चीन यूक्रेन में रूस की हार नहीं देख सकता... चीनी विदेश मंत्री ने कबूल किया अपना सबसे बड़ा डर, जानें बीजिंग को किस चीज का खौफ
ब्रसेल्स: रूस और यूक्रेन में 3 साल से ज्यादा समय से चल रहे युद्ध को लेकर चीन खौफ में है। चीन किसी भी हाल में रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध हारते हुए नहीं देखना चाहता है। उसे डर है कि अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका अपना पूरा ध्यान चीन की ओर लगा देगा। चीने के विदेश मंत्री वांग यी ने यूरोपीय संघ के नेताओं के सामने इस डर को कबूल किया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, वांग ने शुक्रवार को यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख काजा कालास से मुलाकात के दौरान यह टिप्पणी की थी।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से मीडिया ब्रीफिंग में वांग यी की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सवाल को टाल दिया। SCMP ने बताया कि वांग की टिप्पणियों ने यूरोपीय संघ के कुछ अधिकारियों को हैरान कर दिया है। वांग इस समय यूरोपीय संघ के दौरे पर हैं। हालांकि, चीनी विदेश मंत्री ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि चीन रूस के युद्ध प्रयासों का भौतिक रूप से समर्थन कर था।
रूस को समर्थन के आरोपों से इनकार
वांग ने जोर देकर कहा कि अगर चीन ऐसा कर रहा होता तो युद्ध बहुत पहले ही समाप्त हो गया होता। कई मुद्दों पर चार घंटे की बहस के दौरान वांग ने कहा कि उन्होंने कालास को वास्तविक राजनीति की हकीकत बताई, जिसमें बीजिंग का यह विश्वास शामिल है कि वॉशिंगटन जल्द ही अपना ध्यान पूर्व (चीन) की ओर लगाएगा। SCMP की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रसेल्स में वांग के बयान को ऐसे समझा जा सकता है कि चीन ने युद्ध के लिए नहीं कहा है, लेकिन जब तक अमेरिका यूक्रेन में लगा रहेगा, तब तक इसका विस्तार उसकी रणनीतिक जरूरतों के अनुकूल हो सकता है।
यूक्रेन को धमकी दे चुके हैं ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बार-बार कीव को छोड़ने की धमकी दी है और कई बार उन्हें संघर्ष को लेकर रूस के पक्ष में एक कट्टर रुख अपनाते हुए देखा गया है। पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को पेंटागन ने यूक्रेन को कुछ वायु रक्षा मिसाइलों और अन्य सटीक हथियारों की खेप रोक दी, क्योंकि उन्हें डर था कि अमेरिका का भंडार कम हो रहा है।
चीन और यूरोपीय संघ में टकराव
यूक्रेन में तीन साल से ज्यादा समय से जारी युद्ध चीन और यूरोपीय ब्लॉक के बीच टकराव की सबसे बड़ी वजहों में से एक बना हुआ है। इसने रूस को दोहरे उपयोग की वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए बीजिंग की आलोचना की है। बीजिंग ने इस आरोप का खंडन किया है और खुद को एक शांतिदूत के रूप में पेश किया है जो मॉस्को और कीव दोनों को भागीदार मानता है। हालांकि, चीन ने कभी भी रूस के आक्रमण की आलोचना नहीं की और मास्को के साथ घनिष्ठ कूटनीतिक और आर्थिक संबंध बनाए रखे, जो यूरोपीय नेताओं की नाराजगी की प्रमुख वजह है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से मीडिया ब्रीफिंग में वांग यी की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सवाल को टाल दिया। SCMP ने बताया कि वांग की टिप्पणियों ने यूरोपीय संघ के कुछ अधिकारियों को हैरान कर दिया है। वांग इस समय यूरोपीय संघ के दौरे पर हैं। हालांकि, चीनी विदेश मंत्री ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि चीन रूस के युद्ध प्रयासों का भौतिक रूप से समर्थन कर था।
रूस को समर्थन के आरोपों से इनकार
वांग ने जोर देकर कहा कि अगर चीन ऐसा कर रहा होता तो युद्ध बहुत पहले ही समाप्त हो गया होता। कई मुद्दों पर चार घंटे की बहस के दौरान वांग ने कहा कि उन्होंने कालास को वास्तविक राजनीति की हकीकत बताई, जिसमें बीजिंग का यह विश्वास शामिल है कि वॉशिंगटन जल्द ही अपना ध्यान पूर्व (चीन) की ओर लगाएगा। SCMP की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रसेल्स में वांग के बयान को ऐसे समझा जा सकता है कि चीन ने युद्ध के लिए नहीं कहा है, लेकिन जब तक अमेरिका यूक्रेन में लगा रहेगा, तब तक इसका विस्तार उसकी रणनीतिक जरूरतों के अनुकूल हो सकता है।
यूक्रेन को धमकी दे चुके हैं ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बार-बार कीव को छोड़ने की धमकी दी है और कई बार उन्हें संघर्ष को लेकर रूस के पक्ष में एक कट्टर रुख अपनाते हुए देखा गया है। पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को पेंटागन ने यूक्रेन को कुछ वायु रक्षा मिसाइलों और अन्य सटीक हथियारों की खेप रोक दी, क्योंकि उन्हें डर था कि अमेरिका का भंडार कम हो रहा है।
चीन और यूरोपीय संघ में टकराव
यूक्रेन में तीन साल से ज्यादा समय से जारी युद्ध चीन और यूरोपीय ब्लॉक के बीच टकराव की सबसे बड़ी वजहों में से एक बना हुआ है। इसने रूस को दोहरे उपयोग की वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए बीजिंग की आलोचना की है। बीजिंग ने इस आरोप का खंडन किया है और खुद को एक शांतिदूत के रूप में पेश किया है जो मॉस्को और कीव दोनों को भागीदार मानता है। हालांकि, चीन ने कभी भी रूस के आक्रमण की आलोचना नहीं की और मास्को के साथ घनिष्ठ कूटनीतिक और आर्थिक संबंध बनाए रखे, जो यूरोपीय नेताओं की नाराजगी की प्रमुख वजह है।
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