कश्मीर में केसर की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि
कश्मीर घाटी में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद केसर की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। वर्तमान में, केसर का मूल्य 5 लाख रुपये प्रति किलो से अधिक हो गया है, जो कि 10 ग्राम सोने की कीमत से लगभग पांच गुना ज्यादा है। यदि हालात में सुधार नहीं होता है, तो यह और भी महंगा हो सकता है।
महंगी होती कश्मीरी केसर
कश्मीरी केसर की उच्चतम गुणवत्ता की कीमत 5 लाख रुपये प्रति किलो को पार कर चुकी है। पिछले 10 दिनों में, इसकी कीमत में 50,000 से 75,000 रुपये की वृद्धि हुई है। बाजार की मांग और आपूर्ति के अनुसार, आतंकी हमले के बाद केसर की उपलब्धता में कमी आई है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने अटारी-वाघा सीमा को व्यापार के लिए बंद कर दिया है, जिससे अफगानिस्तान से केसर का आयात रुक गया है। भारत में केसर की मांग कश्मीरी केसर और अफगानिस्तान से आयात पर निर्भर करती है।
कश्मीरी केसर की बढ़ती मांग
भारत में हर साल लगभग 55 टन केसर की खपत होती है। कश्मीर में, विशेष रूप से पुलवामा, पंपोर, बडगाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ में केसर का उत्पादन होता है, जहां 6 से 7 टन केसर उगाया जाता है। शेष 48 टन केसर अफगानिस्तान और ईरान से आयात किया जाता है। अफगानी केसर अपनी रंगत और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है, जबकि ईरानी केसर सस्ता होने के कारण अधिक उपयोग किया जाता है।
कश्मीरी केसर को GI टैग
केसर दुनिया के सबसे महंगे कृषि उत्पादों में से एक है। कश्मीरी केसर अपने गहरे लाल रंग, तेज सुगंध और क्रोसिन की उच्च मात्रा के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। क्रोसिन के कारण ही केसर का रंग गहरा होता है। यह दुनिया का एकमात्र केसर है, जो समुद्र तल से 1600 मीटर की ऊंचाई पर उगाया जाता है। 2020 में कश्मीरी केसर को जीआई टैग मिला, जिसका उद्देश्य इसकी पहचान को सुरक्षित करना है।
किसानों की खुशी
राष्ट्रीय केसर मिशन और सरकारी प्रयासों के चलते केसर के व्यापार को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिला है। पिछले कई वर्षों से केसर की कीमतें गिर रही थीं, जिससे बिचौलियों को लाभ हो रहा था। ईरानी केसर की प्रतिस्पर्धा के कारण कई किसान अन्य फसलों की खेती करने लगे थे, लेकिन अब केसर की कीमतों में वृद्धि से किसानों को राहत मिली है। हालांकि, यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि केसर की यह कीमत कब तक बनी रहेगी।