AI के झटके से हिली IT कंपनियां: 2025 में TCS, गूगल, विप्रो और माइक्रोसॉफ्ट ने 70 हजार से ज्यादा लोगों को निकला
2025 में आईटी की बड़ी कंपनियां जैसे टीसीएस, गूगल, विप्रो और माइक्रोसॉफ्ट ने एआई के कारण हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। कुल मिलाकर 70 हजार से ज्यादा नौकरियां चली गईं। यह बदलाव कंपनियों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जरूरी बताया जा रहा है, लेकिन कर्मचारियों के लिए यह चिंता का विषय है। आइए जानते हैं इन कंपनियों में क्या-क्या हुआ।
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने 2025 में अपने कुल वर्कफोर्स का करीब 2 फीसदी यानी लगभग 12 हजार कर्मचारियों की छंटनी की। जुलाई में यह फैसला लिया गया। कंपनी का कहना है कि एआई और नई तकनीकों में निवेश करके वे "भविष्य के लिए तैयारी" हो रहे हैं। पुराने प्रोजेक्ट्स में अब इंसानों की जरूरत कम हो गई है, इसलिए बेंच पॉलिसी के तहत अनप्रोडक्टिव कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। टीसीएस नई मार्केट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रही है।
गूगल ने 2025 में जून से अक्टूबर तक कई दौर की छंटनी की, जिसमें 1 हजार से 2 हजार कर्मचारी प्रभावित हुए। सर्च, ऐड्स, यूट्यूब और इंजीनियरिंग टीम्स से नौकरियां कटीं। वजह? एआई को प्राथमिकता देकर कंपनी अपनी कोर एक्टिविटीज पर फोकस कर रही है। एआई टूल्स ने कई काम ऑटोमेटेड कर दिए हैं, जिससे पुरानी भूमिकाओं की जरूरत खत्म हो गई। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा कि यह बदलाव कंपनी को एआई-फर्स्ट बनाने के लिए जरूरी है।
विप्रो ने 2025 में कॉस्ट एफिशिएंसी और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के नाम पर 24,516 नौकरियां काटीं। यह आईटी सेक्टर में सबसे बड़ी छंटनी में से एक है। एआई के बढ़ते इस्तेमाल से कंपनी अपनी पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कर रही है। विप्रो का मानना है कि एआई से काम तेज होगा, लेकिन स्किल गैप की वजह से कई पुराने रोल्स अब बेकार हो गए। कंपनी नए एआई प्रोजेक्ट्स के लिए हायरिंग भी कर रही है, लेकिन कुल हेडकाउंट कम हुआ है।
माइक्रोसॉफ्ट ने जनवरी से सितंबर 2025 तक कई राउंड में 19,215 कर्मचारियों की छंटनी की। इसमें करीब 9 हजार एक बड़े वेव में गए। क्लाउड (एज्योर), सेल्स और इंजीनियरिंग टीम्स सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। एआई एडॉप्शन और कॉस्ट कटिंग मुख्य वजहें हैं। कंपनी का कहना है कि एआई टूल्स से 50 हजार से ज्यादा जॉब्स ऑटोमेशन से प्रभावित हो रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट एआई में भारी निवेश कर रही है, जिससे नई जॉब्स भी बनेंगी, लेकिन पुरानी भूमिकाएं खत्म हो रही हैं।
इन चारों कंपनियों में कुल 70 हजार से ज्यादा नौकरियां 2025 में चली गईं। एआई ने काम को ऑटोमेटेड कर दिया, जिससे कंपनियां रिस्ट्रक्चरिंग कर रही हैं। सिलिकॉन वैली से शुरू हुआ यह ट्रेंड अब भारत की आईटी इंडस्ट्री तक पहुंच गया। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एआई से कुछ जॉब्स खत्म होंगी, लेकिन नई स्किल्स जैसे एआई डेवलपमेंट, डेटा एनालिसिस में अवसर बढ़ेंगे। अगर आप आईटी में हैं, तो एआई सीखना जरूरी हो गया है।
