रात में विश्राम करने आते हैं स्वयं महादेव! वीडियो में जानिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ा वह चमत्कारी रहस्य जिसे जान आप भी रह जाएंगे हैरान
हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है। आज हम आपको 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं इस अद्भुत ज्योतिर्लिंग से जुड़ी मान्यताएं और इसकी खासियत।
कहां स्थित है मंदिर
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच ओंकार पर्वत पर स्थापित है। यह द्वीप ओम के आकार का है। यहां ममलेश्वर मंदिर भी स्थापित है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के आसपास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं। इस मंदिर के आसपास का वातावरण किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है।
शास्त्रों में मिलती है महिमा
सभी तीर्थों के दर्शन करने के बाद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है। जब तीर्थयात्री सभी तीर्थों से जल लाकर ओंकारेश्वर में चढ़ाते हैं, तभी सभी तीर्थ पूरे माने जाते हैं, अन्यथा भक्त पूर्ण फल से वंचित रह जाते हैं। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन शिव पुराण में भी किया गया है। इस मंदिर की महिमा का वर्णन सौराष्ट्र सोमनाथम - द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र में भी मिलता है, जो इस प्रकार है -
सौराष्ट्र सोमनाथ च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यं महाकाल मोनकरम्मलेश्वरम्॥1॥
परल्यं वैद्यनाथं च डाकिन्या भीमशंकरम्।
सेतुबंधे तु रमेश नागेशन दारुकावने॥2॥
वरानस्यां तु विश्वेषम् त्र्यम्बकं गौतमित्ते।
हिमालय, केदार और शिवालय घृणित हैं॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पाथेन्नर।
सात जनम के पाप याद॥4॥
क्या हैं मान्यताएं
इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह है कि तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद देवों के देव महादेव हर रात ओंकारेश्वर मंदिर में विश्राम करने आते हैं। यही वजह है कि इस मंदिर की शयन आरती बहुत प्रसिद्ध है। इसके साथ ही मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव और माता पार्वती इस मंदिर में चौसर खेलने आते हैं। यही वजह है कि यहां रात में चौपर बिछाई जाती है और सुबह जब मंदिर के पट खोले जाते हैं तो चौसर के पासे बिखरे मिलते हैं।