जशपुर में 'गजरथ यात्रा' की अनोखी पहल: हाथी-मानव संघर्ष को सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम

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जशपुर जिले में वन विभाग ने हाथी-मानव संघर्ष जैसी जटिल समस्या के समाधान की दिशा में एक सराहनीय और अभिनव पहल की शुरुआत की है। इस पहल का नाम है 'गजरथ यात्रा', जिसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 21 जून 2025 को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

🌿 क्या है 'गजरथ यात्रा'?

'गजरथ यात्रा' एक जनजागरूकता अभियान है, जिसका उद्देश्य ग्रामीणों को यह समझाना है कि हाथियों के साथ सह-अस्तित्व

संभव है। यह यात्रा गांव-गांव जाकर लोगों को हाथियों के व्यवहार, उनकी दिनचर्या और उनके मार्गों के बारे में जानकारी देती है। साथ ही यह बताती है कि टकराव से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए

🐘 हाथियों से संघर्ष क्यों?

जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर जैसे इलाकों में हाथियों का लगातार मूवमेंट होता है। जंगलों के कटाव और हाथियों के पारंपरिक मार्गों में अतिक्रमण के कारण हाथी आबादी वाले इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं

, जिससे फसलों को नुकसान, जनहानि, और भय का माहौल बनता है।

🎯 गजरथ यात्रा के प्रमुख उद्देश्य
  • ग्रामीणों को प्रशिक्षित करना कि हाथियों से मुठभेड़ होने पर कैसे शांतिपूर्वक व्यवहार करें

  • स्कूलों, पंचायतों और चौपालों में जागरूकता सत्र आयोजित करना

  • स्थानीय युवाओं को 'हाथी मित्र' के रूप में तैयार करना

  • हाथी कॉरिडोर की पहचान और सुरक्षा के उपायों पर चर्चा

📢 वन विभाग की सक्रिय भूमिका

वन विभाग की टीम इस यात्रा के माध्यम से पोस्टर, वीडियो, मॉडल्स और लोककलाओं के ज़रिए संदेश दे रही है। साथ ही हाथी प्रभावित क्षेत्रों में अलर्ट सिस्टम, सोलर फेंसिंग, और रात्रि चौकीदारी की योजनाएं भी साझा की जा रही हैं।

📌 मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने यात्रा की शुरुआत के अवसर पर कहा था –

“जंगल और वन्यजीव हमारे साथी हैं। ‘गजरथ यात्रा’ सह-अस्तित्व की भावना को मजबूत करेगी और यह प्रदेश भर के लिए एक मिसाल बनेगी।”

अगर आप चाहें तो मैं इस यात्रा के अगले पड़ाव, कार्यक्रम की रूपरेखा, या 'हाथी मित्र' योजना पर भी जानकारी दे सकता हूँ।

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