अक्षय तृतीया पर कुंडलिया छंद

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कुंडलिया छंद - 1

तृतीया का पावन दिवस, शुभ मुहूर्त सुख धाम।

दान पुण्य का पर्व है, सकल सुमंगल नाम।

सकल सुमंगल नाम, पितर को भोग लगाओ।

लक्ष्मी का है धाम, धान्य धन सब कुछ पाओ।

कह सुशील कविराय, दिवस यह मंगलदाई।

भरे रहें भंडार, तृतीया अक्षय आई।।

कुंडलिया छंद - 2

पावन अक्षय पर्व पर, करें दान भरपूर।

पितरों के आशीष से, मिटे सकल नासूर।।

मिटे सकल नासूर, पाप सब क्षय हो जाते।

भरे रहें धन धान्य, कीर्ति यश बल सब पाते।

कह सुशील कविराय, परशु जी का अभिनंदन।

अक्षय हों शुभ कर्म, तृतीया यह है पावन ।।

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