देश ही नहीं करणी माता मंदिर में लगता है विदेशी भक्तों का मेला, वीडियो में जाने यहां क्यों दिया जाता है चूहों का झूठा प्रसाद ?

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राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता मंदिर दुनियाभर में अपनी अनोखी मान्यताओं और रहस्यमय वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि अपने हजारों चूहों की उपस्थिति के कारण यह एक अद्भुत पर्यटन स्थल भी बन चुका है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक हर साल इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

करणी माता कौन थीं?

करणी माता को हिंदू समाज में देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। उनका जन्म 14वीं शताब्दी में जोधपुर जिले के सुवाप गांव में हुआ था। उनका असली नाम रिड़ू बाई था, लेकिन बाद में उन्हें करणी माता के नाम से जाना गया। उन्होंने अपना जीवन समाजसेवा, आध्यात्मिकता और चमत्कारों के लिए समर्पित किया। करणी माता को चारण जाति की कुल देवी भी माना जाता है।

मंदिर का इतिहास

करणी माता मंदिर का निर्माण लगभग 600 साल पहले बीकानेर के पास देशनोक नामक स्थान पर करवाया गया था। यह मंदिर महाराजा गंगा सिंह द्वारा 20वीं शताब्दी में संगमरमर से दोबारा बनवाया गया। मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी और मुग़ल शैली का सुंदर मिश्रण है। मुख्य द्वार पर चांदी के सुंदर नक्काशीदार दरवाजे हैं, जिन पर देवी की झांकियाँ उकेरी गई हैं।

मंदिर की सबसे अनोखी बात: चूहे

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां रहने वाले करीब 25,000 से ज्यादा काले चूहे

, जिन्हें "काबा" कहा जाता है। इन्हें मंदिर के पवित्र रक्षक माना जाता है और ये चूहे मंदिर परिसर में पूरी स्वतंत्रता से घूमते हैं। श्रद्धालु इन्हें दूध, मिठाई और अनाज चढ़ाते हैं। मान्यता है कि ये चूहे करणी माता के वंशजों का पुनर्जन्म हैं।

यहां कुछ सफेद चूहे भी हैं जिन्हें बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि किसी भक्त को सफेद चूहा दिखाई दे जाए, तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

चूहों के मरने की मान्यता

करणी माता मंदिर में चूहों की मृत्यु को एक अशुभ संकेत माना जाता है। यदि किसी श्रद्धालु के पैर से गलती से कोई चूहा मर जाए, तो उसे उस चूहे की मूर्ति चांदी से बनवाकर मंदिर को दान करनी होती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि चूहों को यहां कितनी श्रद्धा और सम्मान के साथ देखा जाता है।

करणी माता मंदिर की मान्यताएं और चमत्कार

इस मंदिर को लेकर अनेक चमत्कारी कथाएं प्रचलित हैं। एक लोककथा के अनुसार, करणी माता ने अपने मृत पुत्र को पुनर्जीवित करने के लिए यमराज से प्रार्थना की थी। यमराज ने मना कर दिया, लेकिन करणी माता के तप से प्रभावित होकर उन्होंने वादा किया कि उनके वंश के लोग मृत्यु के बाद चूहे के रूप में पुनर्जन्म लेंगे और फिर मानव जीवन में वापस लौटेंगे।

लोग मानते हैं कि करणी माता की कृपा से यहां आने वाले भक्तों की सभी परेशानियाँ दूर होती हैं। कई लोग यह भी कहते हैं कि मंदिर में किसी प्रकार की बदबू नहीं आती, भले ही हजारों चूहे वहां रहते हैं – इसे भी देवी का चमत्कार माना जाता है।

मंदिर में आने का सही समय

करणी माता मंदिर साल भर खुला रहता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां विशेष आयोजन होते हैं। इस समय मंदिर में मेले जैसा माहौल होता है और हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। करणी माता को शक्ति की देवी माना जाता है, इसलिए नवरात्रि उनका सबसे पावन समय माना जाता है।

पर्यटन के नजरिए से महत्त्व

बीकानेर आने वाले पर्यटकों के लिए करणी माता मंदिर एक अनिवार्य पड़ाव है। यहां की संस्कृति, लोककथाएं और रहस्यात्मक वातावरण हर किसी को आकर्षित करता है। मंदिर के आसपास छोटी-छोटी दुकानें, लोक संगीत, और राजस्थानी हस्तशिल्प की झलक इस स्थान को और भी जीवंत बनाती है।

निष्कर्ष

करणी माता मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आस्था, संस्कृति और रहस्यों का संगम भी है। हजारों चूहों के साथ देवी की पूजा करना शायद दुनिया में कहीं और संभव नहीं है। यह मंदिर हमें भारतीय लोक आस्था की गहराई, विविधता और शक्ति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।