हिंदूजा ग्रुप के चेयरमैन Gopichand Hinduja का निधन: लंदन में अंतिम सांस, ब्रिटेन के सबसे अमीर परिवार को झटका
हिंदूजा ग्रुप के चेयरमैन गोपिचंद पी. हिंदूजा, जिन्हें बिजनेस जगत में 'जीपी' के नाम से जाना जाता है, का निधन हो गया। वे 85 साल के थे और लंदन के एक अस्पताल में उनका अंतिम समय आया। चार हिंदूजा भाइयों में दूसरे नंबर के गोपिचंद के जाने से परिवार और बिजनेस दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। सबसे बड़े भाई श्रीचंद हिंदूजा का निधन 2023 में हो चुका था, जबकि प्रकाश हिंदूजा और अशोक हिंदूजा अब ग्रुप को संभालेंगे। गोपिचंद ने छोटे से व्यापार को वैश्विक साम्राज्य में बदला, जो आज 11 सेक्टरों में फैला हुआ है।
गोपिचंद हिंदूजा का जन्म एक साधारण व्यापारिक परिवार में हुआ। 1950 में वे परिवार के बिजनेस में शामिल हुए, जब हिंदूजा ग्रुप सिर्फ भारत-मिडिल ईस्ट के बीच व्यापार करता था। उनकी दूरदृष्टि और मेहनत ने इसे एक ट्रांसनेशनल कांग्लोमरेट बना दिया। बॉम्बे के जय हिंद कॉलेज से ग्रेजुएट गोपिचंद को वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी और रिचमंड कॉलेज से मानद डॉक्टरेट मिली। वे हमेशा कहते थे कि व्यापार सिर्फ कमाई नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी सुधारने का जरिया है।
हिंदूजा ग्रुप आज ऑटोमोटिव, बैंकिंग, आईटी, हेल्थकेयर, रियल एस्टेट, पावर, मीडिया और एंटरटेनमेंट जैसे 11 क्षेत्रों में सक्रिय है। कुछ मशहूर ब्रांड्स:
ब्रांड सेक्टर खास बातें
2025 की संडे टाइम्स रिच लिस्ट में हिंदूजा परिवार को ब्रिटेन का सबसे अमीर परिवार बताया गया, जिसकी संपत्ति 32.3 अरब पाउंड है। गोपिचंद की अगुवाई में ग्रुप ने हजारों नौकरियां पैदा कीं और वैश्विक स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।
हिंदूजा परिवार ने गोपिचंद के निधन पर गहरा शोक जताया। उनके छोटे भाई अशोक ने कहा कि जीपी भाई हमेशा ग्रुप की रीढ़ रहे। बिजनेस लीडर्स ने उन्हें विजनरी बिजनेसमैन बताया, जिन्होंने पारंपरिक व्यापार को मॉडर्न एम्पायर में बदल दिया। गोपिचंद की कमी तो खलेगी, लेकिन उनकी विरासत – ग्रुप की ग्रोथ और सामाजिक योगदान – हमेशा जिंदा रहेगी।
गोपिचंद पी. हिंदूजा का जाना न सिर्फ हिंदूजा परिवार के लिए, बल्कि पूरे बिजनेस वर्ल्ड के लिए बड़ा नुकसान है। वे साबित कर गए कि मेहनत और स्मार्ट प्लानिंग से छोटा व्यापार भी वैश्विक हो सकता है। उनके जाने से ब्रिटेन के सबसे अमीर परिवार को झटका लगा, लेकिन ग्रुप की मजबूती बरकरार रहेगी। शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदनाएं।
गोपिचंद हिंदूजा की जिंदगी: व्यापार से साम्राज्य तक का सफर
गोपिचंद हिंदूजा का जन्म एक साधारण व्यापारिक परिवार में हुआ। 1950 में वे परिवार के बिजनेस में शामिल हुए, जब हिंदूजा ग्रुप सिर्फ भारत-मिडिल ईस्ट के बीच व्यापार करता था। उनकी दूरदृष्टि और मेहनत ने इसे एक ट्रांसनेशनल कांग्लोमरेट बना दिया। बॉम्बे के जय हिंद कॉलेज से ग्रेजुएट गोपिचंद को वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी और रिचमंड कॉलेज से मानद डॉक्टरेट मिली। वे हमेशा कहते थे कि व्यापार सिर्फ कमाई नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी सुधारने का जरिया है।
हिंदूजा ग्रुप आज ऑटोमोटिव, बैंकिंग, आईटी, हेल्थकेयर, रियल एस्टेट, पावर, मीडिया और एंटरटेनमेंट जैसे 11 क्षेत्रों में सक्रिय है। कुछ मशहूर ब्रांड्स:
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ब्रांड सेक्टर खास बातें
| अशोक लेलैंड | ऑटोमोटिव | भारत का बड़ा ट्रक मैन्युफैक्चरर |
| इंडसइंड बैंक | बैंकिंग | रिटेल और कॉर्पोरेट बैंकिंग |
| नेक्स्ट डिजिटल लिमिटेड | मीडिया | डिजिटल एंटरटेनमेंट सर्विसेज |
2025 की संडे टाइम्स रिच लिस्ट में हिंदूजा परिवार को ब्रिटेन का सबसे अमीर परिवार बताया गया, जिसकी संपत्ति 32.3 अरब पाउंड है। गोपिचंद की अगुवाई में ग्रुप ने हजारों नौकरियां पैदा कीं और वैश्विक स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।
परिवार और बिजनेस जगत का शोक: विरासत बनी रहेगी
हिंदूजा परिवार ने गोपिचंद के निधन पर गहरा शोक जताया। उनके छोटे भाई अशोक ने कहा कि जीपी भाई हमेशा ग्रुप की रीढ़ रहे। बिजनेस लीडर्स ने उन्हें विजनरी बिजनेसमैन बताया, जिन्होंने पारंपरिक व्यापार को मॉडर्न एम्पायर में बदल दिया। गोपिचंद की कमी तो खलेगी, लेकिन उनकी विरासत – ग्रुप की ग्रोथ और सामाजिक योगदान – हमेशा जिंदा रहेगी।
एक युग का अंत, नई शुरुआत
गोपिचंद पी. हिंदूजा का जाना न सिर्फ हिंदूजा परिवार के लिए, बल्कि पूरे बिजनेस वर्ल्ड के लिए बड़ा नुकसान है। वे साबित कर गए कि मेहनत और स्मार्ट प्लानिंग से छोटा व्यापार भी वैश्विक हो सकता है। उनके जाने से ब्रिटेन के सबसे अमीर परिवार को झटका लगा, लेकिन ग्रुप की मजबूती बरकरार रहेगी। शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदनाएं।









