पहलगाम हमले को लेकर म्यूनिख में भी भारतीय समुदाय ने निकाला मार्च, शांति और न्याय का किया आह्वान

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जर्मनीः पहलगाम आतंकी हमले का दुनियाभर में विरोध किया जा रहा है. ज्यादातर देशों ने आतंक के खिलाफ जारी जंग में भारत का साथ देने का वादा किया है तो विदेश में रहने वाला भारतीय समुदाय भी इस जघन्य अपराध के खिलाफ अपना प्रदर्शन कर रहा है. जर्मनी में भी भारतीय समुदाय के लोग अलर्ट है. यहां के चर्चित शहरों में से एक म्यूनिख में भी बड़ी संख्या में भारतीय लोगों ने तिरंगे के साथ शहर में मार्च निकाला. साथ ही दुनियाभर में शांति और न्याय का आह्वान भी किया.

म्यूनिख में भारतीय समुदाय ने 3 मई (शनिवार) को आतंकवादी घटना पर एकता और सामूहिक दुख जताते हुए भारत शांति मार्च (Bharat Peace March) निकाला. इस मार्च में 700 से अधिक भारतीय प्रवासी शामिल हुए. उन्होंने आतंकवाद की कड़ी निंदा की. साथ ही पहलगाम में पिछले दिनों हुए अमानवीय और कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले के पीड़ितों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

शांतिपूर्ण तरीके से निकाला गया यह मार्च, महज सांकेतिक नहीं था, बल्कि इसके लिए जरिए न्याय के लिए आह्वान, आतंकवादी हमलों का विरोध और शांति तथा मानवता पर आधारित भविष्य बनाने पर जोर देना था. मार्च के लिए लोग शनिवार सुबह 11 बजे गेश्विस्टर-शोल-प्लात्ज (Geschwister-Scholl-Platz) पर आए. कार्यक्रम की शुरुआत जर्मनी के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ और बुंडेस्टाग (Member of the Bundestag, 2025) के सदस्य डॉ. हंस थीस और एलएच म्यूनिख के सिटी काउंसिलर और अपर बवेरिया डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के सदस्य डेली बालिडेमाज समेत कई अहम हस्तियों के भाषणों से हुई.

डॉक्टर थीस ने अपने संबोधन में पहलगाम हमले के पीड़ितों के लिए प्रार्थना करते हुए और सभी रूपों में आतंकवाद तथा धार्मिक उग्रवाद की निंदा की. साथ ही उन्होंने भारतीय प्रवासियों की पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह शांति मार्च दुनिया के लिए एक बेहद अहम संदेश है कि हम एक साथ खड़े हैं, नफरत की सोच को खारिज करते हैं. हम शांति को अपनाते हैं. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह के आतंकी कृत्य फिर कभी न हों. अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.”

उन्होंने यह भी कहा, “इसके साथ ही, हमें भारत और पाकिस्तान (दो परमाणु संपन्न देश) के बीच आगे की तनातनी से बचने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए. आज, हम पीड़ितों के साथ खड़े हैं. आप अकेले नहीं हैं.” डेली बालिदेमाज ने भी अपने संबोधन में एकजुटता और शांति के इस संदेश को दोहराया.