टीसीएस में 12 हजार नौकरियां गईं: एआई ने बदला काम का तरीका
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने 2025 में अपने कुल वर्कफोर्स का करीब 2 फीसदी यानी लगभग 12 हजार कर्मचारियों की छंटनी की। जुलाई में यह फैसला लिया गया। कंपनी का कहना है कि एआई और नई तकनीकों में निवेश करके वे "भविष्य के लिए तैयारी" हो रहे हैं। पुराने प्रोजेक्ट्स में अब इंसानों की जरूरत कम हो गई है, इसलिए बेंच पॉलिसी के तहत अनप्रोडक्टिव कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। टीसीएस नई मार्केट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रही है।
गूगल ने की कई राउंड की कटौती: सर्च और इंजीनियरिंग टीम्स पर असर
गूगल ने 2025 में जून से अक्टूबर तक कई दौर की छंटनी की, जिसमें 1 हजार से 2 हजार कर्मचारी प्रभावित हुए। सर्च, ऐड्स, यूट्यूब और इंजीनियरिंग टीम्स से नौकरियां कटीं। वजह? एआई को प्राथमिकता देकर कंपनी अपनी कोर एक्टिविटीज पर फोकस कर रही है। एआई टूल्स ने कई काम ऑटोमेटेड कर दिए हैं, जिससे पुरानी भूमिकाओं की जरूरत खत्म हो गई। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा कि यह बदलाव कंपनी को एआई-फर्स्ट बनाने के लिए जरूरी है।
विप्रो की सबसे बड़ी कटौती: 24 हजार से ज्यादा जॉब्स पर लाठी
विप्रो ने 2025 में कॉस्ट एफिशिएंसी और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के नाम पर 24,516 नौकरियां काटीं। यह आईटी सेक्टर में सबसे बड़ी छंटनी में से एक है। एआई के बढ़ते इस्तेमाल से कंपनी अपनी पोर्टफोलियो को रीबैलेंस कर रही है। विप्रो का मानना है कि एआई से काम तेज होगा, लेकिन स्किल गैप की वजह से कई पुराने रोल्स अब बेकार हो गए। कंपनी नए एआई प्रोजेक्ट्स के लिए हायरिंग भी कर रही है, लेकिन कुल हेडकाउंट कम हुआ है।
माइक्रोसॉफ्ट ने काटे 19 हजार से ज्यादा: क्लाउड और सेल्स टीम्स हिट
माइक्रोसॉफ्ट ने जनवरी से सितंबर 2025 तक कई राउंड में 19,215 कर्मचारियों की छंटनी की। इसमें करीब 9 हजार एक बड़े वेव में गए। क्लाउड (एज्योर), सेल्स और इंजीनियरिंग टीम्स सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। एआई एडॉप्शन और कॉस्ट कटिंग मुख्य वजहें हैं। कंपनी का कहना है कि एआई टूल्स से 50 हजार से ज्यादा जॉब्स ऑटोमेशन से प्रभावित हो रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट एआई में भारी निवेश कर रही है, जिससे नई जॉब्स भी बनेंगी, लेकिन पुरानी भूमिकाएं खत्म हो रही हैं।
एआई का कुल असर: 70 हजार नौकरियां गईं, लेकिन नई संभावनाएं भी
इन चारों कंपनियों में कुल 70 हजार से ज्यादा नौकरियां 2025 में चली गईं। एआई ने काम को ऑटोमेटेड कर दिया, जिससे कंपनियां रिस्ट्रक्चरिंग कर रही हैं। सिलिकॉन वैली से शुरू हुआ यह ट्रेंड अब भारत की आईटी इंडस्ट्री तक पहुंच गया। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एआई से कुछ जॉब्स खत्म होंगी, लेकिन नई स्किल्स जैसे एआई डेवलपमेंट, डेटा एनालिसिस में अवसर बढ़ेंगे। अगर आप आईटी में हैं, तो एआई सीखना जरूरी हो गया है।
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