वीडियो में देखे रणकपुर जैन मंदिर की 1444 नक्काशीदार स्तंभों की भव्यता, जिसे देख हर पर्यटक रह जाता है मंत्रमुग्ध

Hero Image

राजस्थान की धूल भरी धरती, जहां किले, महल और रेगिस्तान की कहानियां बिखरी पड़ी हैं, वहीं एक ऐसा धार्मिक और स्थापत्य चमत्कार भी मौजूद है जिसे देखकर दुनिया भर से आने वाले सैलानी सिर्फ श्रद्धा ही नहीं, अद्भुत कारीगरी के लिए भी सिर झुका देते हैं। यह है रणकपुर जैन मंदिर, जो स्थापत्य, भक्ति और सौंदर्य का ऐसा संगम है, जिसे एक बार देख लेने के बाद कोई भी आसानी से भुला नहीं सकता।


रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान के पाली ज़िले में स्थित है। यह मंदिर अरावली की पहाड़ियों के बीच, एक शांत और हरियाली से भरपूर इलाके में बसा है, जो इसे धार्मिकता के साथ-साथ नैसर्गिक सुंदरता से भी जोड़ता है। यह उदयपुर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और जोधपुर से भी यहाँ पहुंचना आसान है।

चौंकाने वाली वास्तुकला: 1444 स्तंभ और हर एक अलग


इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है इसके 1444 नक्काशीदार संगमरमर के स्तंभ, जिनमें से हर एक स्तंभ की डिज़ाइन और नक्काशी दूसरे से भिन्न है। यह एक ऐसा स्थापत्य चमत्कार है, जिसे देखकर न सिर्फ पर्यटक हैरान रह जाते हैं, बल्कि दुनिया के आर्किटेक्ट्स भी इसकी बारीकी को सराहते हैं।मंदिर के अंदर का वातावरण शांत, ठंडा और बेहद विस्तृत है। इन स्तंभों की बनावट इस तरह की गई है कि सूरज की रोशनी हर कोण से मंदिर में प्रवेश करती है, लेकिन गर्मी कभी महसूस नहीं होती।

इतिहास और निर्माण की कहानी
रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण 15वीं सदी में राणा कुंभा के शासनकाल में शुरू हुआ था। इसका मुख्य श्रेय जैन व्यापारी धरणा शाह को जाता है, जिन्होंने एक स्वप्न में इस मंदिर की रचना देखी और फिर इसे साकार करने का संकल्प लिया।मंदिर के निर्माण में सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है, जिसे मकराना (वही स्रोत जहां से ताजमहल के पत्थर आए) से लाया गया था। इस निर्माण में कई दशक लगे और यह लगभग 45000 वर्ग फीट में फैला हुआ है।

मंदिर का मुख्य भाग और संरचना
रणकपुर मंदिर मुख्यतः भगवान आदिनाथ (पहले तीर्थंकर) को समर्पित है। इसका गर्भगृह चार दिशाओं की ओर खुला है, जो जैन धर्म की 'सर्वदर्शिता' को दर्शाता है। मंदिर के चारों ओर चार प्रमुख प्रवेशद्वार हैं, और इसके ऊपर ऊँचे-ऊँचे शिखर बने हुए हैं जो दूर से भी आकर्षित करते हैं।मंदिर की नक्काशीदार छतें, मेहराबें, गुंबद और मंडप सब कुछ इस कदर सुंदरता से तराशे गए हैं कि पत्थर में जान सी महसूस होती है।

शांति, ध्यान और आध्यात्मिकता का केंद्र
यह मंदिर केवल देखने की चीज़ नहीं है, बल्कि यह एक ध्यान और आत्मिक शांति का केंद्र भी है। यहां की शांतिपूर्ण हवा, पक्षियों की आवाजें और स्तंभों से छनती रोशनी एक ध्यानात्मक अनुभव देती हैं। कई विदेशी पर्यटक यहाँ मेडिटेशन और योग के लिए भी आते हैं।

पर्यटकों के लिए ज़रूरी जानकारी
टाइमिंग: सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।
ड्रेस कोड: मर्यादित परिधान पहनना अनिवार्य है।

फोटोग्राफी: मंदिर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन ट्राइपॉड/ड्रोन वर्जित हैं।
एंट्री फीस: भारतीयों के लिए प्रवेश निःशुल्क है, लेकिन विदेशी पर्यटकों के लिए शुल्क निर्धारित है।
गाइड सुविधा: स्थानीय गाइड मंदिर के इतिहास और वास्तुकला की बारीक जानकारी देते हैं।

रणकपुर ट्रेवल टिप्स
कैसे पहुंचे: निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर है, जहाँ से रणकपुर सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

आसपास की जगहें: कुम्भलगढ़ फोर्ट, जवाई बैंड, सादड़ी गांव
बेस्ट टाइम टू विज़िट: अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे उपयुक्त है।

निष्कर्ष: एक यात्रा जो आत्मा को छू जाए
रणकपुर जैन मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह कला, इतिहास, वास्तुकला और आध्यात्मिकता का ऐसा अद्वितीय संगम है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक समृद्धि को दुनिया के सामने बखूबी प्रस्तुत करता है। यहाँ आना किसी तीर्थ से कम नहीं और यहाँ बिताया गया हर पल पर्यटक को भीतर से शांत करता है।यदि आप राजस्थान यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो रणकपुर को अपनी सूची में ज़रूर शामिल करें। यह मंदिर आपको सिर्फ बाहर से ही नहीं, भीतर से भी बदल देगा।