शांत, सरल लेकिन संदिग्ध! नलहाटी से दो युवकों की आतंकवाद के संदेह में गिरफ्तारी से स्तब्ध इलाका

कोलकाता, 10 मई .
बीरभूम जिले के नलहाटी और मुरारई क्षेत्र में दो युवकों की आतंकवादी संगठन में संलिप्तता के मामले में गिरफ्तारी ने पूरे इलाके को हैरत में डाल दिया है. गिरफ्तार किए गए युवकों के शांत स्वभाव और भद्र व्यवहार को देखते हुए स्थानीय लोग उन्हें आतंकवादी मानने को तैयार नहीं हैं. पुलिस और एसटीएफ द्वारा शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए इन दोनों युवकों के नाम हैं – साहेब अली खान और अजमल हुसैन.
स्थानीय लोगों ने शनिवार को कहा है कि दोनों युवक बेहद शांत और साधारण जिंदगी जीते थे. न तो कोई पूर्व विवाद, न किसी तरह की बदनामी. साहेब अली मुरारई के चापड़ा गांव का निवासी है और पेशे से वाहन चालक है. उसका परिवार बेहद साधारण है – मां, दो बहनें और एक भाई के साथ मिट्टी के टूटे-फूटे घर में रहता है. मां सकीना बीबी का कहना है, “मेरा बेटा कभी किसी से ऊंची आवाज़ में बात तक नहीं करता. वो बहुत शांत और विनम्र है.” हालांकि एसटीएफ ने उसके घर से एक पेन ड्राइव और कुछ धार्मिक किताबें बरामद की हैं.
दूसरा आरोपित अजमल हुसैन नलहाटी का निवासी है और पेशे से एक स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर है. वह इलाके में जरूरतमंदों की मदद के लिए जाना जाता था. उसके पिता जॉर्जिस मंडल ने बताया कि अजमल को मुरारई से शाह इमाम नामक एक मौलवी कुछ धार्मिक पुस्तकें दिया करते थे, जो कि बांग्लादेश के प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित थीं. एसटीएफ ने उसके घर से लैपटॉप और कई संदिग्ध धार्मिक किताबें जब्त की हैं.
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, दोनों युवक भारत में प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन से जुड़े थे. यह संगठन युवाओं को कट्टर विचारधारा से प्रभावित कर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल करने के लिए कुख्यात है. इन युवकों पर आरोप है कि ये मुस्लिम युवाओं का ‘ब्रेनवॉश’ कर संगठन में शामिल करने का कार्य करते थे और देश के प्रमुख स्थानों व प्रमुख व्यक्तियों पर हमले की योजना बना रहे थे.
इनकी गतिविधियां पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड माध्यमों से संचालित होती थीं. उनका मकसद ‘ग़ाज़ातुल हिंद’ की विचारधारा को भारत में स्थापित करना था.
शुक्रवार को दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस ने शनिवार को फिर से अदालत में पेश कर दोनों की 14 दिन की पुलिस हिरासत की मांग की है.
/ ओम पराशर