भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की आपात बैठक; क्या शाहबाज़ सरकार को पीटीआई का समर्थन मिलेगा?

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भारत-पाकिस्तान तनाव: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंचने के बीच पाकिस्तान सरकार ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। 5 मई 2025 को शाम 5 बजे इस्लामाबाद स्थित संसद भवन में नेशनल असेंबली की विशेष आपातकालीन बैठक बुलाई गई है। यह बैठक देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होने की संभावना है।

यह बैठक पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा बुलाई गई है और इसमें प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, सभी दलों के नेता, मंत्री और सुरक्षा विशेषज्ञ भाग लेंगे। समझा जाता है कि इस दौरान भारत के साथ गंभीर तनाव, सैन्य प्रतिक्रिया, घरेलू सुरक्षा रणनीति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के पक्ष में करने के प्रयासों पर चर्चा की जाएगी।

पहलगाम हमले के बाद भारत का कड़ा रुख – पाकिस्तान में हलचल

कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है। भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी राजनयिक संबंध तोड़ दिए हैं, सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए हैं और उन्हें देश से बाहर भेज दिया है। इसके अलावा, भारत ने सिंधु जल संधि को समाप्त करने का निर्णय लिया है। दोनों देशों के बीच यह समझौता दशकों से था, लेकिन अब भारत ने इसे भी रोक दिया है और इस फैसले से पाकिस्तान में काफी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।

पाकिस्तान की बढ़ती बेचैनी, सैन्य गतिविधियां और धमकियां जारी

भारत के आक्रामक रुख से पाकिस्तान में भय का माहौल फैल गया है। पाकिस्तानी सेना, सेना प्रमुख असीम मुनीर के साथ कई गुप्त बैठकें कर रही है। इसके अलावा सीमा पर सायरन सिस्टम लगाए जा रहे हैं और मिसाइल परीक्षण भी बढ़ गए हैं। बिलावल भुट्टो ने तो यहां तक चेतावनी दे दी है कि सिंधु नदी में पानी की जगह खून बहेगा। इससे पाकिस्तानी सरकार की बेचैनी और अस्थिरता स्पष्ट रूप से उजागर होती है।

शाहबाज सरकार की मुश्किलें, क्या मिलेगा पीटीआई का साथ?

इस महत्वपूर्ण बैठक की पृष्ठभूमि में सबकी निगाहें इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी पर टिकी हैं। इमरान खान, जो इस समय जेल में हैं, की अनुपस्थिति में पीटीआई सरकार के सख्त खिलाफ है। इस बैठक में यह सवाल काफी अहम है कि क्या शाहबाज शरीफ को संसदीय स्तर पर पीटीआई का समर्थन मिलेगा। वर्तमान संकट से उबरने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच सहयोग आवश्यक है। लेकिन पीटीआई ने पहले भी कई सुरक्षा बैठकों का बहिष्कार किया है। यही कारण है कि इस बार भी उनके भाग लेने पर संदेह है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राष्ट्रपति के विशेष निमंत्रण पर पीटीआई क्या रुख अपनाती है।

पाकिस्तान की स्थिति बहुत संवेदनशील है।

पाकिस्तान में जारी अशांति, आतंकवाद के माहौल तथा भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न कठिनाइयों को देखते हुए यह बैठक पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण होगी। यदि देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां इस बार भी एकजुट नहीं हुईं तो पाकिस्तान की आंतरिक एकता टूट सकती है। पाकिस्तान की आगामी सुरक्षा नीति का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि शाहबाज शरीफ सरकार को पीटीआई का समर्थन मिलता है या नहीं, तथा भारत के गुस्से का जवाब देने के लिए क्या रणनीति बनाई जाती है।