मां जानकी सीतामढ़ी के लिए लाडली बेटी है : आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज

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सीतामढ़ी, 10 मई .

जगत जननी मां सीता सीतामढ़ी के लिए माता नहीं बल्कि लाडली बेटी है.वह तो सीतामढ़ी और सम्पूर्ण मिथिला क्षेत्र के लिए गौरवान्वित करने वाली है.मिथिला सीतामढ़ी की भूमि को उन्होंने मनुष्यता के भाव से सिंचा है. उपरोक्त बातें सीतामढ़ी पुनौराधाम श्री जानकी जन्म स्थान के सीता प्रेक्षागृह में की ओर से आयोजित सीता महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराजी ने कही.उन्होंने मा जानकी के अलग अलग रूपों और धर्म में वर्णित तथ्यों से सभाकक्ष में मौजूद लोगों को अवगत कराया.

उन्होंने कहा कि यूं तो चार धाम हैं लेकिन मिथिला की धरती चारों धाम की सिद्धि देने वाली धरती है.उन्होंने कहा कि भगवान के कई रूप और अवतार हैं.उन्होंने कहा कि मां जानकी के चरित्र में किसी तरह का कोई संशय नहीं है.उनका चरित्र तो वेद,प्रशस्ति और स्तुति करने वाला है.सैकड़ों श्लोकों में मां जानकी के रूपों का वर्णन है.महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण सहित अन्य रचित रामायण में जगत जननी के चरित्र का अनोखे ढंग से वर्णन है,जिसे चंद शब्द सीमा में नहीं बांधा जा सकता.वाल्मीकी जी के रामायण में मां सीता की चरित्र व्यंजना वाली है.

उन्होंने सीतामढ़ी की भूमि को उपासना वाली भूमि करार दिया.उन्होंने कहा कि मिथिला के बाहर सीता माता है,लेकिन मिथिला में तो वह लाडली सुकुमारी बेटी है.उन्होंने मां सीता के बाल्यकाल के रूप दया,शीलता और क्षमा वाले रूपों की चर्चा की.

आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज ने कहा कि धरती पुत्र के कल्याण के लिए मां सीता धरती से जन्मी. भूमिजा होकर जन्म ली.उन्होंने कहा कि पति की महिमा कम न हो पाए,इसलिए मां सीता ने अपने लीला में कष्ट सहा.उन्होंने कहा कि मां जानकी को देखकर समाज नारी के चरित्र का चित्रण करते हैं.पुत्री,पत्नी और जगत जननी के रूप में उनका चरित्र अदभुत है.

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता सीतामढ़ी बगहीधाम के श्री महंत डॉ शुकदेव दास जी महाराज ने भी संबोधित करते हुए मां सीता के त्याग,क्षम्य रूप का वर्णन किया.वहीं आशीर्वचन पुनौराधाम श्री जानकी जन्मभूमि मंदिर के पीठाधीश्वर श्री महंत कौशल किशोर दास जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में सीता महोत्सव के आयोजन के लिए बहुभाषी समाचार एजेंसी की तारीफ की.

/ राहुल कुमार ठाकुर