Creamy Layer In OBC Reservation: ओबीसी क्रीमीलेयर संबंधी अहम प्रस्ताव पर विचार कर रही केंद्र सरकार!, जानिए क्या बदलाव होने के हैं आसार

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नई दिल्ली। ओबीसी आरक्षण के बारे में बड़ी खबर है। अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कुछ और क्षेत्रों को भी ओबीसी क्रीमीलेयर में लाने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार विचार कर रही है। इन क्षेत्रों में काम करने वाले ओबीसी वर्ग के लोगों पर क्रीमीलेयर अब तक लागू नहीं है। ऐसे में सरकार समतुल्यता बनाने के लिए इनको भी ओबीसी क्रीमीलेयर में लाने की तैयारी कर रही है। फिलहाल ओबीसी क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख रुपए सालाना की आय है।

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी, शिक्षण संस्थानों और राज्य सरकारों के अलग-अलग संगठनों में ओबीसी क्रीमीलेयर अभी लागू नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार इन क्षेत्रों में काम करने वालों को भी ओबीसी क्रीमीलेयर के दायरे में लाना चाहती है। यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर कम से कम लेवल 10 का वेतन पाते हैं। ये लेवल सरकारी नौकरी में लेवल-ए के बराबर है। ऐसे में इनको भी ओबीसी क्रीमीलेयर के दायरे में लाने की बात चल रही है। अगर सरकार ने ये कदम उठाया, तो इन पदों पर काम करने वालों के बेटे-बेटियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इनके अलावा राज्य सरकार के बोर्ड्स में उच्च पदों पर काम करने वालों के लिए भी ओबीसी क्रीमीलेयर की समतुल्यता लागू करने का प्रस्ताव है।

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मंडल आयोग की सिफारिश के आधार पर ओबीसी के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरी में 27 फीसदी आरक्षण तय किया गया था। हालांकि, राज्य अपने यहां ओबीसी समुदाय को इससे कम भी आरक्षण देते हैं। समतुल्यता न होने पर जरूरतमंदों को ओबीसी सर्टिफिकेट देने में भी दिक्कत आती है। केंद्र सरकार के उपक्रमों में समतुल्यता का फैसला साल 2017 में मोदी सरकार ने लिया था। ओबीसी समुदाय के जो लोग आर्थिक और सामाजिक तौर पर मजबूत होते हैं और संवैधानिक पदों पर रहते हैं, वे क्रीमीलेयर में माने गए हैं। साल 1993 में ओबीसी क्रीमीलेयर के लिए आय की सीमा 1 लाख रुपए रखी गई थी। बाद में लगातार इसे बढ़ाया जाता रहा।

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