IUCN वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे कीर्तिवर्धन सिंह, संकटग्रस्त वन्यजीवों की रेडलिस्ट भी होगी जारी

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विशाल सिंह, गोंडा: जैव विविधता के मामले में भारत दुनिया के 17 प्रमुख देशों में शुमार है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जैव विविधता संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। संकटग्रस्त जीव-जंतु प्रजातियों के संरक्षण की मुहिम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलने वाली है। संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में 9 अक्टूबर से शुरू हो रहे IUCN के वैश्विक सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री तथा गोंडा से लोकसभा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह 'राजा भैया' करेंगे। इस दौरान वे अन्य देशों के पर्यावरण मंत्रियों के साथ संवाद भी करेंगे।



सम्मेलन का महत्वIUCN (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) सम्मेलन पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक मंच है। सम्मेलन के पहले दिन भारतीय संकटग्रस्त वन्यजीवों और वनस्पतियों की राष्ट्रीय रेडलिस्ट जारी की जाएगी। इसके अलावा, एक विजन डॉक्यूमेंट भी लॉन्च किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह IUCN की अध्यक्ष रजान खलीफा अल मुबारक के साथ राउंड टेबल संवाद में भाग लेंगे। इस संवाद में दुनिया भर से आए पर्यावरण मंत्रियों के साथ संरक्षण मुद्दों पर गहन चर्चा होगी।



भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय रेड लिस्ट आकलन की पहल की है, जो संकटग्रस्त प्रजातियों की स्थिति को वैज्ञानिक आधार पर दर्शाएगी। यह कदम भारत की जैव विविधता संरक्षण प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा।



IUCN क्या है?IUCN यानी इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर, प्राकृतिक संरक्षण के लिए स्थापित एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसकी स्थापना 1948 में हुई थी और इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के ग्लैंड में स्थित है। संगठन का मुख्य उद्देश्य प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है। वर्तमान में IUCN में 1400 से अधिक सदस्य संगठन और 160 से ज्यादा देश शामिल हैं, जिनमें सरकारी एजेंसियां और गैर-सरकारी संगठन (NGOs) सम्मिलित हैं।



IUCN संरक्षित क्षेत्रों की निगरानी के लिए 'ग्रीन लिस्ट' और 'वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक' जैसे कार्यक्रम संचालित करता है। संगठन सरकारों और संस्थाओं को पर्यावरण नीतियां बनाने में मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसके पास 17,000 से अधिक विशेषज्ञों का वैश्विक नेटवर्क है, जो नई तकनीकों और नीतियों पर सलाह देता है।



IUCN रेड लिस्ट का महत्वIUCN की रेड लिस्ट विश्व भर की जीव-जंतु और वानस्पतिक प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति को प्रतिबिंबित करती है। इसमें 'संकटग्रस्त', 'अत्यंत संकटग्रस्त' और 'विलुप्त' जैसी श्रेणियां शामिल हैं। यह सूची वैश्विक स्तर पर संरक्षण प्रयासों को निर्देशित करने में सहायक है। अबू धाबी सम्मेलन में जारी होने वाली भारतीय रेडलिस्ट इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी, जो देश की संकटग्रस्त प्रजातियों की वास्तविक स्थिति को उजागर करेगी।



IUCN के संरक्षण प्रयासवर्तमान में विश्व की 28 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं। एक प्रजाति के विलुप्त होने से न केवल अन्य प्रजातियां प्रभावित होती हैं, बल्कि पारिस्थितिक तंत्र और मानव जीवन पर भी विपरीत असर पड़ता है। IUCN पूरे विश्व में 300 से अधिक संरक्षण कार्यक्रमों का समर्थन करता है। ये कार्यक्रम प्रजातियों पर मंडराते संकटों जैसे जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आवास का विनाश और अवैध शिकार से निपटने पर केंद्रित हैं।



संगठन स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर जैव विविधता नीतियों को मजबूत बनाने के लिए देशों के साथ सहयोग करता है। IUCN के प्रयास प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।