गजानन जननी तेरी जय हो विजय हो | गणेश भजन लिरिक्स
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भक्तजन गणेशोत्सव, गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी या किसी भी विशेष अवसर पर गणपति की आराधना के समय भजन और आरती गाकर उन्हें प्रसन्न करते हैं। इन्हीं भजनों में से एक है "गजानन जननी तेरी जय हो विजय हो"। यह भजन केवल भगवान गणेश ही नहीं बल्कि उनकी माता पार्वती को भी समर्पित है। इसमें मां और पुत्र दोनों की महिमा का सुंदर वर्णन किया गया है। इस भजन को गाकर भक्त अपनी श्रद्धा और प्रेम प्रकट करते हैं तथा जीवन में ज्ञान, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं।
गजानन जननी तेरी जय हो विजय हो
गजानन जननी तेरी जय हो जय हो विजय हो
तेरा लाडला लाल गणपति,
गणपति हम पर स्दये हो
तेरी जय हो विजय हो।
ये संगीत यात्रा है देवी बुवन की
ये प्रस्थान मेरा गजानन नमन की,
हमे लाभ शुभ हो नही विघ्न भय हो
तेरी जय हो विजय हो जय हो।
दे विद्या हमें मांग हमें बुद्धि बल दे
हमें शब्द संगीत के फूल फल दे,
समर्पण का साहित्य स्वर का लेह हो
तेरी जय हो विजय हो जय हो।
इस भजन में माता पार्वती और भगवान गणेश की कृपा का गुणगान किया गया है। इसमें कहा गया है कि गणेश जी विद्या, बुद्धि और बल के दाता हैं। वे अपने भक्तों को न केवल विघ्नों से मुक्ति दिलाते हैं बल्कि जीवन में सफलता और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। जब भक्त पूरे मन से उनका स्मरण करते हैं तो उनका जीवन संगीत की भांति मधुर और सुखमय बन जाता है।इस आराधना का विशेष महत्व गणेशोत्सव और गणेश चतुर्थी के समय होता है। लेकिन इसे दैनिक पूजा या किसी भी शुभ अवसर पर गाया जा सकता है। यह भजन भक्त के मन को पवित्र करता है और भगवान गणेश तथा माता पार्वती की दिव्य शक्ति को आकर्षित करता है। यह आराधना बुद्धि, विवेक और ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ जीवन से विघ्न-बाधाओं को दूर करती है। भक्त यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ इस गीत का पाठ करते हैं तो उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
गजानन जननी तेरी जय हो विजय हो
गजानन जननी तेरी जय हो जय हो विजय हो
तेरा लाडला लाल गणपति,
गणपति हम पर स्दये हो
तेरी जय हो विजय हो।
ये संगीत यात्रा है देवी बुवन की
ये प्रस्थान मेरा गजानन नमन की,
हमे लाभ शुभ हो नही विघ्न भय हो
तेरी जय हो विजय हो जय हो।
दे विद्या हमें मांग हमें बुद्धि बल दे
हमें शब्द संगीत के फूल फल दे,
समर्पण का साहित्य स्वर का लेह हो
तेरी जय हो विजय हो जय हो।
इस भजन में माता पार्वती और भगवान गणेश की कृपा का गुणगान किया गया है। इसमें कहा गया है कि गणेश जी विद्या, बुद्धि और बल के दाता हैं। वे अपने भक्तों को न केवल विघ्नों से मुक्ति दिलाते हैं बल्कि जीवन में सफलता और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। जब भक्त पूरे मन से उनका स्मरण करते हैं तो उनका जीवन संगीत की भांति मधुर और सुखमय बन जाता है।इस आराधना का विशेष महत्व गणेशोत्सव और गणेश चतुर्थी के समय होता है। लेकिन इसे दैनिक पूजा या किसी भी शुभ अवसर पर गाया जा सकता है। यह भजन भक्त के मन को पवित्र करता है और भगवान गणेश तथा माता पार्वती की दिव्य शक्ति को आकर्षित करता है। यह आराधना बुद्धि, विवेक और ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ जीवन से विघ्न-बाधाओं को दूर करती है। भक्त यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ इस गीत का पाठ करते हैं तो उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।