43 देशों को बिना वीजा के अमेरिका जाने की अनुमति है, क्या भारत भी इसमें शामिल है? पूरी सूची जानें
अमेरिकी वीज़ा छूट कार्यक्रम (वीडब्ल्यूपी) एक विशेष पहल है जो 43 देशों के नागरिकों को पर्यटन, व्यावसायिक यात्राओं या अन्य अल्पकालिक उद्देश्यों के लिए अप्रैल 2025 तक बिना वीज़ा के 90 दिनों तक अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति देता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य चुनिंदा मित्र देशों के साथ अमेरिका के संबंधों को मजबूत करना और दोनों दिशाओं में यात्रा को सुविधाजनक बनाना है। यह कार्यक्रम अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) और विदेश विभाग की देखरेख में संचालित होता है। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले देशों के नागरिकों को संयुक्त राज्य अमेरिका में वीज़ा-मुक्त प्रवेश मिलता है, और बदले में, अमेरिकी नागरिकों को भी उन देशों में यात्रा करने की अनुमति होती है, अक्सर बिना वीज़ा के।
वीज़ा छूट कार्यक्रम के अंतर्गत भाग लेने वाले 43 देशों की सूची (2025 तक):
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एंडोरा
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ऑस्ट्रेलिया
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ऑस्ट्रिया
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बेल्जियम
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ब्रुनेई
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चिली
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क्रोएशिया
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चेक रिपब्लिक
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डेनमार्क
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एस्तोनिया
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फिनलैंड
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फ्रांस
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जर्मनी
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ग्रीस (ग्रीस)
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हंगरी
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आइसलैंड
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आयरलैंड
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इजराइल
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इटली
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जापान
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दक्षिण कोरिया
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लातविया
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लिकटेंस्टाइन
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लिथुआनिया
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लक्समबर्ग
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माल्टा
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मोनाको
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नीदरलैंड (हॉलैंड)
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न्यूज़ीलैंड
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नॉर्वे
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पोलैंड
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पुर्तगाल
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रोमानिया
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सैन मारिनो
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सिंगापुर
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स्लोवाकिया
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स्लोवेनिया
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स्पेन
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स्वीडन
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स्विट्ज़रलैंड
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ताइवान
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यूनाइटेड किंगडम
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लिथुआनिया
नोट: कुछ सूचियों में देशों की संख्या 41 या 43 हो सकती है, क्योंकि कुछ देश हाल ही में कार्यक्रम में शामिल हुए हैं या सूची में अद्यतन जानकारी समय-समय पर बदलती रहती है।
क्या भारत इस सूची में शामिल है?
भारत फिलहाल वीज़ा छूट कार्यक्रम में शामिल नहीं है। इसलिए, भारतीय नागरिकों के लिए किसी भी उद्देश्य (पर्यटन, व्यवसाय, अध्ययन या व्यक्तिगत) के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने से पहले अमेरिकी वीज़ा प्राप्त करना अनिवार्य है। भारत को इस सूची में शामिल करने के लिए भारत और अमेरिका के बीच चर्चा चल रही है, लेकिन इसके लिए भारत को कुछ महत्वपूर्ण शर्तें पूरी करनी होंगी:
- अमेरिका द्वारा भारतीय नागरिकों को अस्वीकृत किए गए वीज़ा की अस्वीकृति दर को कम करना
- भारतीय पासपोर्ट की सुरक्षा स्तर में सुधार
- अमेरिकी नागरिकों के लिए भारत में वीज़ा-मुक्त प्रवेश
यह आपसी विश्वास और रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा है, इसलिए भविष्य में भारत के इसमें शामिल होने की संभावना है, लेकिन इसमें समय लग सकता है।