कबीर पर कुंडलियां

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सादा जीवन सब जिएं, मन में उच्च विचार।

जात पांत सब दूर हों, यह कबीर का सार।

यह कबीर का सार, ज्ञान की ज्योति जलाई।

दूर किए सब भेद, प्रेम की सीख सिखाई।

एकई राम रहीम, प्रेम का करके वादा।

कपट-दंभ से दूर, जियो सब जीवन सादा।

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साखी सबद कबीर के, ज्ञान पुंज आधार।

जड़ें हिलीं पाखंड की, ऐसा किया प्रहार।

ऐसा किया प्रहार, राह प्रभु की दिखलाई।

भक्ति जीव आधार, प्रेम गंगा बरसाई।

सद्गुरु संत कबीर, ज्ञान के बन कर पाखी।

बने सत्य आधार, संत के दोहा साखी।।

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