिरफ्त में हैं कई सहयोगी
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने लश्कर के टॉप कमांडर फारूक अहमद तीदव के कई सहयोगियों को अरेस्ट किया है। यह भी सामने आया है कि पीओके में बैठकर कश्मीर में आतंक की जमीन तैयार कर रहा था। वह ओवर ग्राउंड वर्कर्स के संपर्क में था। कश्मीर में सबसे कायरना हमले को अंजाम देने के लिए उसने ओजीडब्ल्यू की मदद ली। कश्मीर के संदर्भ में OGW का मतलब उस व्यक्ति से है जो स्थानीय स्तर पर लॉजिस्टिक सपोर्ट देता हो। मसलन, किसी भी काम करने के लिए जरूरी जानकारी और सामना की उपलब्धता सुनिश्चित करना। अक्सर यह टर्म आतंकियों के मददगार के इस्तेमाल होता है। OGW आतंकियों और कुछ मामलों में सेना दोनों के मददगार हो सकते हैं। ओजीडब्ल्यू की क्या है अहमियत?
कश्मीर में आतंकी घटनाओं पर पैनी नजर रखने वाले एक्सपर्ट कहते हैं कि ओजीडब्ल्यू सशस्त्र समूहों को संचालन के लिए आवश्यक धन, आश्रय, हथियार और अन्य सामग्री जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करते हैं। दूसरे शब्दों में ओवर ग्राउंड वर्कर कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी और आतंकी संगठनों के लिए सहायता प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक हैं, जो उनके संचालन, भर्ती और रसद में भूमिका निभाते हैं। ये आतंकवादियों को क्षेत्र में घूमने में मदद करते हैं, उन्हें सुरक्षित मार्ग और छिपने के स्थान प्रदान करते हैं। कुछ ओजीडब्ल्यू स्थानीय युवाओं को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए भर्ती करने में भी शामिल हैं। ओजीडब्ल्यू को एक संगठित नेटवर्क माना जाता है। पहलगाम हमले में OGW की भूमिका आतंकवादियों को आश्रय और रसद सहायता देने से जोड़ी गई है।