तीन जंगों में हुआ इस्तेमाल, फिरोजपुर में बेच डाली गई एयरफोर्स की हवाई पट्टी, पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट भी हैरान

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चंडीगढ़ : पंजाब में एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां के फिरोजपुर में एक हवाई पट्टी की को दलालों ने बेच दिया। हवाई पट्टी की धोखाधड़ी से बिक्री के मामले में पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। यह हवाई पट्टी फत्तूवाला गांव में है। हाई कोर्ट ने पंजाब सतर्कता ब्यूरो के निदेशक को खुद आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है।
जरूरत पड़ने पर कार्रवाई करने को भी कहा है। खास बात है कि फिरोजपुर की यह हवाई पट्टी 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में इस्तेमाल हुई थी।इस हवाई पट्टी को धोखे से बेच दिया गया। निशान सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सख्त आदेश दिया है। याचिका में सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई थी। इस तरह फ्रॉड आया सामनेदरअसल, फत्तूवाला गांव में एक जमीन है। भारत सरकार ने 87 साल पहले इसे 1937-38 में खरीदा था। यह जमीन भारतीय सेना के पास थी। आरोप है कि 1997 में राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी करके इसे बेच दिया गया।
याचिका में बताया गया कि जमीन के असली मालिक मदन मोहन लाल की मृत्यु 1991 में हो गई थी। उसके बाद 2009-10 में राजस्व रिकॉर्ड में कुछ प्राइवेट लोगों के नाम दर्ज कर दिए गए। जबकि भारतीय सेना ने कभी भी इस जमीन का कब्जा नहीं छोड़ा। आज भी सेना इस जमीन का इस्तेमाल लैंडिंग ग्राउंड के तौर पर कर रही है। फिरोजपुर डिप्टी कमिश्नर की ढिलाई पर सवालजस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की सिंगल बेंच ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर की लापरवाही पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा से जुड़ी जमीन के मामले में फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर ने जो ढिलाई दिखाई है।
वह चौंकाने वाली और माफ करने लायक नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की रक्षा के लिए तैनात सेना को राज्यपाल से गुहार लगानी पड़ी। 2023 में हुए थे जांच के आदेशकोर्ट ने पहले 21 दिसंबर 2023 को इस मामले में जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि 6 महीने के अंदर जांच पूरी हो जानी चाहिए। लेकिन आदेश के बाद भी कोई खास कार्रवाई नहीं हुई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।