Justice Yashwant Verma Case : जस्टिस यशवंत वर्मा केस में कपिल सिब्बल की दलील पर सुप्रीम कोर्ट बेंच को आया गुस्सा, कहा-सीजेआई कोई पोस्ट ऑफिस नहीं

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नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा केस की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच के सामने जस्टिस वर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के द्वारा महाभियोग की सिफारिश करना अंसवैधानिक है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि आतंरिक जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की जाए।

इतना ही नहीं सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के द्वारा जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच समिति गठित किए जाने के फैसले पर भी सवाल उठाए। कपिल सिब्बल की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट बेंच को गुस्सा आ गया और उसने कहा, चीफ जस्टिस कोई पोस्ट ऑफिस नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि आंतरिक जांच समिति की व्यवस्था साल 1999 में लागू की गई थी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई सुनिश्चित होती है। चीफ जस्टिस की देश के प्रति जिम्मेदारी है, अगर उनको लगेगा कि कुछ गड़बड़ है तो वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को इसके बारे में अवगत करा सकते हैं।

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा से कहा, आपको आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट के खिलाफ पहले हमारे पास आना चाहिए था। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने पहले संपर्क नहीं किया क्योंकि टेप जारी हो चुका था और उनकी प्रतिष्ठा पहले ही धूमिल हो चुकी थी। आपको बता दें कि घर से जला हुआ कैश बरामद होने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा को तीन जजों की समिति ने दोषी पाया था। जस्टिस वर्मा ने जांच समिति की रिपोर्ट को खारिज किए जाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। इसी रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन सीजेआई ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सरकार से सिफारिश की थी।

 

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