पितृ पक्ष 2025: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गया से ब्रह्म कपाल तक, पिंडदान करने के सबसे शुभ 10 तीर्थ स्थल
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पितृ पक्ष हिंदू धर्म में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का विशेष समय होता है। साल 2025 में पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है और यह 16 दिनों तक चलेगा। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा होती है। मान्यता है कि पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।
पिंडदान कहां करें?
लोगों के मन में अक्सर सवाल रहता है कि पिंडदान किस स्थान पर करना सबसे फलदायी होगा। शास्त्रों के अनुसार भारत में कई पवित्र तीर्थ स्थल हैं जहां पिंडदान करने से पितरों को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं ऐसे 10 प्रमुख स्थानों के बारे में।
1. गया (बिहार)
पिंडदान का सबसे प्रसिद्ध स्थल गया है। यहां विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी में तर्पण करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यहां श्राद्ध करने से सात पीढ़ियों के पितरों को मुक्ति मिलती है।
2. ब्रह्म कपाल (उत्तराखंड)
बद्रीनाथ धाम के पास स्थित ब्रह्म कपाल को पिंडदान का सर्वोच्च स्थल माना जाता है। कहते हैं कि पांडवों ने महाभारत युद्ध के बाद यहीं पिंडदान किया था।
3. जगन्नाथ पुरी (ओडिशा)
जगन्नाथ पुरी को भगवान जगदीश का तारण क्षेत्र कहा जाता है। यहां पिंडदान करने से पितरों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश)
नर्मदा नदी के किनारे स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलने की मान्यता है।
5. पुष्कर (राजस्थान)
पुष्कर को तीर्थों का राजा कहा गया है। यहां पिंडदान करने से करोड़ों यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।
6. हरिद्वार (उत्तराखंड)
गंगा तट पर स्थित हरिद्वार में हर की पौड़ी पर पिंडदान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि यहां तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है।
7. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर किया गया पिंडदान सबसे शुभ माना जाता है। यहां तर्पण करने से पितरों को देवलोक की प्राप्ति होती है।
8. द्वारिका (गुजरात)
श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। मान्यता है कि यहीं श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग किया था।
9. महाकाल (उज्जैन)
उज्जैन की शिप्रा नदी के किनारे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर किया गया पिंडदान अत्यंत फलदायी माना जाता है।
10. रामेश्वरम (तमिलनाडु)
चार धामों में से एक रामेश्वरम में भगवान श्रीराम ने भगवान शिव की आराधना की थी। यहां पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति की प्राप्ति होती है।
पितृ पक्ष में पिंडदान करना पूर्वजों के प्रति आस्था और कृतज्ञता व्यक्त करने का तरीका है। चाहे गया हो, ब्रह्म कपाल या द्वारिका – हर स्थान का अपना धार्मिक महत्व है। इन पवित्र तीर्थों पर किया गया पिंडदान पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष दिलाता है।
पिंडदान कहां करें?
लोगों के मन में अक्सर सवाल रहता है कि पिंडदान किस स्थान पर करना सबसे फलदायी होगा। शास्त्रों के अनुसार भारत में कई पवित्र तीर्थ स्थल हैं जहां पिंडदान करने से पितरों को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं ऐसे 10 प्रमुख स्थानों के बारे में।
1. गया (बिहार)
पिंडदान का सबसे प्रसिद्ध स्थल गया है। यहां विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी में तर्पण करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यहां श्राद्ध करने से सात पीढ़ियों के पितरों को मुक्ति मिलती है।
2. ब्रह्म कपाल (उत्तराखंड)
बद्रीनाथ धाम के पास स्थित ब्रह्म कपाल को पिंडदान का सर्वोच्च स्थल माना जाता है। कहते हैं कि पांडवों ने महाभारत युद्ध के बाद यहीं पिंडदान किया था।
3. जगन्नाथ पुरी (ओडिशा)
जगन्नाथ पुरी को भगवान जगदीश का तारण क्षेत्र कहा जाता है। यहां पिंडदान करने से पितरों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश)
नर्मदा नदी के किनारे स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलने की मान्यता है।
5. पुष्कर (राजस्थान)
पुष्कर को तीर्थों का राजा कहा गया है। यहां पिंडदान करने से करोड़ों यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।
6. हरिद्वार (उत्तराखंड)
गंगा तट पर स्थित हरिद्वार में हर की पौड़ी पर पिंडदान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि यहां तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है।
7. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर किया गया पिंडदान सबसे शुभ माना जाता है। यहां तर्पण करने से पितरों को देवलोक की प्राप्ति होती है।
8. द्वारिका (गुजरात)
श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। मान्यता है कि यहीं श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग किया था।
9. महाकाल (उज्जैन)
उज्जैन की शिप्रा नदी के किनारे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर किया गया पिंडदान अत्यंत फलदायी माना जाता है।
10. रामेश्वरम (तमिलनाडु)
चार धामों में से एक रामेश्वरम में भगवान श्रीराम ने भगवान शिव की आराधना की थी। यहां पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति की प्राप्ति होती है।
पितृ पक्ष में पिंडदान करना पूर्वजों के प्रति आस्था और कृतज्ञता व्यक्त करने का तरीका है। चाहे गया हो, ब्रह्म कपाल या द्वारिका – हर स्थान का अपना धार्मिक महत्व है। इन पवित्र तीर्थों पर किया गया पिंडदान पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष दिलाता है।