नई-नई शादी हुई है तो भूलकर भी ना करे राजस्थान के इस मंदिर म जाने की गलती, वीडियो में अंजाम जान फटी रह जाएंगी आंखें
हिंदू धर्म में शादी के बाद सभी दूल्हा-दुल्हन अपने देवी-देवताओं से आशीर्वाद मांगते हैं। इसके लिए नवविवाहित जोड़े प्रसिद्ध मंदिरों या धार्मिक स्थलों पर माथा टेकते हैं, लेकिन हमारे देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां शादी के बाद लड़के जाने से डरते हैं। अगर गलती से कोई शादीशुदा पुरुष इस मंदिर में चला जाए, तो उसे एक श्राप के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस मंदिर का नाम ब्रह्मा मंदिर है।
" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="पुष्कर का इतिहास, मान्यता, सनातन धर्म में महत्व, विश्व में ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर, पवित्र सरोवर" width="696">
पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में नहीं जाते शादीशुदा लोग
राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध ब्रह्माजी के पुष्कर मंदिर में नवविवाहित लड़के जाने से डरते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर नवविवाहित लड़के इस मंदिर में आ जाते हैं, तो उनके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं। इसके पीछे की वजह ब्रह्माजी को उनकी पत्नी द्वारा दिया गया श्राप है।पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना के लिए राजस्थान के पुष्कर में एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में उन्हें अपनी पत्नी के साथ बैठना था, लेकिन जब उनकी पत्नी सावित्री ने देखा कि उन्हें आने में देर हो रही है, तो उन्होंने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर लिया और यज्ञ करने लगे। जब सावित्री पहुंचीं, तो ब्रह्माजी के बगल में अपने स्थान पर किसी अन्य स्त्री को यज्ञ में बैठा देखकर क्रोधित हो गईं। और उन्होंने श्राप दिया कि जिस संसार के लिए तुमने मुझे रचकर भूला है, वह तुम्हारी पूजा नहीं करेगा। जो भी विवाहित पुरुष तुम्हारे इस मंदिर में प्रवेश करेगा, उसके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आएंगी।
पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में नहीं जाते शादीशुदा लोग
राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध ब्रह्माजी के पुष्कर मंदिर में नवविवाहित लड़के जाने से डरते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर नवविवाहित लड़के इस मंदिर में आ जाते हैं, तो उनके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं। इसके पीछे की वजह ब्रह्माजी को उनकी पत्नी द्वारा दिया गया श्राप है।पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना के लिए राजस्थान के पुष्कर में एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में उन्हें अपनी पत्नी के साथ बैठना था, लेकिन जब उनकी पत्नी सावित्री ने देखा कि उन्हें आने में देर हो रही है, तो उन्होंने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर लिया और यज्ञ करने लगे। जब सावित्री पहुंचीं, तो ब्रह्माजी के बगल में अपने स्थान पर किसी अन्य स्त्री को यज्ञ में बैठा देखकर क्रोधित हो गईं। और उन्होंने श्राप दिया कि जिस संसार के लिए तुमने मुझे रचकर भूला है, वह तुम्हारी पूजा नहीं करेगा। जो भी विवाहित पुरुष तुम्हारे इस मंदिर में प्रवेश करेगा, उसके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आएंगी।
अलग से बना है सावित्रीजी का मंदिर
पुष्कर के इस मंदिर के पास ही एक अलग पहाड़ी पर उनकी पत्नी सावित्रीजी का मंदिर बना हुआ है। कहा जाता है कि क्रोध शांत होने के बाद ब्रह्माजी की पत्नी सावित्री पुष्कर के पास की पहाड़ियों पर जाकर तपस्या करने लगीं। इस मंदिर में महिलाएं प्रसाद के रूप में मेहंदी, बिंदी और चूड़ियां जैसे श्रृंगार का सामान चढ़ाती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
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