राजस्थान का ऐसा अनोखा और रहस्यमयी मंदिर जो विज्ञान को भी देता है चुनौती, वीडियो देखें और जानें क्यों ?
राजस्थान, जहाँ इतिहास हर पत्थर में सांस लेता है, वहीं कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जो विज्ञान को भी सोचने पर मजबूर कर देते हैं। इन्हीं में से एक है करणी माता मंदिर, जिसे "चूहों वाला मंदिर" भी कहा जाता है। बीकानेर जिले के देशनोक कस्बे में स्थित यह मंदिर दुनियाभर में अपने अनोखे कारणों से मशहूर है। यहां हजारों चूहे खुलेआम घूमते हैं, खाते हैं, पीते हैं और यहां तक कि भक्तों के भोजन में भी शामिल होते हैं – लेकिन हैरानी की बात ये है कि कोई बीमारी नहीं फैलती, कोई संक्रमण नहीं होता! यही वजह है कि यह मंदिर आज भी विज्ञान के लिए एक अबूझ पहेली बना हुआ है।
करणी माता को दुर्गा का अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि माता ने अपने भक्तों को वरदान दिया कि उनकी मृत्यु के बाद वे चूहों के रूप में मंदिर में निवास करेंगे। आज इस मंदिर में करीब 25 हजार से ज्यादा चूहे हैं, जिन्हें काबा कहा जाता है। यहां के चूहे बेहद सम्मानित होते हैं – लोग इनके बीच बैठकर भोजन करते हैं, इन्हें दूध पिलाते हैं और इन्हें स्पर्श करना शुभ मानते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जहां हजारों चूहे एक जगह पर हों, वहां संक्रमण, बीमारियां और दुर्गंध फैलना आम बात है। लेकिन करणी माता मंदिर में आज तक कोई बड़ी बीमारी नहीं फैली, न ही कोई महामारी इन चूहों की वजह से फैली है। यही बात वैज्ञानिकों को चौंकाती है। कई बार रिसर्च टीमों ने यहां जांच की, लेकिन नतीजे भी चमत्कार की तरह ही सामने आए। यह मंदिर हाइजीन और स्वास्थ्य के सभी नियमों को चुनौती देता हुआ भी पूरी तरह सुरक्षित बना हुआ है
हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में देखा गया कि कैसे एक भक्त का दूध से भरा कटोरा चूहे पीते हैं और फिर वही कटोरा भक्त पीता है – और कोई स्वास्थ्य असर नहीं होता। वीडियो में साफ दिखता है कि ये चूहे ना तो डरते हैं, ना भागते हैं – बल्कि बड़े सम्मान से मंदिर परिसर में विचरण करते हैं। यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो चुका है और लोग इसे करणी माता का चमत्कार मान रहे हैं।
करणी माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह श्रद्धा और रहस्य का अद्भुत संगम है। यहां भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी होने पर चूहों को विशेष भोग चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई सफेद चूहा दिख जाए तो यह विशेष सौभाग्य का प्रतीक होता है।
निष्कर्ष: विज्ञान के सामने झुकी सोच, आस्था की जीतकरणी माता मंदिर विज्ञान के उन सिद्धांतों को चुनौती देता है जो साफ-सफाई, कीट-जनित बीमारियों और मानव स्वास्थ्य से जुड़े हैं। जहां दुनिया चूहों से डरती है, वहीं राजस्थान में लोग इन्हें पूजते हैं। यह मंदिर यह सिद्ध करता है कि जब आस्था और श्रद्धा सच्ची हो, तो विज्ञान भी झुक सकता है।