अच्युतम केशवं भजन, कृष्ण भक्ति के सुकून भरे बोल
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अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं भगवान कृष्ण को समर्पित एक ऐसा भजन है, जो भक्तों के दिलों को छूता है और मन को शांति प्रदान करता है। यह भजन भगवान और उनके भक्तों के बीच गहरे प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। इसके बोल भक्तों को यह विश्वास दिलाते हैं कि सच्ची भक्ति और प्रेम से भगवान को बुलाया, खिलाया, सुलाया और नचाया जा सकता है। भजन में मीरा की भक्ति, शबरी का प्रेम, यशोदा का मातृत्व और हनुमान का समर्पण जैसे उदाहरणों का उल्लेख है, जो इसे और भी भावनात्मक बनाते हैं। यह भजन न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि भक्तों को हर पल कृष्ण का ध्यान करने की प्रेरणा भी देता है।
अच्युतम केशवं: भक्ति और प्रेम का मधुर संगम
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं भजन भगवान कृष्ण के विभिन्न नामों जैसे अच्युत, केशव, दामोदर, राम और नारायण को संबोधित करता है। इसके बोल भक्तों को यह विश्वास दिलाते हैं कि भगवान हमेशा अपने भक्तों के पास हैं, बशर्ते उन्हें सच्चे मन से बुलाया जाए। भजन की पंक्तियाँ जैसे “कौन कहता है भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं” और “कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं” भक्तों के प्रेम और समर्पण को उजागर करती हैं। यह भजन यशोदा के मातृत्व और हनुमान की भक्ति के माध्यम से भगवान के मानवीय और सुलभ रूप को दर्शाता है।
अच्युतम केशवं भजन के बोल:
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
मां यशोदा के जैसे सुलाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान रुकते नहीं,
हनुमान के जैसे मनाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
नाम जपते चलो काम करते चलो
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो
नाम जपते चलो काम करते चलो
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं एक ऐसा भजन है जो भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण की राह दिखाता है। इसके बोल न केवल भक्ति को प्रेरित करते हैं, बल्कि मन को शांति और आत्मिक सुकून भी प्रदान करते हैं। यह भजन भगवान के साथ एक व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध स्थापित करने का माध्यम है, जो हर भक्त को अपने जीवन में कृष्ण का नाम और ध्यान बनाए रखने की प्रेरणा देता है। चाहे आप पूजा के दौरान इसे गाएं या शांति के लिए सुनें, यह भजन आपके मन को भक्ति की मधुर धुन में डुबो देगा।
अच्युतम केशवं: भक्ति और प्रेम का मधुर संगम
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं भजन भगवान कृष्ण के विभिन्न नामों जैसे अच्युत, केशव, दामोदर, राम और नारायण को संबोधित करता है। इसके बोल भक्तों को यह विश्वास दिलाते हैं कि भगवान हमेशा अपने भक्तों के पास हैं, बशर्ते उन्हें सच्चे मन से बुलाया जाए। भजन की पंक्तियाँ जैसे “कौन कहता है भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं” और “कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं” भक्तों के प्रेम और समर्पण को उजागर करती हैं। यह भजन यशोदा के मातृत्व और हनुमान की भक्ति के माध्यम से भगवान के मानवीय और सुलभ रूप को दर्शाता है।अच्युतम केशवं भजन के बोल:
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
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कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
मां यशोदा के जैसे सुलाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
कौन कहता है भगवान रुकते नहीं,
हनुमान के जैसे मनाते नहीं।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी वल्लभम्।
नाम जपते चलो काम करते चलो
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो
नाम जपते चलो काम करते चलो
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
राम नारायणं जानकी बल्लभम।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं एक ऐसा भजन है जो भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण की राह दिखाता है। इसके बोल न केवल भक्ति को प्रेरित करते हैं, बल्कि मन को शांति और आत्मिक सुकून भी प्रदान करते हैं। यह भजन भगवान के साथ एक व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध स्थापित करने का माध्यम है, जो हर भक्त को अपने जीवन में कृष्ण का नाम और ध्यान बनाए रखने की प्रेरणा देता है। चाहे आप पूजा के दौरान इसे गाएं या शांति के लिए सुनें, यह भजन आपके मन को भक्ति की मधुर धुन में डुबो देगा।