ईरान-इजरायल टकराव से भारत की अर्थव्यवस्था पर तगड़ा असर: महंगाई, तेल और व्यापार पर तीनहरा संकट
ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध अब केवल सैन्य या राजनीतिक मसला नहीं रहा, बल्कि इसने भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए सीधा आर्थिक खतरा खड़ा कर दिया है। खाड़ी क्षेत्र में स्थित होर्मुज जलडमरूमध्य पर संकट गहराने से भारत के सामने तेल महंगाई, आयात बिल और आर्थिक सुस्ती जैसे ट्रिपल अटैक की आशंका मंडरा रही है।
???? तेल आपूर्ति पर संकट: जेब पर भारी पड़ेगा असरअंतरराष्ट्रीय बाजार में हो रहे उतार-चढ़ाव का सबसे बड़ा असर भारत के कच्चे तेल आयात
भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का 45-50% कच्चा तेल और 60% प्राकृतिक गैस इसी मार्ग से प्राप्त करता है। ऐसे में आपूर्ति बाधित होते ही तेल महंगा
13 जून को इजरायल द्वारा ईरान के ऊर्जा और सैन्य ठिकानों पर हमले के बाद से कच्चे तेल की कीमतें 64-65 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 74-75 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं। अगर हालात और बिगड़े तो कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल के पार भी जा सकती हैं, जिससे भारत के आयात खर्च और फ्यूल सब्सिडी
तेल की बढ़ती कीमतें न सिर्फ महंगाई बढ़ाएंगी, बल्कि इससे निजी निवेश और औद्योगिक उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। ICRA के अनुसार, अभी 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.2% रखा गया है, लेकिन अगर यह तनाव लंबा चला तो विकास दर में गिरावट आ सकती है।
???? कौन होगा फायदा, किसे होगा नुकसान?-
तेल उत्पादन कंपनियां कीमतें बढ़ने से मुनाफे में रहेंगी।
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रिफाइनिंग कंपनियों की लागत बढ़ेगी और मुनाफा घट सकता है।
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LPG सब्सिडी में कटौती संभव है, जिससे आम घरों का मासिक बजट और बिगड़ सकता है।
होर्मुज जलडमरूमध्य के विकल्प के तौर पर सऊदी अरब और UAE
ईरान प्रतिदिन लगभग 3.3 mbd कच्चा तेल
ईरान-इजरायल युद्ध अब सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रहा, बल्कि इसने भारत जैसे तेल-आयात पर निर्भर देशों की आर्थिक स्थिरता