सांसद विवेक तंखा ने कहा, सीजफायर सब के हित में था, अगर परमाणु हमले तक बात पहुंचती तो बहुत बड़ा नुकसान होता
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र प्रस्तावित डीजीएमओ स्तर की बैठक को लेकर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने इसे "सामान्य प्रक्रिया और देशहित में उठाया गया सही कदम" बताया है। उन्होंने कहा कि जब भी भारत-पाक सीमा पर स्थिति गंभीर हुई है, तब डीजीएमओ या कोर कमांडर स्तर की बातचीत होती रही है और यह भविष्य की रणनीतियों को आकार देने में सहायक होती है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में तंखा ने सीजफायर पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि "सीजफायर सभी के हित में था। अगर यह तनाव परमाणु स्तर तक पहुंच जाता, तो उसका परिणाम बेहद विनाशकारी होता। ऐसे नुकसान की भरपाई में सदियां लग जातीं।" उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को शांति और स्थिरता की राह पर आगे बढ़ना चाहिए। "देश को सुरक्षित रखना और विकास की ओर अग्रसर करना ही प्राथमिकता होनी चाहिए,"
सीजफायर वार्ता में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कथित मध्यस्थता की ओर इशारा करते हुए विवेक तंखा ने कूटनीतिक शालीनता के उल्लंघन की बात कही। उन्होंने कहा कि "अगर कोई देश इस तरह की स्थिति में मदद करता भी है, तो वह इसे सार्वजनिक नहीं करता। आमतौर पर ऐसा संयुक्त बयान के माध्यम से होता है, लेकिन ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर एक तरह की शोबाज़ी की। शायद यह अमेरिका की वैश्विक लीडरशिप दिखाने की कोशिश थी।"
विवेक तंखा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दृढ़ता और निर्णय क्षमता की सराहना करते हुए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि "इंदिरा उस समय भी निडर थीं जब भारत आज की तरह शक्तिशाली नहीं था। उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए, जबकि उस समय भारत की सैन्य ताकत सीमित थी। भाजपा को उन्हें सराहना चाहिए, क्योंकि उन्होंने वो कर दिखाया जो आज के नेता करना चाहते हैं।"
यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल से एक ऐतिहासिक पोस्ट साझा किया, जिसमें इंदिरा गांधी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की तस्वीर के साथ एक बयान लिखा था — "हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी है। हमारे पास इच्छा शक्ति और संसाधन हैं कि हम हर अत्याचार का सामना कर सकते हैं।" कांग्रेस ने इस पोस्ट के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की कि भारत किसी विदेशी दबाव में नहीं झुकेगा, और पार्टी की ऐतिहासिक नेतृत्वशैली आज भी प्रासंगिक है।
भारत-पाक तनाव के बीच डीजीएमओ स्तर की वार्ता जहां शांति और स्थिरता के प्रयास के रूप में देखी जा रही है, वहीं तंखा जैसे वरिष्ठ नेताओं के बयान इस दिशा में राजनीतिक दृष्टिकोण को भी दर्शाते हैं। उन्होंने सीजफायर को रणनीतिक रूप से आवश्यक बताया और साथ ही विदेश नीति में सावधानी और गरिमा बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।