ड्रोन से छूटेगी 12.5 KG की मिसाइल और दुश्मन तबाह, जानिए कितनी ताकतवर है ULPGM-V3 Missile
Successful test of ULPGM-V3 missile: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ड्रोन से दागी जाने वाली एक मिसाइल का आंध्र प्रदेश में एक परीक्षण स्थल पर सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने शुक्रवार को कहा कि यह परीक्षण कुरनूल में किया गया। यह मिसाइल आधुनिक युद्ध के मैदान की मांगों को पूरा करने के लिए एक बहुमुखी और शक्तिशाली हथियार है।
यूएलपीजीएम-वी2 का उन्नत संस्करण :
किसी भी समय लक्ष्य भेदने की क्षमता :
मिसाइल तीन मॉड्यूलर वारहेड से लैस है, जिसमें आधुनिक बख्तरबंद गाड़ियों को नष्ट करने के लिए बख्तरबंद रोधी प्रणाली है। इस मिसाइल को एक मानवरहित वायु यान (यूएवी) से छोड़ा गया, जो कि बेंगलुरु की भारतीय स्टार्टअप ‘न्यूस्पेस रिसर्च टेक्नोलॉजीज’ द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
डीआरडीओ अब इस हथियार प्रणाली को लंबी दूरी और अधिक समय तक उड़ाने वाले यूएवी से जोड़ने के लिए भी काम कर रहा है। इस परियोजना में अडाणी डिफेंस, भारत डायनमिक्स लिमिटेड और लगभग 30 मध्यम एवं लघु स्टार्टअप्स ने सहयोग किया है।
क्या हैं ULPGM-V3 की विशेषताएं :
- सटीक हमला : यह एक प्रिसिजन-गाइडेड मिसाइल है, जो लक्ष्यों पर अत्यधिक सटीकता के साथ हमला करने में सक्षम है।
- इसे विशेष रूप से ड्रोन या मानवरहित हवाई वाहनों (UAV) से लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे सैनिकों के लिए जोखिम कम होता है।
- इसमें इमेजिंग इंफ्रारेड (IIR) सीकर है, जो इसे दिन और रात दोनों समय में लक्ष्यों को पहचानने और उन पर हमला करने की क्षमता प्रदान करता है।
- इसमें विभिन्न वॉरहेड विकल्प हैं।
- एंटी-आर्मर वॉरहेड : आधुनिक बख्तरबंद वाहनों को भेदने में सक्षम, जिनमें एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (ERA) वाले टैंक भी शामिल हैं।
- पेनेट्रेशन-कम-ब्लास्ट वॉरहेड : बंकरों और अन्य मजबूत संरचनाओं को नष्ट करने के लिए।
- प्री-फ्रैगमेंटेशन वॉरहेड : व्यापक क्षेत्र में अधिक घातक प्रभाव के लिए।
- हल्का वजन : इसका वजन केवल 12.5 किलोग्राम है, जो इसे मैन-पोर्टेबल बनाता है और विभिन्न छोटे ड्रोन प्लेटफॉर्मों से भी लॉन्च किया जा सकता है।
- मारक क्षमता : यह दिन में 4 किमी और रात में 2.5 किमी तक की दूरी तक मार कर सकती है।
- यह 'टॉप-अटैक' मोड में हमला करने में सक्षम है, जो टैंकों के सबसे कमजोर ऊपरी हिस्से को निशाना बनाता है।
- इसमें दो-तरफ़ा डेटा लिंक संचार है, जो लॉन्च के बाद भी लक्ष्य या एएम-पॉइंट अपडेट किया जा सकता है।
- स्वदेशी विकास : यह पूरी तरह से भारत में विकसित की गई है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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